कांग्रेस में राहुल राज : कांग्रेस को अब लोकतान्त्रिक मूल्यों की बात करना छोड़ देना चाहिए !
कांग्रेस का इतिहास सौ साल से ज्यादा पुराना है, इन सौ सालों में यह पार्टी इतनी कमजोर कभी नहीं थी, जितनी अभी है। राज्यों की विधान सभाओं और संसद में ही नहीं, जमीनी स्तर पर भी कांग्रेस पार्टी का सफाया हो चुका है। गावों में, कस्बों में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ है। पार्टी संगठन छिन्न-भिन्न हो चुका है। देश की राजनीती में कांग्रेस ने अपना केंद्रीय स्थान खो दिया है।
कांग्रेस का इतिहास सौ साल से ज्यादा पुराना है, इन सौ सालों में यह पार्टी इतनी कमजोर कभी नहीं थी, जितनी अभी है। राज्यों की विधान सभाओं और संसद में ही नहीं, जमीनी स्तर पर भी कांग्रेस पार्टी का सफाया हो चुका है। गावों में, कस्बों में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ है। पार्टी संगठन छिन्न-भिन्न हो चुका है। देश की राजनीती में कांग्रेस ने अपना केंद्रीय स्थान खो दिया है।
राहुल गांधी का सोमनाथ मंदिर में गैर-हिन्दू के रूप में प्रवेश गलती है या राजनीति !
राहुल गांधी शायद मंदिरों का दौरा करते-करते थक गए हैं, वर्ना वो ऐसी गलती नहीं करते जैसी कि उन्होंने सोमनाथ मंदिर में की। यह एक ऐतिहासिक भूल है, जिसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी को भुगतना पड़ सकता है। दरअसल, गुजरात के सोमनाथ मंदिर में दर्शन करने से पहले राहुल गाँधी का नाम उनके साथी ने एक ऐसे रजिस्टर में लिख दिया गया जिसमें एंट्री सिर्फ गैर-हिन्दू ही करते हैं। राहुल गाँधी का
गुजरात चुनाव : ‘राष्ट्रवादी ताकतों’ के खिलाफ चर्च की अपील का क्या होगा असर !
गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा जाति का मुद्दा उठाने के बाद अब ईसाई धर्मगुरु भी धर्म के नाम पर मतदाताओं को लुभाने की आखिरी कोशिश कर लेना चाहते हैं। जाहिर है, जब धर्म और जाति का घालमेल होता है तो विवाद खड़ा होता है। पिछले दिनों कुछ ऐसा ही हुआ जब गांधीनगर के आर्च बिशप थॉमस मैकवान ने इसाईयों के नाम खुला ख़त लिखकर उनसे “राष्ट्रवादी” ताकतों को हराने की अपील की।
विकास बनाम जातिवाद की लड़ाई का अखाड़ा बना गुजरात चुनाव
गुजरात में विधानसभा चुनाव इस बार साफ़ तौर पर विकास बनाम जातिवाद के मुद्दे पर केन्द्रित हो गया है। वैसे, आदर्श राजनीतिक व्यवस्था यही होगी कि चुनाव जातिवाद, धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठकर लड़ें जाएँ। जातिवाद को चुनावी मुद्दा बनाने के लिए हम अक्सर उत्तर प्रदेश और बिहार के नेताओं को बदनाम करते हैं, लेकिन गुजरात में कांग्रेस लगता है ये तय करके बैठी थी कि अबकी जातिवाद और आरक्षण के नाम पर ही
गुजरात चुनाव से पहले अचानक राहुल गांधी में इतना मंदिर प्रेम कैसे जग गया है ?
चुनाव के दिनों में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के मंदिरों के तूफानी दौरों से वाकई कई सवाल उठते हैं। क्या राहुल अपनी “सॉफ्ट हिंदुत्ववादी” नेता की छवि बनाकर कांग्रेस को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रहे हैं? मंदिर जाने के क्रम में ही राहुल गांधी ने अपनी भक्ति से जुड़ा एक खुलासा भी किया। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने उत्तरी गुजरात के शहर पाटन में कहा कि वह भगवान शिव के परम भक्त हैं और वह सच्चाई में यकीन
हिमाचल चुनाव : वीरभद्र सिंह पर भारी पड़ते नजर आ रहे धूमल !
हिमाचल प्रदेश के मतदाताओं की एक खासियत रही है कि हर पांच साल के बाद वे सरकार बदल देते हैं। 9 नवम्बर को होने वाले चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने पूरी ताक़त झोंक दी है। हिमाचल में बीजेपी की कमान प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल के हाथों में है, वहीं कांग्रेस के चुनावी अभियान की अगुवाई 83 वर्षीय वीरभद्र सिंह कर रहे हैं। बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार
हिमाचल प्रदेश से ग्राउंड रिपोर्ट : कांग्रेस शासित हिमाचल में हर तरफ केंद्र की योजनाओं की झलक
आप जैसे ही चंडीगढ़ से शिमला की तरफ आगे बढ़ते हैं, पहली बार आपको नज़र आता है कि नेशनल हाईवे पर जोरो-शोरों से काम जारी है। परवाणू से सोलन के बीच 39 किलोमीटर के राजमार्ग की फोरलेनिंग का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी पूरे हिमाचल में ऐसी ही 11 सड़क परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिनके पूरे होने के बाद हिमाचल में एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचना काफी आसान हो
हिमाचल प्रदेश चुनाव : मीडिया को कोई बताए कि सिर्फ गुजरात में नहीं, हिमाचल में भी चुनाव है !
इस समय देश के दो महत्वपूर्ण राज्यों हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन चुनावी चर्चा से हिमाचल लगभग पूरी तरह से गायब है। हिमाचल की धरती पर आप कदम रखेंगे तो वहां वर्तमान कांग्रेस सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है और सरकार के प्रति जनता में बेहद गुस्सा है, लेकिन इसकी झलक आपको न तो समाचार चैनलों पर देखने को मिलेगी और न ही अंग्रेजी के बड़े अख़बारों में।
स्क्रिप्ट राइटर नेता नहीं बनाते, नेता ‘परफॉर्म’ करके बना जाता है राहुल गांधी जी !
इन दिनों खबर मिल रही है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने स्क्रिप्ट राइटर बदल लिए हैं। अब वो लोग उनके लिए लिखने लगे हैं जो फिल्मों के लिए डायलॉग्स लिखते हैं और पहली कतार में बैठे लोगों की तालियाँ बटोरते हैं। राहुल गांधी सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए आजकल सस्ते फ़िल्मी हथकंडे का सहारा ले रहे हैं। चुटकुले, कहानियाँ और पहेलियाँ सुनाना उनका शगल हो गया है, जनता उन्हीं को सुनकर मनोरंजन
जय शाह पर आरोप लगाने वाला खेमा मानहानि के मुकदमे से इतना असहज क्यों है ?
पिछले दिनों एक वेबसाइट पर छपे एक लेख में बीजेपी अध्यक्ष अमित भाई शाह के पुत्र जय शाह पर उल-जुलूल तथ्यों के जरिये आरोप लगाया गया कि केंद्र भाजपा की सरकार आने के बाद उनकी कंपनी साल भर में ही अमीर बन गई। लेख की प्रकाशक वेबसाइट, जिसमें ज़्यादातर वामपंथी विचारधारा के लोग शामिल हैं, ने सियासी रंग में रंगकर इस लेख को दुनिया के सामने परोसा।