गत वर्ष नवम्बर में देश की अर्थव्यवस्था की जड़ों को खोखला करने वाले कालेधन के खिलाफ मोदी सरकार ने नोटबंदी जैसा बड़ा कदम उठाया ताकि देश में मौजूद कालेधन पर लगाम लगाईं जा सके। नोटबंदी के फैसले के बाद ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों और कारोबारियों की रूह कांप गई कि आखिरकार वो अपने हर एक रुपये का हिसाब कहां से और कैसे देगे। चंदे आदि का हिसाब देने से बचने के कारण कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया। तमाम राजनीतिक विरोधों को झेलने के बावजूद केंद्र सरकार अपने फैसले पर कायम रही। लेकिन, केंद्र सरकार ने कालेधन को देश से खत्म करने के लिए सिर्फ नोटबंदी करके चुप्पी नहीं साध ली है, बल्कि नोटबंदी के बाद संदेह के घेरे में आए लोगों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। विगत दिनों कालेधन के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कार्यवाही करते हुए 16 राज्यों में 300 से ज्यादा फर्जी कंपनियों पर छापेमारी की है।
इतना तो स्पष्ट है कि मोदी सरकार नोटबंदी के बाद चुप नहीं बैठी है, बल्कि इसके जरिये संदेह में आए काला धन धारकों के प्रति लगातार कठोर रुख अख्तियार की हुई है। फिर चाहें वो बेनामी संपत्ति को लेकर क़ानून लाना और ऐसी संपत्ति का पता लगाने के लिए टीम गठित करना हो या फिर ईडी द्वारा की गयी यह कार्रवाई हो; साफ़ है कि सरकार देश में मौजूद काले धन पर अंकुश लगाने के लिए पूरी योजना और रणनीति के साथ प्रयास कर रही है।
ईडी की ओर से की गई इस कार्रवाई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता छगन भुजबल के 46.7 करोड़ रूपये सफ़ेद करने वाली एक कंपनी के खुलासे की भी बात सामने आ रही है। इसके अलावा नोएडा अथॉरिटी के पूर्व प्रमुख अभियंता यादव सिंह की कंपनियों पर छापेमारी की गई, जिससे सभी तरह के गोपनीय फाइलों का खुलासा हो सके।
माना जा रहा है कि ईडी द्वारा की गई ये कार्रवाई जैसे-जैसे आगे बढ़ी, उसी तरह फर्जी कंपनियों और दस्तावेजों के राज पर से पर्दा उठ गया। मुंबई के अंधेरी इलाके में जगदीश प्रसाद पुरोहित नाम के एंट्री ऑपरेटर के यहां छापेमारी की गई, तो पता चला कि एक ही पते पर 700 से ज्यादा शैल कंपनियां दर्ज हैं, जो सारी की सारी पुरोहित की बताई गईं। यह भी सामने आया कि पुरोहित इन कंपनियों को 20 तथाकथित निदेशकों के जरिए चलाता है। दरअसल नोटबंदी के बाद काले धन को खपाने के लिए अनेक फर्जी कम्पनियां बनाकर पैसा विदेश भेजने की बात सामने आई थी। इसी दिशा में यह कार्रवाई की गयी है।
ईडी ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, पटना, कोच्चि, हैदराबाद, चेन्नई, रांची आदि जगहों पर छापेमारी की है और इसमें राजेश्वर एक्सपोर्ट नाम की वह कंपनी भी शामिल है, जिसने इम्पोर्ट के नाम पर 1400 करोड़ रुपये विदेश भेजे थे। बहरहाल, जिस तरह से ईडी द्वारा यह कार्रवाई की गयी है तथा इसमें कंपनियों के नामों का खुलासा हो रहा है और उनके तार राजनीतिक पार्टियों से जुड़े होने की बात सामने आ रही है, उसे देखते हुए आगे और भी कई खुलासे होने की उम्मीद है।
इतना तो स्पष्ट है कि मोदी सरकार नोटबंदी के बाद चुप नहीं बैठी है, बल्कि इसके जरिये संदेह में आए काला धन धारकों के प्रति लगातार कठोर रुख अख्तियार की हुई है। फिर चाहें वो बेनामी संपत्ति को लेकर क़ानून लाना और ऐसी संपत्ति का पता लगाने के लिए टीम गठित करना हो या फिर ईडी द्वारा की गयी यह कार्रवाई हो; साफ़ है कि सरकार देश में मौजूद काले धन पर अंकुश लगाने के लिए पूरी योजना और रणनीति के साथ प्रयास कर रही है।
(लेखिका पेशे से पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)