मौजूदा समय में एमएसएमई क्षेत्र का क्रेडिट साइज लगभग 22 लाख करोड़ रूपये का है, जबकि एमएसएमई कारोबारियों की अनुमानित संख्या देश में 6.5 करोड़ है। अब तक 40,000 एमएसएमई उद्यमियों को सैद्धांतिक रूप से कर्ज स्वीकृत किया जा चुका है। इस सुविधा का लाभ नये और पुराने दोनों एमएसएमई कारोबारी उठा रहे हैं। नये एमएसएमई कारोबारी का औसत स्वीकृत कर्ज 27 लाख रूपये है, जबकि पुराने एमएसएमई कारोबारी का 34 लाख रुपये। इस योजना के तहत नवंबर, 2018 में 36 प्रतिशत कर्ज स्वीकृत किये गये थे, जो दिसंबर, 2018 में बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया।
क्रेडिट सुइस द्वारा 1 मार्च, 2019 को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि (https://www.psbloansin59minutes.com) ऑनलाइन लोन पोर्टल अपने आगाज के 3 महीनों के अंदर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों (एमएसएमई) को कर्ज उपलब्ध कराने का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म बन गया है। वर्तमान में भारतीय स्टेट बैंक सहित 21 कर्जदाता इस पोर्टल के माध्यम से एमएसएमई कारोबारियों को कर्ज उपलब्ध करा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस ऑनलाइन लोन पोर्टल की मदद से 30,000 करोड़ रूपये का कर्ज स्वीकृत किया जा चुका है।
मौजूदा समय में एमएसएमई क्षेत्र का क्रेडिट साइज लगभग 22 लाख करोड़ रूपये का है, जबकि एमएसएमई कारोबारियों की अनुमानित संख्या देश में 6.5 करोड़ है। अब तक 40,000 एमएसएमई उद्यमियों को सैद्धांतिक रूप से कर्ज स्वीकृत किया जा चुका है। इस सुविधा का लाभ नये और पुराने दोनों एमएसएमई कारोबारी उठा रहे हैं। नये एमएसएमई कारोबारी का औसत स्वीकृत कर्ज 27 लाख रूपये है, जबकि पुराने एमएसएमई कारोबारी का 34 लाख रुपये। इस योजना के तहत नवंबर, 2018 में 36 प्रतिशत कर्ज स्वीकृत किये गये थे, जो दिसंबर, 2018 में बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया।
पुराने कर्जदारों को इस योजना के तहत शत प्रतिशत कर्ज स्वीकृत किया जा रहा है, जबकि नये प्रस्तावित कर्जदारों के मामले में बैंक सतर्कता बरत रहे हैं। नवंबर, 2018 से जनवरी, 2019 तक 92,000 कर्ज प्रस्तावों को संसाधित किया गया, जिसमें 24,000 कर्ज प्रस्ताव बैंकों के लिये नये थे।
देश में फिलहाल 6.5 करोड़ से ज्यादा एमएसएमई यूनिट कार्य कर रही हैं, जिनमें 11.1 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। देश की जीडीपी में एमएसएमई क्षेत्र का योगदान करीब 30 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि यदि इस क्षेत्र को मजबूत किया जाये तो देश में रोजगार सृजन, आर्थिक आत्मनिर्भरता, समावेशी विकास, विनिर्माण में तेजी आदि को संभव बनाया जा सकता है। मौजूदा समय में कारोबारियों को कर्ज लेने के नियमों की जानकारी नहीं होने के कारण उन्हें कर्ज लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अमूमन, डर की वजह से या देरी होने की आशंका के कारण कारोबारी बैंक से संपर्क नहीं करते हैं।
अगर कोई कारोबारी बैंक से संपर्क भी करता है तो उसे बैंक की कागजी कार्रवाई परेशानी जनक लगती है, क्योंकि उनके पास सभी दस्तावेज़ नहीं होते हैं। इस तरह, देखा जाये तो कारोबारियों को कर्ज नहीं मिलने का वास्तविक कारण उनमें जागरूकता का नहीं होना होता है। जो कारोबारी सही मायनों में कारोबार करना चाहते हैं, वे बैंक कर्ज के लिये आवश्यक दस्तावेजों को उपलब्ध कराकर एवं दूसरी शर्तों को पूरा करके कर्ज ले सकते हैं, लेकिन ऐसे कारोबारियों को बैंक के नियमों की जानकारी एक जगह नहीं मिल पाती है।
ऐसी समस्याओं के निराकरण हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) कारोबारियों के लिये एक ऐसे पोर्टल का आगाज नवंबर, 2018 में किया था, जिसके जरिये 59 मिनट के अंदर 1 करोड़ रूपये कर्ज की सैद्धांतिक मंजूरी दी जा रही है। हालांकि, कर्ज की अंतिम स्वीकृति हेतु कारोबारियों को बैंक की अन्य अपेक्षित शर्तों को पूरा करना होता है।
कारोबारियों को 59 मिनट में कर्ज की सैद्धांतिक मंजूरी लेने के लिये सबसे पहले ऑनलाइन पोर्टल में लॉग इन करना होता है, लेकिन इससे पहले उन्हें आईटीआर, जीएसटी विवरण, 6 महीनों का बैंक स्टेटमेंट, डायरेक्टर एवं प्रमोटर का विवरण एवं अन्य जरूरी जानकारियों का विवरण तैयार रखना होता है, ताकि समय से ऑनलाइन विवरण प्रविष्टि में कोई दिक्कत न हो।
देखा जाये तो सैद्धांतिक मंजूरी हासिल करने के लिये कर्ज के आवेदकों को जिन जानकारियों को ऑनलाइन पोर्टल में साझा करना होता है, वे कर्ज पाने की शर्तों का ही हिस्सा होते हैं। अगर कर्ज लेने वाले प्रस्तावित आवेदक पोर्टल में सभी जानकारियों को सही-सही भरेंगे तो बहुत कम मामले ऐसे आयेंगे, जिनमें बैंक को आवेदकों से अतिरिक्त दस्तावेजों की माँग करनी पड़ेगी।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का वर्ष 2019 की पहली तिमाही में एमएसएमई क्षेत्र में एनपीए 15.2 प्रतिशत था, जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों का एनपीए 3.9 प्रतिशत और एनबीएफसी का 5 प्रतिशत था। क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट में कहा गया है कि 59 मिनट के ऑनलाइन पोर्टल की मदद से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का मार्केट शेयर एमएसएमई क्षेत्र में बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि इससे बैंकों को एनपीए कम करने में मदद मिलेगी।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक के अनुसार 21 दिसंबर, 2018 तक बैंकों का एमएसएमई क्षेत्र में आउटस्टैंडिंग 3.6 लाख करोड़ रूपये था, जबकि मध्यम क्षेत्र में यह 1 लाख करोड़ रुपये था। मौजूदा योजना में कुछ खामियां होने के बावजूद भी कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 59 मिनट में एमएसएमई कारोबारियों को 1 करोड़ रूपये तक के कर्ज देने की योजना का सीधा लाभ बैंक और एमएसएमई कारोबारियों को मिल रहा है, जिससे अर्थव्यवस्था तेजी से मजबूती की ओर अग्रसर हो रही है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)