प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और थल सेना प्रमुख बिपिन रावत समय-समय पर विभिन्न मंचों से सेना के बहादुर जवानों की हौसलाफजाई करते रहे हैं और सेना प्रमुख की ओर से सेना का मनोबल बढ़ाया जाता रहा है। वे अक्सर बोलते हैं कि सेना को देश की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार के ऑपरेशन के लिए पूरी छूट है एवं आतंरिक सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं की जा सकती, लिहाजा सेना पहले से अधिक सक्रिय और मजबूत हुई है।
पिछले साल हुए सर्जिकल स्ट्राइक जैसे अहम सैन्य ऑपरेशन के बाद भारतीय सेना बहुत मुस्तैद और मारक हो गई है। यही कारण है कि सीमा पर बढ़ रहे लगातार तनाव के बावजूद सेना ने स्थिति को बखूबी संभाला हुआ है। सेना ने अब आतंक के खिलाफ एकदम आक्रामक और मारक रणनीति अपना ली है।
अब कश्मीर में आतंकियों को बिल से निकाल-निकालकर ख़त्म किया जा रहा है। आए दिन सीमा पार से घुसपैठ करने वाले आतंकियों की धरपकड़ भी की जा रही है, तो कहीं नियमित रूप से मिलिट्री इनकाउंटर में आतंकी मारे भी जा रहे हैं। यह निश्चित ही हमारी सेना की सर्वविदित क्षमता के अनुकूल है, मगर इसमें सरकार द्वारा सेना को दी गयी खुली छूट का भी कम महत्व नहीं है। अब सेना के हाथ दुश्मनों को जवाब देने के लिए एकदम खोल दिए गए हैं।
हालांकि आतंकवादी घटनाएं हमेशा होती रही हैं। यूपीए सरकार के समय भी दुर्दांत घटनाएं हुईं, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात रही कि यूपीए सरकार के पास कोई ठोस कार्ययोजना नहीं थी एवं उसने आतंकवाद का सामना करने की दृढ़ता कभी नहीं दिखाई। राजग सरकार के सामने भी वही चुनौतियां हैं, लेकिन इस सरकार के काम करने का तरीका मजबूत इच्छाशक्ति से भरा और देशहित में है। हम तथ्यों पर नजर डालें तो यह बात हमें खुद पता चल जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और थल सेना प्रमुख बिपिन रावत समय-समय पर विभिन्न मंचों से सेना के बहादुर जवानों की हौसलाफजाई करते रहे हैं और सेना प्रमुख की ओर से सेना का मनोबल बढ़ाया जाता रहा है। वे अक्सर बोलते हैं कि सेना को देश की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार के ऑपरेशन के लिए पूरी छूट है एवं आतंरिक सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं की जा सकती, लिहाजा सेना पहले से अधिक सक्रिय और मजबूत हुई है।
बीते दिनों कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में हुए महत्वपूर्ण सैन्य ऑपरेशन जिसे सर्जिकल स्ट्राइक भाग-2 कहा गया, के बाद सेना के हौसले और बुलंद हो गए हैं। इस अभियान में भारतीय सेना ने बिना सीमा पार गए ही पाकिस्तान के कई बंकर नेस्तनाबूद कर दिए थे, जिनके जरिये वहां लंबे समय से आतंकियों को संरक्षण और प्रशिक्षण दिया जा रहा था। इसी सप्ताह जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में भारतीय सेना ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए पिछले 24 घंटे में 5 आतंकियों को मार गिराया। इनमें लश्कर के तीन आतंकी थे। तीनों आतंकियों की पहचान माजिद मीर, शरीफ अहमद और इर्शाद अहमद के रूप में हुई है। इनके पास से सेना को तीन एके-47 रायफल्स भी बरामद हुईं।
ऑपरेशन के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए 50 राष्ट्रीय रायफल कर्नल अजीत कुमार ने कहा कि इस इलाके में 12 आतंकी मौजूद थे, जिनमें से 10 मारे गए हैं व दो अभी बचे हैं। हालांकि इस ऑपरेशन के दौरान पथराव का सामना भी करना पड़ा, लेकिन हालात पर काबू पा लिया गया। इससे पहले बुधवार को ही सुरक्षाबलों ने उत्तरी कश्मीर के सोपोर में हिजबुल मुजाहिदीन को बड़ा झटका देते हुए बुधवार को दुर्दांत आतंकी गुलजार अहमद उर्फ इब्राहिम और उसके साथी बासित को मार गिराया।
