‘पत्रकारों का एक ऐसा वर्ग है जिसके लिए देश की सब समस्याएँ 2014 के बाद ही पैदा हुई हैं’
किसी भी पत्रकार को अपनी निष्पक्षता या महानता के ढिंढोरा पीटने की आवश्यकता नहीं होती, यह निर्धारण समाज स्वतः ही कर लेता है। इतना तय है कि पूर्वाग्रह से पीड़ित व्यक्ति कभी निष्पक्ष नहीं हो सकता। वह भी एक प्रकार के एजेंडे पर ही चलता है। जिसके प्रति उंसकी कुंठा होती है, उसमें भूल कर भी उसे कोई अच्छाई दिखाई नहीं देती। ऐसे लोग जब किसी न्यूज़ चैनल से
मोदी सरकार का राफेल सौदा कांग्रेस से बेहतर ही नहीं, सस्ता भी है!
राफेल विमान सौदे के सहारे कांग्रेस चुनावी उड़ान की रणनीति बना रही थी। फ्रांस के साथ हुए समझौते में घोटाले के आरोप लगाकर वह एक तीर से दो निशाने साधने का प्रयास कर रही थी। पहला, उसे लगा कि नरेंद्र मोदी सरकार पर घोटाले का आरोप लगा कर वह अपनी छवि सुधार लेगी। दूसरा, उसे लगा कि वह इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना सकेगी। लेकिन इस संबन्ध में नई
एनआरसी प्रकरण : वोट बैंक के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने पर तुले हैं विपक्षी दल
असम के राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर प्रसंग पर संसद में हंगामा हतप्रभ करने वाला है। आंतरिक सुरक्षा से जुड़े इस मुद्दे पर तो राष्ट्रीय सहमति दिखनी चाहिए थी, जबकि इसमें सभी छुटे भारतीयों का नाम दर्ज होने तय है। लेकिन कुछ लोगों के लिए यह आंतरिक सुरक्षा की जगह सियासत का मुद्दा है। जनगणना रजिस्टर पर भारत के नागरिकों के लिए कोई कठिनाई ही नहीं है।
‘सपा के पांच साल में यूपी में जितना निवेश हुआ था, उससे अधिक योगी के एक साल में ही हो गया’
उत्तर प्रदेश के इतिहास में औद्योगिक विकास का अभूतपूर्व अध्याय जुड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में 60 हजार करोड़ से ज्यादा के उद्योगों की नींव रखी जिससे लाखों की तादाद में रोजगार पैदा होंगे। नरेंद्र मोदी ने माना कि योगी आदित्यनाथ ने व्यवस्था को बदलने में सफलता की है। इसके चलते ही यह कार्य संभव हो सका।
राम नाईक : जिनकी सक्रियता यह सन्देश देती है कि राज्यपाल का पद आराम के लिए नहीं है!
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने ‘चरैवेति-चरैवेति’ शीर्षक से अपने संस्मरण लिखे हैं। वस्तुतः यह उनका निजी जीवन दर्शन भी है, जिस पर उन्होंने सदैव अमल किया है। यही कारण है कि उन्होंने राजभवन के प्रति प्रचलित मान्यता को बदल दिया। चार वर्ष का उनका कार्यकाल चरैवेति-चरैवेति को ही रेखांकित करता है।
राहुल गांधी की अजीबोगरीब हरकतें ही कांग्रेस के लिए अविश्वास प्रस्ताव का हासिल हैं !
अविश्वास प्रस्ताव सरकार को परेशान करने वाला होता है, लेकिन इस बार उल्टा हुआ। सत्ता पक्ष को बड़े उत्तम ढंग से अपनी उपलब्धियां लोगों तक पहुंचाने का अवसर मिला। विपक्ष की पूरी रणनीति ध्वस्त हो गई। इनका प्रदर्शन एक हद तक अदूरदर्शी और हास्यास्पद ही साबित हुआ।
पांच साल की सरकार का दावा करने वाले कुमारस्वामी के डेढ़ महीने में ही आंसू क्यों निकल पड़े !
कर्नाटक में जिस गठबन्धन को लेकर डेढ़ महीने पहले बंगलुरू में अखिल भारतीय जश्न हुआ था, उसके लिए अब मुख्यमंत्री कुमारस्वामी आंसू बहा रहे हैं। वैसे उन्होंने यह नहीं बताया कि वह ऐसी विषभरी स्थिति से कब बाहर निकलेंगे। लेकिन इतना तय हुआ कि यह गठबन्धन नैतिक आधार पर विफल हो चुका है।
प्रगति-पथ पर मोदी-योगी की दमदार जुगलबंदी
उत्तर प्रदेश का व्यापारिक सुगमता में दो पायदान आगे बढ़ना, नोएडा में सैमसंग की सबसे बड़ी फैक्ट्री शुरू होना, लखनऊ में उद्यमिता समिट, पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन – ये सब कुछ ही दिनों की दास्तान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास के जिस मॉडल के पक्षधर रहे हैं, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ उस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
भारत में जबतक हिन्दू बहुमत में हैं तबतक ये पाकिस्तान नहीं बन सकता, थरूर साहब !
गुजरात विधानसभा चुनाव के समय जारी कांग्रेस का जनेऊधारी संस्करण बन्द हुआ। अब लोकसभा चुनाव की तैयारी है। राहुल गांधी की वर्ग विशेष के साथ बैठक, पहले गुलाम नबी आजाद और फिर शशि थरूर के बयान यही दिखाते हैं। भारत को बदनाम करने वाली बातें यही तक सीमित नहीं हैं। पाकिस्तान के नेता भी भारत के खिलाफ बयान देते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार प्रकोष्ठ के प्रमुख हुसैन का बयान भी लगभग ऐसा ही था। उसका कहना था कि जम्मू कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर की स्थिति एक जैसी है। दोनों स्थानों पर
नोएडा में शुरू हुई दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री, पैदा होंगे रोजगार के भारी अवसर
संविधान के अनुसार सरकार में निरन्तरता होती है। प्रकृति और प्रजातन्त्र के आधार पर व्यक्ति और दल में बदलाव होता रहता है। इसी में विकास की भावना भी समाहित है। यदि कोई सरकार पांच वर्ष में आधे अधूरे कार्यो, शिलान्यास या एमयूएम तक सीमित रहती है, तो इनको पूरा करना अगली सरकार की जिम्मेदारी होती है। यह निरन्तरता के सिद्धांत का तकाजा है।