जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एस पी वैद्य ने भी कहा कि कश्मीर घाटी में हाल में आतंकवादी समूहों के खिलाफ यह सबसे बड़ी सफलता है। पंद्रहवीं कोर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ए के भट्ट ने भी इसे हाल के समय का सबसे बड़ा अभियान करार देते हुए कहा कि हमने लेफ्टिनेंट उमर फयाज का बदला ले लिया।
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग और शोपियां जिलों में सुरक्षा बलों, जिसमें सेना, सीआरपीएफ एवं स्थानीय पुलिस के जवान शामिल थे, की 3 कार्रवाइयों में 13 आतंकवादी मारे गए। 13 आतंकवादियों में से 11 की पहचान कर ली गई है। सभी स्थानीय हैं। वैसे, इस कार्रवाई में 3 जवान भी शहीद हुए और 4 नागरिकों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी।
इस सफलता को इसलिये भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि मारे गए आतंकवादियों में लेफ्टिनेंट उमर फयाज की हत्या करने वाले आतंकवादी इश्फाक मालिक और ठोकर भी शामिल हैं। दोनों आतंकवादियों ने शोपियां क्षेत्र में कई बड़ी आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया था।
अनंतनाग जिले के दायलगाम में 1 आतंकवादी मारा गया, जबकि अन्य एक को गिरफ्तार किया गया। वहीं द्रगाद में 7 आतंकवादी मारे गए। शोपियां जिले के काचदुरू क्षेत्र में 5 आतंकवादियों को सेना ने अपना शिकार बनाया। काचदुरू में समीर अहमद लोन का शव उसके परिजनों को सौंप दिया गया। वह हाल ही में हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था। काचदुरू क्षेत्र में सेना के 3 जवान भी शहीद हुए।
कानून एवं व्यवस्था को सामान्य रखने के लिये पुलिस ने श्रीनगर शहर के 7 पुलिस थानों और दक्षिण कश्मीर के कुछ इलाकों में पाबंदियां लगाई हैं। सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और यासीन मलिक समेत कुछ अन्य अलगाववादी नेताओं को नजरबंद भी किया गया है। संक्रमण के इस दौर में अफवाह को बढ़ावा नहीं मिले या फिर आतंकवादियों को संवेदनशील सूचनाएँ नहीं मिल सके, इसके लिये कश्मीर के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवा को कुछ समय के लिये स्थगित कर दिया गया है।
पुलिस महानिरीक्षक, कश्मीर क्षेत्र एस पी पाणि का मानना है कि सुरक्षाबलों की यह बहुत बड़ी सफलता है। पाणि के मुताबिक सुरक्षा बलों के इस अभियान से हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों को गंभीर झटका लगा है। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एस पी वैद्य ने भी कहा कि कश्मीर घाटी में हाल में आतंकवादी समूहों के खिलाफ यह सबसे बड़ी सफलता है। पंद्रहवीं कोर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ए के भट्ट ने भी इसे हाल के समय का सबसे बड़ा अभियान करार देते हुए कहा कि हमने लेफ्टिनेंट उमर फयाज का बदला ले लिया।
फयाज की पिछले साल दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में हत्या कर दी गई थी। इसी जिले के हरमैन इलाके में उनका शव मिला था। महानिदेशक एस पी वैद्य ने अपने बयान में एक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का भी जिक्र किया, जिन्होंने मुठभेड़ के दौरान एक आतंकवादी को आत्मसमर्पण करने के लिये राजी किया था। अमूमन ऐसे उदाहरण कम ही देखने को मिलते हैं।
वैद्य ने साफ तौर पर कहा कि ऐसे अभियान अभी और भी चलाए जाएंगे। यदि उपद्रवी आतंकवाद निरोधक अभियानों में जवानों पर पत्थर फेंकना बंद नहीं करेंगे तो पुलिस आक्रामक रुख अपनाने के लिए मजबूर हो जाएगी। वैद्य ने ऐसे बच्चों के अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों को हिंसा का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा में आने के लिये प्रेरित करें।
देखा जाए तो वर्तमान सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद से घाटी में सुरक्षाबलों को आतंकी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पहले की अपेक्षा अधिक आजादी मिल गयी, जिसके परिणामस्वरूप जवानों ने वहाँ आतंकियों का बड़ी संख्या में सफाया करने में कामयाबी हासिल की है। उसी क्रम में इन तीन हालिया अभियानों में सेना, सीआरपीएफ एवं स्थानीय पुलिस के जवानों ने आतंकियों को एकबार फिर नाको चने चबड़ा दिए हैं। निश्चित रूप से इस सफलता से सेना, सीआरपीएफ एवं स्थानीय पुलिस के मनोबल में अभूतपूर्व इजाफा होगा तथा आतंकियों की स्थिति कमजोर होगी।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)