भारत के एक दाँव ने पाकिस्तान को चित कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गिलगित, बलूचिस्तान और पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर का मामला दुनिया के सामने लाकर न केवल पाकिस्तान को आईना दिखाया है, बल्कि पाकिस्तान के अत्याचार से पीडि़त जनमानस को साहस भी दिया है। पाकिस्तान के कट्टरपंथी चरित्र से संघर्ष कर रहे लोगों में नया जोश आ गया है। ये लोग जहाँ हैं, वहीं से पाकिस्तान के दमनकारी चेहरे को विश्व के सामने ला रहे हैं। पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में दखल देने वाले पाकिस्तान का पहली बार हकीकत से सामना हुआ है।
पाकिस्तान जिन प्रांतों की आबादी को स्वीकार नहीं करता है, उन सभी प्रांतों का वह सिर्फ दोहन और दमन कर रहा है। यही कारण है कि गिलगित, बलूचिस्तान, पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर और सिंध के हालात एक समान हैं। लेकिन, अब यहाँ की जनता लामबंद हो गई है। उनकी बुलंद होती आवाज को कुचलना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगा। भारत का साथ मिल जाने से अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे यहाँ के नागरिकों को बल मिला है। इसीलिए वह भारत के प्रति धन्यवाद भी ज्ञापित कर रहे हैं और हमसे अपेक्षाएँ भी कर रहे हैं। बहरहाल, पाकिस्तान के अलग-अलग प्रमुख प्रांतों से आ रही ‘पाकिस्तान से आजादी’ की माँगें जरूर उसे विचलित कर रही होंगी। इन आवाजों से पाकिस्तान को सबक लेना चाहिए। वरना, एक नया बांग्लादेश बनने में देर नहीं लगेगी।
भारत की जमीन पर कब्जा करने वाले और उसके टुकड़े करने का ख्वाब देखने वाले पाकिस्तान को अब अपनी ही जमीन बचाने के लाले पड़ रहे हैं। गिलगित, बलूचिस्तान और पाक अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर के नागरिक पाकिस्तान से आजादी की माँग कर ही रहे थे, अब सिंध प्रांत के लोगों ने भी अगल देश की माँग शुरू कर दी है। सिंध के मीरपुर खास में सोमवार को सड़कों पर उतरकर अनेक लोगों ने आजादी के नारे लगाते हुए सिंधुदेश की माँग की है। अमेरिका, लंदन से लेकर जर्मनी तक गिलगित, बलूचिस्तान, पीओके और सिंध की आजादी को लेकर प्रदर्शन होने शुरू हो गए हैं।
सिंध पाकिस्तान के बड़े प्रांतों में से एक है। यह पाकिस्तान के दक्षिण-पूर्व मे स्थित है। यह सिंधियों का मूल स्थान माना जाता है। बँटवारे से पूर्व यहाँ बड़ी संख्या में हिंदू आबादी थी। लेकिन, बँटवारे के दौरान कट्टरपंथियों ने हिंदुओं को यहाँ से भागने के लिए मजबूर कर दिया। अपने दुकान-मकान सबकुछ छोड़-छाड़कर अधिकांश हिंदू परिवार भारत आ गए। भारत से पाकिस्तान जाने वाले अधिकतर मुस्लिम परिवारों को सिंध में हिंदुओं द्वारा छोड़े घरों में बसा दिया गया। इसलिए भारत से पाकिस्तान गए मुसलमान भी इसी क्षेत्र में सर्वाधिक हैं। इसके अलावा पाकिस्तान की सर्वाधिक हिंदू आबादी भी सिंध में ही बसती है। पाकिस्तान के कट्टरपंथी समुदायों ने हिंदुओं को तो कभी स्वीकार किया ही नहीं, भारत से पाकिस्तान गए मुसलमानों को भी हेय की दृष्टि से देखते हैं। सिंध प्रांत में पाकिस्तान के कट्टरपंथी धड़े खुलेआम गुंडागर्दी करते हैं लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं देती है। हिंदुओं का जबरन धर्मांतरण करने के सर्वाधिक मामले इसी क्षेत्र से सामने आते ही हैं। सिंध प्रांत के लोगों की भाषा पर भी कट्टरपंथी धड़े चोट कर रहे हैं। यहाँ के रहवासियों पर जबरन अरबी और उर्दू थोपी जा रही है। इसका विरोध स्थानीय स्तर पर किया जाता रहा है। अमेरिका के सांसदों की एक रिपोर्ट की माने तो सिंध में हिंदुओं के लिए रहने लायक स्थितियां नहीं हैं।
दरअसल, पाकिस्तान का निर्माण जिस वैचारिक पृष्ठभूमि के तहत हुआ है, वह पृष्ठभूमि ही पाकिस्तान के अस्तित्व के लिए खतरनाक साबित हो रही है। हमें ध्यान रखना होगा कि बलूचिस्तान के प्रति भी पाकिस्तान का दोहरा बर्ताव इसलिए है क्योंकि बलूचिस्तान ने प्रारंभ में पाकिस्तान में शामिल होने से इनकार कर दिया था। बलूचिस्तान के उस विरोध और स्वतंत्र अभिव्यक्ति को पाकिस्तान आज तक पचा नहीं सका है। पाकिस्तान जिन प्रांतों की आबादी को स्वीकार नहीं करता है, उन सभी प्रांतों का वह सिर्फ दोहन और दमन कर रहा है। यही कारण है कि गिलगित, बलूचिस्तान, पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर और सिंध के हालात एक समान हैं। लेकिन, अब यहाँ की जनता लामबंद हो गई है। उनकी बुलंद होती आवाज को कुचलना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगा। भारत का साथ मिल जाने से अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे यहाँ के नागरिकों को बल मिला है। इसीलिए वह भारत के प्रति धन्यवाद भी ज्ञापित कर रहे हैं और हमसे अपेक्षाएँ भी कर रहे हैं। बहरहाल, पाकिस्तान के अलग-अलग प्रमुख प्रांतों से आ रही ‘पाकिस्तान से आजादी’ की माँगें जरूर उसे विचलित कर रही होंगी। इन आवाजों से पाकिस्तान को सबक लेना चाहिए। वरना, एक नया बांग्लादेश बनने में देर नहीं लगेगी।
(लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)