कांग्रेस-मुक्त भारत का नारा जो भाजपा द्वारा दिया गया, उस नारे को जनता का भी व्यापक समर्थन मिल रहा है। पांच राज्यों के चुनवा परिणामों ने कांग्रेस की कमर तोड़ दी है। कभी पूरे देश में शासन वाली कांग्रेस अब देश के महज सात फीसद आबादी वाले हिस्से पर सत्ता में है। इनमे भी कर्नाटक ही एकमात्र बड़ा राज्य है। असम में भाजपा पिछले विधानसभा में महज ५ सीट जीत पाई थी और कांग्रेस सत्ता में थी। लेकिन जनता ने कांग्रेस पूरी तरह से उखाड़ दिया है। केरल में कांग्रेस बुरी तरह से हारी है। पश्चिम बंगाल में वामपंथियों से गठबन्धन के बावजूद भयंकर हार मिली है जबकि भाजपा अपना जनाधार बढ़ा पाने में लगातार हर जगह कामयाब होती दिख रही है। मोदी सरकार आने के बाद जनता के तो अच्छे दिन आ गये लेकिन कांग्रेस को बुरे दिन देखने पड़ रहे हैं। शायद इसीलिए कांग्रेस बार-बार कहती रहती है की अच्छे दिन कब आयेंगे ? खैर, कांग्रेस मुक्त भारत की अवधारणा कामयाब होती दिख रही है। नीचे है जनसत्ता की एक रिपोर्ट का कुछ अंश: मॉडरेटर
जनसत्ता।। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के गुरुवार को आए रुझानों से अब साफ हो चुका है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के हाथों से दो और राज्य केरल और असम छिन चुके हैं।पश्चिम बंगाल में लेफ्ट के साथ जबकि तमिलनाडु में डीएमके के साथ किया गया कांग्रेस का गठबंधन काम नहीं आया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का जो नारा दिया था, उस दिशा में भाजपा एक कदम और आगे बढ़ी है। चुनाव नतीजों के मुताबिक़ कांग्रेस के पास अब सिर्फ सात फीसद आबादी में ही सत्ता बची है। देखा जाए तो राजनीतिक तौर पर अहम सिर्फ एक बड़े राज्य कर्नाटक में ही कांग्रेस की सत्ता है। बाकी राज्य बेहद छोटे हैं और राष्ट्रीय राजनीति में ज्यादा प्रभावी नहीं हैं। ऐसे में असम और केरल जैसे दो अहम राज्य गंवाने के बाद अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी के अंदर और बाहर, दोनों ही जगह कई तरह के सवालों का जवाब देना होगा।
इतिहास के सबसे बुरे दौर में कांग्रेस
दशकों तक देश पर राज करने वाली पार्टी 2014 के आम चुनाव में सीटों के मामले में तीन अंकों में भी नहीं पहुंच सकी। कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में महज44 सीटें मिलीं। लोकसभा चुनाव के ठीक बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में हार का मुंह देखना पड़ा। इन सभी राज्यों में भाजपा ने परचम लहराया। इसके बाद, कांग्रेस के अंदर ही विरोध के सुर उठने लगे। इस बात में कोई आशंका नहीं कि ताजा नतीजों के बाद इन आवाजों को एक बार फिर ताकत मिलेगी। पार्टी के लिए अगली बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव होंगे। यहां 2017 में मतदान होना है।
स्त्रोत: जनसत्ता