मोदी सरकार ने सेना को को हर हमले का कठोरतापूर्वक जवाब देने के लिए पूरी छूट दे दी है और देश की रक्षा में की गयी हर कार्रवाई में सरकार मजबूती से जवानों के साथ खड़ी नज़र आती है। यही कारण है कि इस सरकार के तीन साल के कार्यकाल के अंदर ही हमारे जवानों ने प्रकट तौर पर आतंक के विरुद्ध तीन बड़े अभियानों को अंजाम दिया है। फिर चाहें वो म्यांमार की सीमा में घुसकर आतंकियों का सफाया करना हो अथवा पाकिस्तान में हुई दोनों सर्जिकल स्ट्राइक हों। स्पष्ट है कि देश के दुश्मनों को जवाब देने के लिए सरकार और सेना पूरी मजबूती के साथ खड़ी हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि निस्संदेह इन कार्रवाइयों का श्रेय सेना को जाता है, मगर सरकार को भी सराहना मिलनी ही चाहिए।
सीज फायर का उल्लंघन तो मानो पाकिस्तान का दैनंदिनी कार्य हो गया है। जब संयुक्त राष्ट्र में झूठे आंसू बहाकर और सरहद पर भारतीय सेना के जवानों को हमेशा की तरह पीठ पीछे आकर कायराना तरीके से मारकर भी पाक की नापाकियत कम नहीं पड़ती तो वह जब तक संघर्ष विराम का उल्लंघन करके अपनी मौजूदगी जताने की कोशिश करता है। जब यह सब होता रहा तब समय-समय पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री अरूण जेटली विभिन्न राष्ट्रीय अंतरर्राष्ट्रीय मंचों पर कहते रहे कि सहनशीलता की सीमा होती है, पाक सुधर जाए अन्यथा खामियाजा भुगतने को तैयार रहे। बावजूद इसके पाक नहीं माना तो भारतीय सेना ने हाल ही में कुछ ऐसा कर दिखाया कि पाकिस्तान अन्दर ही अंदर काँप गया होगा।
भारतीय सेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए एक पिछली साल की सर्जिकल स्ट्राइक को ज़रा बदले अंदाज़ में दोहरा दिया। इस सख्त कार्रवाई में भारतीय जवानों ने पाकिस्तान की कई सैन्य चौकियां देखते ही देखते तबाह कर दीं। कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में किए गए इस पलटवार में एलओसी पर बनी पाकिस्तान की न केवल चौकियां नेस्तनाबूद हुईं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी उसके नापाक इरादों को करारा झटका लगा है।
अनुमान के मुताबिक नौशेरा सेक्टर में हुए इस ऑपरेशन में करीब 30 पाक सैनिकों को हमारी सेना ने मार गिराया। सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल एके नरूला ने कहा है कि यह कार्रवाई सीमा पर हो रही घुसपैठ के प्रतिकार स्वरूप की गई। यह इसलिए भी अहम थी, क्योंकि पाक सेना वहां लंबे समय से आतंकियों को पोषित कर रही थी। हालांकि नरूला ने इस पर विस्तार से नहीं बताया, लेकिन बताया जाता है कि यह कार्रवाई 9 मई की है एवं इसका खुलासा 23 मई को किया गया। इस पूरी कार्रवाई में जो सबसे खास बात है, वो यह कि सेना ने इस बार इस कार्रवाई का बकायदा वीडियो भी जारी किया जो कि प्रचार के सभी माध्यमों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया।
ऐसे में, जबकि सेना की सारी कार्रवाई, योजनाएं, रणनीतियां आदि गुप्त रखी जाती हैं, इस वीडियो के सार्वजनिक किए जाने का क्या अर्थ हो सकता है, यह सवाल उठना स्वाभाविक है। इसके लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा। गौरतलब है कि पिछले साल 29 सितंबर को भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए पाक के कब्जे वाले कश्मीर में बहुत से आतंकवादियों को मार गिराया था। इस साहसिक कार्रवाई में भारतीय सेना के वीर जवानों ने सीमा पार जाकर उन आतंकियों को ढेर किया था जो कि शिविर लगाकर आतंकवाद की संस्कृति पनपा रहे थे।
इस सर्जिकल स्ट्राइक से कुछ ही दिन पहले उड़ी हमला हुआ था, जिसमें भारतीय सेना के 19 जवान पाकिस्तानी सेना और आतंकियों के एक कायराना हमले में वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस हमले के बाद से देशभर में आक्रोश, गुस्से का आलम था और देश हर हाल में पाकिस्तान पर दंडात्मक कार्रवाई चाहता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश की भावनाओं को गंभीरता से समझा और सर्जिकल स्ट्राइक से हमारे सैनिकों की शहादत का प्रतिशोध भी लिया तथा पाक को मुंहतोड़ जवाब भी दिया।
