अंतर्राष्ट्रीय सर्वे में आया सामने, मोदी सरकार है दुनिया की सबसे भरोसेमंद सरकार
हाल ही में फोर्ब्स पत्रिका में छपे ओईसीडी के सर्वे में यह सामने आया है कि मोदी सरकार पर देश के 73 प्रतिशत लोग विश्वास करते हैं। अपने देश के लोगों में सर्वाधिक विश्वास कायम करने वाले दुनिया के शीर्ष तीन देशों में मोदी सरकार शुमार है। ‘गवर्नमेंट एट ग्लांस 2017’ नाम की इस सर्वे रिपोर्ट में कुल 15 देशों को जगह मिली। इस रिपोर्ट में सबसे नीचे ग्रीस (13%) और सबसे ऊपर भारत (73%) है।
ममता के संकीर्ण राजनीतिक हितों में फँसकर दंगों का प्रदेश बनने की ओर बढ़ता बंगाल !
बंगाल इन दिनों दो तरफा समस्याओं से घिरा हुआ है। एक तरफ गोरखा आन्दोलन में दार्जीलिंग डूबा हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर उत्तरी परगना जिले के बादुरिया और बाशीरहाट सांप्रदायिक तनाव से जूझ रहे हैं। इन सबमें सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में है ममता सरकार, जो इन उत्पातों को रोककर शांति कायम करने में विफल नज़र आ रही है। बंगाल में पहली बार ऐसा तनाव देखने को नही मिल रहा, बल्कि हाल के वर्षों में बंगाल में
बिहार में 23 हजार लोगों पर एक डॉक्टर है और लालू के घर डॉक्टरों की पूरी टीम तैनात कर दी गयी!
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक़ बिहार में 23 हजार लोगों पर एक डॉक्टर है, जो कि साफ़ तौर पर बिहार में डॉक्टरों की कमी की कहानी कहता है। अब जिस राज्य में डॉक्टरों की ऐसी कमी हो, वहाँ खुद स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के तीन बड़े डॉक्टरों और दो नर्सों को अपने घर पर नियुक्त कर देना एक गैरजिम्मेदाराना रवैया तो है ही, साथ ही नेताजी के सिर पर सवार हो चुके सत्ता
ईवीएम पर आरोप लगाने वालों की ईवीएम हैकिंग की चुनौती में खुली पोल !
2017 की शुरुआत में हुए पांच राज्यों के चुनावों में जब भाजपा चार राज्यों में अपनी सत्ता स्थापित करने में कामयाब रही, तबसे ही सारे विरोधी एकजुट होकर ईवीएम हैक करने की बात कहकर भाजपा पर आरोप मढ़ने लगे। यूपी चुनाव में जनता द्वारा खारिज की जा चुकीं मायावती ने ईवीएम हैकिंग का किस्सा शुरू किया, जिसे पंजाब की हार से बौखलाए केजरीवाल ने लपकने में जरा भी देर नहीं लगायी। फिर तो केजरीवाल
इस सर्जिकल स्ट्राइक ने पाकिस्तान के साथ-साथ सबूत मांगने वालों की भी बोलती बंद कर दी है !
पिछले कुछ दिनों से देश की सीमा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा फायरिंग और हमले की घटनाएं बढ़ती नज़र आ रही थीं। पाक की इन नापाक हरकतों से देश में फिर उड़ी हमले के बाद जैसा ही आक्रोश जमा होने लगा था। पिछले साल मोदी सरकार ने उड़ी हमले के जवाब में पकिस्तान पर जो सर्जिकल स्ट्राइक करवाई थी, उसकी वजह से लोगों की उम्मीद सरकार से काफी ज्यादा थी।
स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया कश्मीर के अलगाववादी नेताओं का देशविरोधी चेहरा
यूँ तो देश में अक्सर ही कश्मीरी अलगाववादियों के पाक से संबंधों को लेकर चर्चा होती ही रहती है, लेकिन अभी हाल ही में आए इंडिया टुडे के एक स्टिंग ने इस सम्बन्ध में स्थिति को विशेष रूप से चर्चा में ला दिया है। कई बार ऐसा हुआ है कि अलगाववादियों की गतिविधियों से उनका देश विरोधी रवैया सामने आया है, मगर अब इस स्टिंग ने पूरी स्थिति को एकदम ससाक्ष्य रूप से स्पष्ट कर दिया है।
ममता सरकार को लाल बत्ती से इतना लगाव क्यों है ?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भाजपा-विरोध तो जगजाहिर है, लेकिन अब वे सभी सीमाएं लांघते हुए केंद्र की भाजपा सरकार के सही फ़ैसलों का विरोध करती नज़र आ रही हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने नोटबन्दी से की, बाद में वे नीति आयोग की बैठक में अनुपस्थित रहीं जहाँ हर राज्य के मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों में विकास संबंधित मुद्दों पर विमर्श करने के लिए उपस्थित थे। इस बैठक से ममता बनर्जी के अलावा
ये कैसा हैकर है मनीष सिसोदिया जी कि बस एक रिट्वीट करके छोड़ दिया ?
आम आदमी पार्टी के बड़े नेता मनीष सिसोदिया जो दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री भी हैं, ने हाल ही में एक ऐसे ट्वीट जिसमे अन्ना हजारे को साफ़ तौर पर धोखेबाज कहा गया था, को रिट्वीट कर उसके प्रति अपना समर्थन व्यक्त कर दिया। जब इस ट्वीट के समर्थन को लेकर उनकी निंदा होने लगी तो अपने बचाव में उन्होंने वही तरीका अपनाया जिसका पाठ केजरीवाल ने अपनी पूरी कैबिनेट को बहुत अच्छे ढंग से पढाया है। उन्होंने कहा कि
तीन तलाक : मुस्लिम महिलाओं को उनका अधिकार मिलने की संभावना से घबराए मौलाना
गर्मियों की छुट्टियों में इस बार सर्वोच्च न्यायलय द्वारा स्थापित संवैधानिक पीठ तीन तलाक की वैधता पर लगातार सुनवाई करने जा रही है। पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों में प्रधानमंत्री ने न्यायधीशों से आग्रह किया था कि न्यायालय का समय बढ़ाने के विषय में सोचा जाए ताकि महत्वपूर्ण फैसलों पर सुनवाई कर उनके विषय में उचित फैसले लिए जा सके और मामला लम्बे समय तक निलंबित होने से बचा रहे जो न्यायिक प्रक्रिया में
यदि पत्थरबाज कश्मीर की आज़ादी के लिए लड़ रहे तो आप भी पत्थर उठा लीजिये, अब्दुल्ला साहब !
अब्दुल्ला ने कश्मीरी पत्थरबाजों को सही बताते हुए कहा कि वे अपने मुल्क की आज़ादी के लिए लड़ रहे हैं, इसमें कुछ भी गलत नहीं है। अब्दुल्ला से पूछा जाना चाहिए कि यदि इन कश्मीरी युवाओं का शिक्षा और रोजगार की संभावनाओं को छोड़ पत्थर उठाकर अपने ही देश के जवानों से लड़ना उनको जायज लग रहा, तो वे खुद और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला पढ़-लिखकर राजनीति में क्यों हैं; क्यों नहीं पत्थर उठाकर कश्मीर की तथाकथित आज़ादी के नेक काम में लग जाते हैं ?