रामलीला के विश्वव्यापी रंग
मानवीय क्षमता की सीमा होती है। वह अपने ही अगले पल की गारंटी नहीं ले सकता। इसके विपरीत नारायण की कोई सीमा नहीं होती। वह जब मनुष्य रूप में अवतार लेते हैं, तब भी आदि से अंत तक कुछ भी उनसे छिपा नहीं रहता। लेकिन वह अनजान बनकर अवतार का निर्वाह करते है। भविष्य की घटनाओं को देखते हैं, लेकिन प्रकट नहीं होते देते। इसी को उनकी लीला कहा
एकता संवाद : भाजपा की एकता की कोशिशें और कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति
विविधता में एकता भारतीय राष्ट्र की प्रमुख अवधारणा रही है। लेकिन इस भावना के कमजोर पड़ने का भारत को ऐतिहासिक खामियाजा भी भुगतना पड़ा। विदेशी आक्रांताओं ने इसी का फायदा उठाया था। सैकड़ों वर्षों तक देश को दासता का दंश झेलना पड़ा। अंग्रेज भारत से जाते-जाते विभाजन की पटकथा लिख गए थे। लेकिन सरदार पटेल के प्रयासों से देश में एकता स्थापित हुई।
‘अकबर ने दुर्भावना से प्रयागराज का नाम बदला था, योगी आदित्यनाथ ने इसे सुधारा है’
कुंभ का आयोजन ग्रह नक्षत्रों के संयोग से होता है। प्रयाग कुंभ के इतिहास में नया संयोग जुड़ा। वह यह कि इस समय उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश ही नहीं, विश्व में रहने वाले हिंदुओं की आस्था का ध्यान रखा। भारत में अनेक स्थानों के पुराने नाम बहाल करने के लिए आंदोलन या अभियान चलाने पड़े। बंबई को मुम्बई नाम दिलाने का अभियान
‘ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस ने अपने कुछ नेताओं को सिर्फ पाकिस्तान की प्रशंसा में लगाया हुआ है’
ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस ने अपने कुछ नेताओं को तीर्थयात्रा और कुछ को पाकिस्तान से हमदर्दी जताने व उसका मुरीद होने पर लगाया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री के संयुक्त राष्ट्र संघ भाषण पर शशि थरूर का बयान ठंडा भी नहीं पड़ा था, नवजोत सिंह सिद्धू दुबारा सामने आ गए। उनकी नजर में पाकिस्तान बहुत अच्छा है, जबकि अपने ही देश का दक्षिणी हिस्सा उन्हें नापसंद है
गुजरात में अपने ही बुने जाल में खुद फंस गयी कांग्रेस
गुजरात में कांग्रेस का दांव उल्टा पड़ गया है। उसने उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों पर हमले से राज्य सरकार को घेरने की योजना बनाई थी, लेकिन भद्द उसीकी पिट रही है। एक आपराधिक घटना को ये ऐसा रूप देने में लगे थे, जिसकी गूंज उत्तर भारत तक सुनाई देने लगी थी। लेकिन सच्चाई जल्दी ही सामने आ गई।
ये छप्पन इंच की छाती का ही दम है कि अमेरिकी धमकियों के बावजूद रूस से रक्षा सौदा हो सका!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबित किया कि उनके लिए राष्ट्रीय हित और सुरक्षा सर्वोच्च है। इसके लिए देश के भीतर कांग्रेस और बाहर अमेरिका का विरोध उनके लिए कोई मायने नहीं रखता। उन्होंने रूस के साथ एस-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम के रक्षा सौदे को अंजाम तक पहुंचाया। अमेरिका ने इस समझौते को रोकने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। कांग्रेस राफेल की तरह इस
मायावती के झटके के बाद महागठबंधन की खिचड़ी पकना आसान नहीं
गत मई में हुआ कुमारस्वामी का शपथ ग्रहण समारोह विपक्ष के लिए किसी उत्सव से कम नहीं था। विपक्ष का शायद ही कोई बड़ा नेता ऐसा रहा हो, जिसने वहां अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई हो। जिनको कर्नाटक में कोई ठीक से जानता पहचानता नहीं था, वह भी विजेता भाव के प्रदर्शन में पीछे नहीं थे।
राम को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस की रामभक्ति पर कोई कैसे यकीन करे!
मध्यप्रदेश में कांग्रेस का नया रूप दिखाई दिया। चुनाव ने उसे रामभक्त बना दिया है। उसने ‘राम वनगमन पथ यात्रा’ निकाली। इसमें श्रीराम जानकी के जयकारे लगे। कांग्रेस द्वारा पन्द्रह दिन की यात्रा में पैंतीस विधानसभा क्षेत्रों पर नजर रखी गई। रामघाट, गुप्त गोदावरी, मैहर अमरकंटक तक राजनीतिक सन्देश दिया गया।
मायावती के झटके के बाद क्या होगा महागठबंधन का भविष्य?
मायावती जानती हैं कि गठबन्धन की बात विकल्पहीनता की स्थिति के कारण चल रही है। यदि सपा कमजोर नहीं होती तो आज भी बुआ के संबोधन में तंज ही होता। ऐसे में मायावती गठबन्धन नहीं सौदा करना चाहती हैं। गोरखपुर और फूलपुर में भी उन्होंने समझौता ही किया था। उन्होंने शर्तो के साथ ही समर्थन दिया था। इसमें उच्च सदन के लिए समर्थन की शर्त लगाई गई थी। लेकिन अखिलेश मायावती की शर्त को पूरा नहीं कर पाए थे।
माल्या पर भाजपा सरकार को फिजूल में घेरने से कांग्रेस के अपराध धुल नहीं जाएंगे!
अरुण जेटली पर दिए गए बयान से सनसनी फैलाने के बाद विजय माल्या ने स्पष्ट किया है कि यह तथाकथित मुलाकात संसद के गलियारे में अचानक हुई थी, लेकिन कांग्रेस इस बात से बेखबर हंगामा मचाने में लगी हुई है। विजय माल्या ने कहा कि मीडिया ने उसके बयान को गलत तरीके से पेश किया।