आंबेडकर जयंती विशेष : ‘मुझे कैबिनेट की किसी कमिटी में नहीं रखा गया, कहीं जगह नहीं दी गयी’
देश में जब भी बड़े चुनाव होने को होते हैं, तो दलित विमर्श का मुद्दा ज़ोरों-शोरों से उठाया जाने लगता है। कुछ राजनीतिक पार्टियों में ये बताने की होड़ मच जाती है कि वही दलितों की सबसे बड़ी हितैषी हैं और फिर चुनाव के बाद दलित भुला दिए जाते हैं। याद रखा जाना चाहिए कि देश एक दिन में नहीं बनता, देश का इतिहास भी एक दिन में सृजित नहीं होता। दलितों की बात राजनीतिक फायदे के लिए करना एक बात है और दलितों
लोकतंत्र के लिए आपातकाल और परिवारवाद जैसे संकटों के प्रति शुरू से आशंकित थे बाबा साहेब !
भारतीय गणतंत्र अपना 74वां उत्सव मना रहा है। यह कई मायनों में भारत की बहुविध संस्कृति और परम्पराओं को साझे तौर पर मनाने का महापर्व है।
मोदी द्वारा लाल किले पर फिर झण्डा फहराने का वादा 140 करोड़ लोगों से मिले आत्मबल का ही प्रसाद है!
आप पूछेंगे कि मोदी देश को तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनाने का वादा कर रहे हैं, क्या ये प्राप्य है? भारत तीसरी अर्थव्यवस्था बनेगा, ये वादा नहीं विश्वास है।
यह बजट गरीबों और मध्यमवर्ग के सपनों को पूरा करने वाला है!
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2024 में आसन्न लोक सभा चुनाव से पूर्व इस सरकार के कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट पेश किया गया।
आजादी के बाद नेहरू सरकार के शासन से बेहद दुखी थे गाँधी
देश को ब्रिटिश हुकूमत से आज़ादी वर्षों के संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को मिली और इसके साथ ही महात्मा गाँधी को आभास हो गया था कि कांग्रेस पार्टी को भंग करने का समय आ गया है। महात्मा गाँधी ने 27 जनवरी, 1948 को एक महत्वपूर्ण ड्राफ्ट तैयार किया था, जिसका शीर्षक था “Last will and Testament” (इसके बाद ही उनकी हत्या हो गयी थी, अतः इसे उनकी अंतिम इच्छा भी कहा जा सकता है।), इस ड्राफ्ट का
इंदिरा गांधी ने अचानक नहीं लगाया था आपातकाल, ये उनकी सोची-समझी चाल थी!
आपातकाल लगाने की योजना एक सोची समझी चाल थी, इसका खुलासा पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे के पत्र में आपातकाल लगाने से छह महीने पहले ही हो गया था। यह चिट्ठी तभी के कानून मंत्री ए. आर. गोखले और कांग्रेस के कई नेताओं के देखरेख में ड्राफ्ट की गई थी। इंदिरा गाँधी ने अपने एक साक्षात्कार में ज़िक्र भी किया था कि इस देश को ‘शॉक ट्रीटमेंट’ की ज़रुरत है।
यूपी की जनता ने योगी मॉडल पर लगाई मुहर
मोदी और योगी की जोड़ी ने डबल इंजन की सरकार के जरिये प्रदेश में विकास और विश्वास की नई इबारत लिखते हुए जाति के तिलिस्म को तोड़ा है।
हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भाजपा की जीत का संदेश बहुत बड़ा है
हैदराबाद की जनता ने बीजेपी को जीत दिलाकर उसके लिए तेलगू प्रदेश में रास्ता खोल दिया है। बीजेपी को मुख्य विपक्षी पार्टी बनाकर लोगों ने अपना विकल्प ढूंढ लिया है।
दो दशकों से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की अभेद्य लोकप्रियता का रहस्य क्या है ?
मोदी के साहसिक निर्णय आज तो जन-स्वीकार्य हैं ही, आने वाले सैकड़ों वर्षों तक भी उन्हें उनके इन निर्णयों के लिए याद किया जाएगा।
लाल किले की प्राचीर से आत्मनिर्भर भारत का संदेश
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ने के लिए नई शिक्षा नीति का एक बड़ा योगदान होगा, लेकिन यह कुछ महीनों में हासिल होगा, ऐसा हमें नहीं सोचना चाहिए।