बराथ कलां (सोपोर) का रहने वाला गुलजार वादी में सक्रिय ए-श्रेणी के आतंकियों में शुमार था, उसके जिंदा अथवा मुर्दा पकड़े जाने पर आठ लाख का इनाम घोषित था। उसके साथ मारा गया आतंकी बासित अहमद मीर अंद्रगाम (पट्टन) का रहने वाला था। फरवरी 2016 में आतंकी संगठन में सक्रिय हुए बासित पर भी तीन लाख का इनाम था।
इधर, एक दर्दनाक खबर सामने आई, जिसमें श्रीनगर में डीएसपी अयूब पंडित की बेरहमी से पीटकर हत्या कर दी गई। डीएसपी का कसूर इतना ही था कि वे मस्जिद के बाहर खडे होकर तस्वीरें ले रहे थे एवं उन्हें देखकर उमड़ी भीड़ से बचने के लिए उन्होंने फायर किया था। लेकिन भीड़ ने घेरकर उन्हें पीट पीटकर मार दिया।
इस घटना के बाद हरकत में आई राज्य सरकार ने उत्तर कश्मीर के एसपी सजाक खलिक को हटाने की कार्रवाई तो की, लेकिन जनाक्रोश नहीं थमा। आखिर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को कड़ा बयान देना ही पड़ा कि पुलिस के सब्र का इम्तिहान ना लिया जाए अन्यथा पुलिस निपटने के लिए तैयार है। प्रशासनिक बयानबाजी से अलग यदि हालात को देखा जाए तो अभी भी कश्मीर में अवाम के भीतर ही कई अराजक व आतंकी समर्थक तत्व घूम रहे हैं। इन्हीं हालातों से निपटने के लिए सेना अपनी पूरी ताकत झोंक रही है।
कश्मीर में सेना आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है। इसी कड़ी में उसकी लिस्ट में 12 आतंकियों के नाम हैं, जो उसके निशाने पर हैं। दक्षिण कश्मीर में सक्रिय हिज्ब आतंकी सब्जार को मार गिराने के बाद लश्कर का नामी कमांडर दुजाना, हिज्ब का यासीन यत्तू व जाकिर मूसा के अलावा जैश कमांडर अबु हमास समेत 12 दुर्दात आतंकी सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर हैं।
चिन्हित किए गए इन आतंकियों में हिज्ब के पांच, लश्कर के छह और जैश-ए-मोहम्मद का एक आतंकी शामिल है। कश्मीर में कई आतंकी हमलों में शामिल ये सभी ए प्लस श्रेणी के हैं। इस सूची में सिर्फ दुजाना और हमास ही विदेशी हैं, अन्य सभी स्थानीय आतंकी हैं। इन आतंकी कमांडरों को जिंदा अथवा मुर्दा पक़़डने के लिए सभी सुरक्षा एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं।
बहरहाल, बुरहान वानी, सब्जार तथा और भी बहुत से लगातार मारे गए आतंकी कमांडरों के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि कश्मीर में आतंकी हमलों में कमी आएगी और युवाओं के आतंकी संगठनों की तरफ रुख करने पर भी लगाम लगेगी। इसके बाद दबाव की रणनीति शुरू कर हाल ही में आतंकी बनने वाले लड़कों को मुख्यधारा में लाने के भी प्रयास होंगे।
इस समय दक्षिण कश्मीर में लगभग 115 आतंकी सक्रिय हैं। इनमें से करीब 99 स्थानीय हैं। घाटी में चल रही सेना की सख्ती के चलते अब आतंकियों के भी पैर उखड़ने लगे हैं। यही कारण है कि पिछले दिनों कश्मीर में सेना और पुलिस से मुठभेड़ में मारे गए आतंकी सबजार भट्ट के जनाजे में नजर आए आतंकी दानिश अहमद ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। दानिश ने माना कि वो सोशल मीडिया के माध्यम से दक्षिण कश्मीर के आतंकियों के समर्थन में था और उनके कहने पर आतंकी बनना चाहता था।
भारतीय सेना कश्मीर के पुलवामा, हंदवाड़ा, कुलगाम, राजोरी सेक्टर, त्राल और सोपोर जैसे संवेदी इलाकों में बेहद सक्रिय बनी हुई है और आतंकियों के पैर उखाड़ रही है। उम्मीद है कि हमारी सेना के ये जाबांज जवान जल्द ही अपने मजबूत इरादों व कारगर रणनीतियों से सीमापार से प्रेरित आतंकवाद पर लगाम कसने में पूरी तरह से सफल होंगे तथा जम्मू-कश्मीर की स्थिति में भी धीरे-धीरे सुधार आएगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)