पिछले दिनों प्रदेश में बीडीसी के चुनाव हुए जिनमें रिकॉर्ड 98.3 प्रतिशत का मतदान हुआ। इसके अलावा कश्मीर घाटी और जम्मू में शीतकालीन सत्र की वार्षिक परीक्षाएं भी मंगलवार से शुरू हो चुकी हैं जिसमें कश्मीर संभाग में 99 प्रतिशत छात्रों की हाजिरी रही। ये बाते स्पष्ट करती हैं कि राज्य में माहौल पहले से बेहतर हो रहा है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाया जाना केंद्र सरकार का एक बड़ा व ऐतिहासिक कदम था। इस कार्यवाही के बाद से ही विपक्ष ने एक तरह से ऐसा माहौल बनाया हुआ था कि कश्मीर में जन जीवन प्रभावित हो गया है और वहां बुनियादी सुविधाओं को लेकर अराजकता फैल गई है। विपक्ष के इन कपोल कल्पित आरोपों का सरकार ने धरातल पर ठोस जवाब दिया है।
आज जम्मू-कश्मीर से लेकर लद्दाख तक के हालात निरंतर सुधर रहे हैं और वहां के अवाम ने बरसों बाद सामान्य जन-जीवन का अनुभव किया है। बहुत सारे क्षेत्रों में वहां बड़ा बदलाव आया है। कई तथ्य इन बातों की पुष्टि करते हैं। पहले लद्दाख की बात करें तो सरकार ने इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया है और अब आगामी एक नवंबर को लेह में लद्दाख डे मनाए जाने की तैयारी है। केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने की यह बरसों पुरानी मांग थी। 31 अक्टूबर से लद्दाख को यह दर्जा मिलने वाला है।
लद्दाख आटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल (एलएएचडीसी) व्यापक रूप से इस आयोजन की तैयारी में है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने लद्दाख के शासकीय कर्मचारियों के हितार्थ अहम फैसला किया है। इन कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाएगा। यह वेतनमान भी 31 अक्टूबर से लागू हो जाएगा। इससे राज्य के साढ़े चार लाख कर्मचारी लाभान्वित होंगे। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बकायदा इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
दूसरी तरफ, कश्मीर में इंटरनेट सेवाएं बहाल हो चुकी हैं। यहां इंटरनेट सेवाएं बंद रखे जाने का भी अपना महत्व रहा है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कल शाम को ही कहा है कि इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाने से आतंकी घटनाओं को रोकने में मदद मिली है। कश्मीर में इससे पहले पत्थरबाजों ने फिजां बिगाड़ रखी थी। जब तब यहां इंटरनेट के माध्यम से अफवाहों का जहर फैलाया जाता था लेकिन 5 अगस्त के बाद से ही सरकार ने इंटरनेट पर पुख्ता नियंत्रण रखा, जिसके आशातीत परिणाम भी सामने आए। अब राज्य में पत्थरबाजी की घटनाओं पर भी लगाम लग चुकी है।
पर्यटन को लेकर भी यहां बड़ा परिवर्तन अनुभव किया गया है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के तीन दिन पहले से ही यहां सरकार ने नो-इंट्री का बोर्ड लगा दिया था, अब उसे हटा दिया गया है। इसका अर्थ हुआ कि अब पर्यटकों का इस जन्नत की सरजमीं पर स्वागत है।
पिछले दिनों प्रदेश में बीडीसी के चुनाव हुए जिनमें रिकॉर्ड 98.3 प्रतिशत का मतदान हुआ। इसके अलावा कश्मीर घाटी और जम्मू में शीतकालीन सत्र की वार्षिक परीक्षाएं भी मंगलवार से शुरू हो चुकी हैं जिसमें कश्मीर संभाग में 99 प्रतिशत छात्रों की हाजिरी रही। अनुमान के अनुसार कश्मीर घाटी में करीब 65 हज़ार स्टूडेंट तो जम्मू के विंटर जोन में करीब 24 हज़ार स्टूडेंट दसवीं की परीक्षा दे रहे हैं।
बहुत समय नहीं बीता, पिछले साल की ही बात है, यहां पर आतंकवादी खुलेआम घूमते थे और परीक्षा होना तो दूर की बात, स्कूलों की सामान्य कक्षाएं भी नहीं लग पाती थीं। आए दिन स्कूल परिसरों में आग लगा दिए जाने की घटनाएं सामने आती थीं और चारों तरफ एक भय का माहौल बन गया था। लेकिन अब समय बदल चुका है।
अनुच्छेद 370 हटाया जाना केवल एक राजनीतिक ही नहीं, बल्कि व्यापक पैमाने पर जनजीवन की भी पुर्नसरंचना है। विपक्ष के इस बीच कई बयान सामने आए जिसमें उन्होंने कश्मीर में अराजकता का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो यहां आकर हालात देखने की बात भी कही थी लेकिन तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सोशल मीडिया पर उनकी जमकर खबर ली एवं उनको उनके ही भ्रामक बयान में उलझा दिया, तभी से वे इस संवेदनशील मसले पर राजनीतिक रोटियां सेंकने से बाज आए हैं।
कश्मीर के संदर्भ में सबसे गौरतलब बात जो है, वह यह है कि यहां यूरोपीय संघ के 28 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दो दिन के गैर शासकीय दौरे पर कश्मीर पहुंचा है। इस दल ने हालात का जायजा लेने के बाद न केवल उससे संतुष्टि जताई बल्कि यह भी कहा कि अनुच्छेद-370 भारत का निजी मामला है। उपर्युक्त सब बातों से स्पष्ट होता है कि अनुच्छेद-370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर के हालात लगातार बेहतर हो रहे हैं।
ईयू सांसदों की यात्रा पर विपक्ष के नेताओं ने जरूर तंज कसते हुए कहा कि यहां विदेशी सांसद जा सकते हैं लेकिन देश के सांसद नहीं जा सकते। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने ऐसे कमेंट्स की तगड़ी खबर लेते हुए स्पष्ट जवाब दिया कि कश्मीर में घूमने पर किसी पर पाबंदी नहीं है, वहां घूमने जाएं, राजनीति करने नहीं। नि:संदेह, कश्मीर के हालात पटरी पर हैं। केंद्र सरकार ने कश्मीर को विकास की मुख्य धारा से जोड़ा है और आने वाले समय में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के और सकारात्मक परिणाम नज़र आएंगे।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)