पिछले दिनों यूपी भाजपा के एक नेता ने बसपा की महिला नेता के प्रति कुछ आपत्तिजनक बयान दिया था, जिसपर बिना देर किए भाजपा द्वारा अपने नेता पर कार्रवाई की गई। फिर उस भाजपा नेता की गिरफ्तारी भी हुई और कुछ समय बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत ही जमानत भी मिल गई। स्पष्ट है कि भाजपा ने अपने नेता के आपत्तिजनक बयान को लेकर कोई नरमी नहीं दिखाई। लेकिन, फिर बसपा के नेता द्वारा उसी भाजपा नेता के परिवार के प्रति बेहद आपत्तिजनक और घटिया टिप्पणियां की गईं, मगर बसपा ने अपने नेता पर कोई कार्रवाई नहीं की। यह एक महिला की अध्यक्षता वाली बसपा की हकीकत है। अब बुलंदशहर सामूहिक बलात्कार काण्ड पर कांग्रेस की महिला नेता रेणुका चौधरी का एक ऐसा बयान आया है, जिसने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या एक महिला की अध्यक्षता वाली कांग्रेस भी स्त्रियों के साथ होने वाले अपराधों के प्रति ऐसी असंवेदनशील और घृणित सोच रखती है।
रेणुका चौधरी के बोल यही नहीं रूके। शर्म और संवेदना की सारी हदों को तोड़ते हुए उन्होंने ये तक कह डाला कि अगर आरोपियों को पुलिस 15-20 दिन के अंतराल में पकड़ लेगी तो सत्ता में बैठे रसूखदारों को शाबाशी कौन देगा। सबसे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण तो ये है कि ऐसा घटिया बयान देने के बाद भी रेणुका चौधरी पर अबतक कांग्रेस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के तो मुखिया ही बलात्कार के विषय में ‘लड़कों से गलती हो जाती है’ जैसा ज्ञान दे चुके हैं, जिसके बचाव में पूरी समाजवादी पार्टी खड़ी रही थी। इन सब मामलों को देखने पर स्पष्ट होता है कि एकमात्र भाजपा ही ऐसी पार्टी है, जिसने अपने नेता की आपत्तिजनक टिप्पणी पर बिना देर किए कार्रवाई की, जो दिखाता है कि भाजपा में महिलाओं के प्रति पूरा सम्मान है।
रेणुका चौधरी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि रेप का क्या है, वो तो होते ही रहते है। सवाल यह है कि क्या एक औरत की इज्जत इतनी सस्ती हो सकती है कि उसे ऐसे हल्के बयान देकर नज़रअंदाज कर दिया जाय ? जब एक महिला किसी दूसरी महिला के साथ हुए अनाचार पर ऐसे संवेदनहीन और क्रूर शब्दों का इस्तेमाल करेगी तो किसी पुरूष का उसकी आबरू की कीमत को ना समझना तो लाजिम ही है। लेकिन, रेणुका के बोल यही नहीं रूके। शर्म और संवेदना की सारी हदों को तोड़ते हुए उन्होंने ये तक कह डाला कि अगर आरोपियों को पुलिस 15-20 दिन के अंतराल में पकड़ लेगी तो सत्ता में बैठे रसूखदारों को शाबाशी कौन देगा। सबसे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण तो ये है कि ऐसा घटिया बयान देने के बाद भी रेणुका चौधरी पर अबतक कांग्रेस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह बसपा और कांग्रेस की बात हुई। रही सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी तो उसके तो मुखिया ही बलात्कार के विषय में ‘लड़कों से गलती हो जाती है’ जैसा ज्ञान दे चुके हैं, जिसके बचाव में पूरी समाजवादी पार्टी खड़ी रही थी। इन सब मामलों को देखने पर स्पष्ट होता है कि एकमात्र भाजपा ही ऐसी पार्टी है, जिसने अपने नेता की आपत्तिजनक टिप्पणी पर बिना देर किए कार्रवाई की, जो दिखाता है कि भाजपा में महिलाओं के प्रति पूरा सम्मान है। भाजपा के अतिरिक्त बसपा, कांग्रेस और सपा सब महिलाओं के सम्मान को लेकर एकदम एक ही जैसी गैर-जिम्मेदाराना सोच से ग्रस्त हैं। यह देखते हुए प्रतीत तो यही होता है कि सारे गुनाह और उनकी सजा सिर्फ भाजपा के लिए है, बाकी दलों के सौ गुनाह माफ़ हैं।
बहरहाल, एक ऐसा क़ानून लाया जा सकता है, जिससे ऐसे बेपरवाह और बेतुके बयान देने वाले राजनेताओं पर रोक लगाई जा सके। ताकि अगली बार किसी भी राजनेता को ऐसा बयान देने से पहले 100 बार तो क्या एक हजार बार सोचना पड़े। वैसे भी, भारत जैसे देश में एक महिला का रेप सिर्फ एक बार नहीं बल्कि सौ बार होता है। पहले एक पुरूष इज्जत को तार-तार करता है, फिर मीडिया और इसके बाद रेणुका चौधरी जैसे नेता ऐसे बयान देकर उस पीड़िता के मन में जो कुछ आशाएं बची होती है, उन्हें ख़त्म कर देते हैं। उचित तो यह होता है कि ऐसे समय में देश को एकजुट होकर उसका मनोबल बढ़ाना चाहिए ना कि ऐसे बय़ान देकर उसको तोड़ना चाहिए।