हिंदू धर्म को बदनाम करने वाले बयानों के लिए दिग्विजय पर कार्रवाई क्यों नहीं करती कांग्रेस?
अपने बड़बोले बयानों से अक्सर नकारात्मक चर्चा में रहने वाले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को भारतीय राजनीति के उस धड़े के मुखिया के तौर पर देखा जाना चाहिए, जिन्हें बगैर कोई विवादित टिप्पणी किये चैन की नींद नहीं आती। यह सर्वविदित है कि अपने बयानों से दिग्विजय सिंह प्राय: अपनी और पार्टी की फजीहत कराते रहते हैं, किन्तु ताज्जुब इस बात का है कि कांग्रेस घोर विवादित बयानों के बाद भी उनपर कोई कार्यवाही नहीं करती है।
डूसू चुनाव : सावरकर का अपमान करने वालों के मुंह पर तमाचा है एबीवीपी की जीत
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में इसबार भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को भव्य विजय प्राप्त हुई है। इस चुनाव में चार पदों में से तीन पदों पर एबीवीपी ने विजय प्राप्त की है। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव का पद परिषद के खाते में गया, तो कांग्रेस से जुड़े छात्र संगठन एनएसयूआई को महज एक सचिव पद से ही संतोष करना पड़ा।
भारतीय राजनीति में सबके लिए प्रेरणास्रोत रहेंगे अरुण जेटली
देश की राजनीति में अगस्त, 2019 का महीना भारतीय जनता पार्टी के लिए किसी गहरे आघात-सा साबित हो रहा है। सुषमा स्वराज को गए अभी एक पखवारा ही बीता था कि लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे अरुण जेटली का भी असमय ही निधन हो गया। अरुण जेटली का निधन देश की राजनीति में एक रिक्तता पैदा करने वाला है। जेटली एक विराट व्यक्तित्व के धनी राजनेता थे।
रामलाल : भारतीय राजनीति में सादगी, सहजता और समन्वय की मिसाल
राजनीति के शिखर पर रहते हुए रामलाल ने बेहद सादगी और सहजता से कार्य किया है। उनके तेरह वर्ष के लंबे कार्यकाल के दौरान कभी कोई ऐसा मामला सामने नहीं आया, जिससे भाजपा अथवा संघ रामलाल से अहसज हुआ हो। पर्दे के पीछे रहकर संघ तथा भाजपा के बीच संतुलन साधने के साथ–साथ रामलाल ने बड़ी चतुराई के साथ पार्टी को गुटबाजी से भी बचाए रखा।
शिक्षाविद् से लेकर राजनेता तक हर किरदार में कामयाब रहे डॉ मुखर्जी!
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय राजनीति के एक ऐसे महान व्यक्तित्व का नाम है, जिन्होने आज़ादी के पश्चात् देश की एकता–अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। राजनेता सहित एक शिक्षाविद और देश के पहले उद्योग मंत्री के नाते भारतीयता व राष्ट्रवाद को लेकर उन्होंने जो विचार दिए, वे आज भी प्रासंगिक हैं।
‘राहुल का वायनाड जाना बताता है कि स्मृति ईरानी ने चुनाव से पूर्व ही आधी लड़ाई जीत ली है’
अमेठी एक तरह से ऐसा माना जाता रहा है कि कोई आए, जीतेगी कांग्रेस ही, किन्तु इस मिथक को स्मृति ईरानी ने पिछले लोकसभा चुनाव में कड़ी टक्कर देकर तोड़ दिया। इसके बाद ऐसा शायद पहली बार देखने को मिला कि एक पराजित प्रत्याशी अपने हारे हुए संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए न केवल चिंतित है
लोकसभा चुनाव : जनकल्याण के कार्य बनाम मोदी विरोध की नकारात्मक राजनीति
लोकसभा चुनाव की शुरुआत हो चुकी है, सभी राजनीतिक दल अपने–अपने ढ़ंग से अपनी पार्टी का प्रचार कर जनता का समर्थन पाने की कवायद में जुटे हुए हैं, किन्तु इस महान लोकतांत्रिक देश में मतदाता अब सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को अपनी अपेक्षाओं की कसौटी पर कसने लगे हैं।
सरकार की बड़ी कूटनीतिक सफलता है वीर अभिनंदन की सकुशल वापसी
पराक्रम, शौर्य और अदम्य साहस भारतीय सेना के पर्यायवाची शब्द हैं। जब हम कहते हैं कि हमारी सेना सभी तरह की स्थितियों का सामना करने को तैयार है, तो इसका उदारहण हम मिग-21 के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन के साहस से समझ सकते हैं।
राफेल सौदे का अंधविरोध राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति कांग्रेस की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े करता है!
राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ जाने के बाद से ऐसा माना जा रहा था कि विपक्ष को अब अपनी गलती का एहसास हो जाएगा और वह इस भ्रम को फ़ैलाने के लिए माफ़ी भले न मांगे, लेकिन कम से कम अब राफेल घोटाले का भूत कांग्रेस मुखिया के सर से जरूर उतर जाएगा। किन्तु ऐसा तब संभव होता जब विपक्ष राफेल पर तथ्यों के तहत बात कर रहा होता।
सज्जन कुमार को सज़ा सुनाते हुए अदालत ने जो बात कही है, वो कांग्रेस पर गंभीर सवाल खड़े करती है!
1984 में हुए सिखों के नरसंहार मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। 1984 से न्याय की आस लगाए पीड़ित परिवारों के लिए यह संतोषजनक फ़ैसला है। कोर्ट ने 31 दिसंबर तक सज्जन कुमार को आत्मसमपर्ण करने के निर्देश दिए हैं।