इसके बाद से देशभर में जश्न मनने लगा। जहां एक ओर देश में सेना की गौरव गाथा गाई जा रही थी, वहीं देश में कुछ ऐसे लोग भी थे जो इस कार्रवाई से खिन्न नजर आए। मानो आतंकवादियों के मारे जाने का उन्हें निजी तौर पर दुख हुआ हो। तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों जैसे वाम, आप और कांग्रेस आदि को मानो सांप सूंघ गया।
आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल तथा कांग्रेस आदि दलों ने तो इस ऑपरेशन पर सवाल खड़े करते हुए केंद्र सरकार से इसका सबूत तक मांगा था और सबूत को सार्वजनिक किए जाने की सतही, विवेकहीन मांग कर डाली थी। चूंकि सेना की कार्रवाई गोपनीय होती है, इसलिए तत्कालीन डीजीएमओ आरवी सिंह ने एक प्रेस वार्ता में स्ट्राइक की पुष्टि की, लेकिन कोई वीडियो या प्रमाण जारी नहीं किया गया। संकेत स्पष्ट था कि देश की सुरक्षा के साथ कोई खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
हैरत है कि ऐसे में भी कतिपय तत्वों ने इसमें भी सरकार की नीयत पर सवाल करने जैसी स्तरहीन कवायद की। चूंकि उस समय सबूत मांगे जाने का काफी बवाल प्रायोजित किया गया था, इसलिए इस बार भारतीय सेना ने नौशेरा में शानदार कार्रवाई करते हुए गर्व से इसका वीडियो जारी किया जो कि दिनभर टीवी चैनलों पर दिखाया गया। जा़हिर है, इससे सेना की कार्रवाई का सबूत मांगने वालों को जवाब मिल गया और उनकी बोलती बंद हो गयी।
अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस ने भारतीय सेना की कार्रवाई की स्वयं प्रशंसा की। हालांकि उन्होंने भाजपानीत केंद्र सरकार को इसका श्रेय देना उचित नहीं समझा और अपनी दुर्भावना का परिचय दिया, लेकिन नौशेरा की कार्रवाई से बात अवश्य पुख्ता हो गई कि इस ऑपरेशन से देश के बाहर और देश के भीतर दोनों ओर मौजूद देश के दुश्मनों को जवाब जरूर मिल गया है।
दरअसल भारतीय सेना हमेशा से देश की रक्षा और शत्रु के समुचित प्रतिकार में सक्षम और समर्थ रही है; लेकिन 2014 से पहले देश में कांग्रेस नीत जो संप्रग सरकार थी, उसने सेना के हाथ एकदम बाँध रखे थे। पाकिस्तान की नापाक हरकतों पर उस सरकार के मुंह से केवल कड़ी निंदा ही सुनाई देती थी, कभी कोई कड़ी कार्रवाई नहीं दिखती थी।
लेकिन, मोदी सरकार ने सेना को को हर हमले का कठोरतापूर्वक जवाब देने के लिए पूरी छूट दे दी है और देश की रक्षा में की गयी हर कार्रवाई में सरकार मजबूती से जवानों के साथ खड़ी नज़र आती है। यही कारण है कि इस सरकार के तीन साल के कार्यकाल के अंदर ही हमारे जवानों ने प्रकट तौर पर आतंक के विरुद्ध तीन बड़े अभियानों को अंजाम दिया है। फिर चाहें वो म्यांमार की सीमा में घुसकर आतंकियों का सफाया करना हो अथवा पाकिस्तान में हुई दोनों सर्जिकल स्ट्राइक हों। स्पष्ट है कि देश के दुश्मनों को जवाब देने के लिए सरकार और सेना पूरी मजबूती के साथ खड़ी हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि निस्संदेह इन कार्रवाइयों का श्रेय सेना को जाता है, मगर सरकार को भी सराहना मिलनी ही चाहिए।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद यह पहली बड़ी सैन्य कार्रवाई थी, जिसमें अत्याधुनिक हथियारों से पाक सेना पर धावा बोला गया और पाक सैनिकों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। इधर, इस ऑपरेशन से बुरी तरह बौखलाए पाक ने पाक चौकियों के नष्ट होने से इंकार कर दिया। पाक सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने भारतीय सेना के दावे को पूरी तरह गलत करार दिया। अपनी बौखलाहट को छिपाने के लिए पाकिस्तान ने स्वयं का ही एक वीडियो जारी कर दिया और ऑपरेशन की बात का खंडन करते हुए कहा कि ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कुल मिलाकर भारतीय सेना की यह कार्रवाई न केवल पाकिस्तान के नापाक इरादों को कड़ी चेतावनी है, बल्कि देश के भीतर बैठे कांग्रेस और आप जैसे दलों के नेताओं को भी जवाब देने वाली है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य अभियान जैसे गंभीर मुददों को भी महज सस्ती लोकप्रियता के लिए सतही चर्चाओं में घसीटकर ले आते हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)