मोदी सरकार द्वारा पांच सौ और हजार के नोट बंद करना काले धन और जाली नोटों पर लगाम लगाने की दिशा में सर्जिकल स्ट्राइक जैसा कदम है। देश में बढ़ते हुए काले धन पर लगाम लगाने की दिशा में मोदी सरकार का यह कदम सराहनीय कहा जा सकता है। काले धन को रोकने के अपने चुनावी वायदे की धुन पर काम कर रही केन्द्र सरकार ने जिस तरीके से हजार और पांच सौ के नोट को तत्काल प्रभाव से बन्द किया है, उससे काला धन रखने वाले को उसे सफेद बनाने के लिए बिलकुल भी समय नहीं मिल पाया। वे अब सिर ही धुन रहे होंगे।
मोदी सरकार ने पहले काला धन डिक्लेरेशन स्कीम 2016 की शुरूआत की। उस वक्त सरकार ने कहा था, कि जो लोग तय अवधि में स्वतः अपना काला धन सार्वजनिक कर देंगे, उनपर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन जो अपने काले धन को छुपाने की कोशिश करेंगें, उन पर कड़ी गाज गिरेगी। इसके तहत लगभग 65 हजार करोड़ की काली संपत्ति सार्वजनिक हुई। अब उसी नीति के अगले चरण का अनुसरण करते हुए सरकार ने हजार और पांच सौ के नोटों को बन्द करके काला धन धारकों पर कार्रवाई करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के इस मंत्र ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ को क्रियान्वित करने का काम किया है।
कांग्रेसनीत यूपीए सरकार काला धन के मुद्दे पर एकदम नकारा साबित हुई और उसके कार्यकाल में काले धन का अम्बार लगता गया। कोर्ट के बार-बार कहने के बावजूद उस सरकार ने इस मसले पर एक अदद एसआईटी तक नहीं गठित कर सकी थी, जिसका गठन मोदी सरकार ने सरकार में आते ही अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में ही कर दिया है। ऐसे में, आज जब मोदी सरकार ने काला धन को काबू करने के लिए यह कदम उठाया गया है, तो इससे कांग्रेस की परेशानी समझी जा सकती है। दरअसल विचार-विमर्श करके मोदी सरकार ने पहले काला धन डिक्लेरेशन स्कीम 2016 की शुरूआत की। उस वक्त सरकार ने कहा था, कि जो लोग तय अवधि में स्वतः अपना काला धन सार्वजनिक कर देंगे, उनपर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन जो अपने काले धन को छुपाने की कोशिश करेंगें, उन पर कड़ी गाज गिरेगी। इस नीति के तहत लगभग 65 हजार करोड़ की काली संपत्ति सार्वजनिक हुई। अब उसी नीति के अगले चरण का अनुसरण करते हुए मोदी सरकार ने हजार और पांच सौ के नोटों को बन्द करके अपने चुनावी समय के इरादे ‘न खायेंगे और न खाने देंगें’ को क्रियान्वित करने का काम किया है।
मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था का ख्याल रखते हुए देश में दो हजार और पांच सौ की नई नोटें जारी कर दी हैं, जिससे देश के विकास की रफ्तार में किसी तरीके की रूकावट न आए। यह बात अलग है, कि विपक्षी दल अपने अंधविरोध के लिए गरीबों, किसानों की तकलीफ और देश की अर्थव्यवस्था के रूकावट की फिजूल दुहाई पेश कर रहें हैं। पहली चीज कि किसानों की आय आज भी करमुक्त है, तो उन्हें कोई भी रकम बैंक से बदलवाने में कोई हानि नहीं होगी। साथ ही, निम्न मध्यमवर्गीय लोगों का खर्च गांवों और दूर-दराज के क्षेत्रों में आज के समय में भी कुछ पैसों और वस्तु-विनिमय के जरिये चल जाता है। अब रही बात कुछ जरूरी कार्यों की तो उसके लिए सामान्य व्यक्ति भी पहले से अपने पास कुछ पैसे रखते है। अतः सरकार के इस कदम से आम आदमी को कोई विशेष परेशानी होगी, ये आधारहीन बात है।
सरकार द्वारा काले धन के खिलाफ की गई इस सर्जिकल स्द्राइक से विदेशों में भारतीयों द्वारा किये जाने वाले मनी लोंड्रिंग पर रोक लगेगी। हवाला कारोबारियों का मनोबल परास्त करने में भी सुविधा होगी। रियल स्टेट के व्यापार में सबसे ज्यादा काले धन के इस्तेमाल की बात सामने आती थी, जिस पर मोदी सरकार की इस नीति से प्रभाव पडे़गा। चुनावों में इस्तेमाल होने वाले काले धन पर भी लगाम लगेगा। अंत में इतना ही कि सरकार के इस निर्णय का देश को दीर्घकालिक लाभ अपनी आर्थिक सुदृढ़ता और राजनीतिक शुचिता के रूप में मिलेगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)