भाजपा का विस्तार एवं सन्गठन
जिस संघ को कांग्रेस ने अपने खिलाफ उठे जनाक्रोश को भटकाने के लिए फासीवादी कहा था उसी संघ के एक शिविर में जेपी 1959 में जा चुके थे. उन्होंने संघ को कभी अछूत नहीं माना. आपातकाल के बाद जब जेपी जेल से छूटे तो उन्होंने मुंबई में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था,
जनता से खारिज वामपंथियों का रैन-बसेरा है जेएनयू
शिवानन्द द्विवेदी वामपंथ की राजनीति एवं उनके दलीय संगठनात्मक ढाँचे का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन करने पर यही निष्कर्ष निकलता है कि दुनिया के कमोबेश सभी लोकतांत्रिक देशों की जनता ने वामपंथी दलों एवं उनकी विचारधारा को लोकतंत्र के अनुकूल नहीं मानते हुए, सिरे से नकार दिया है। यानी दो टूक कहें तो जहाँ भी