नियति से भेंट का दिन ‘हिन्दू साम्राज्य दिवस’
स्वराज्य स्थापना के समय अष्टप्रधान मंडल की रचना, फारसी और अरबी भाषा के शब्दों को हटाकर संस्कृतनिष्ठ एवं मराठी शब्दों के प्रचलन पर जोर देते हुए ‘राज्य व्यवहार कोश’ का निर्माण, कालगणना हेतु श्रीराजाभिषेक शक का प्रारम्भ, संस्कृत राजमुद्रा का उपयोग, प्रशासनिक व्यवस्था, कृषि एवं श्रम सुधार, सामाजिक उत्थान, न्याय व्यवस्था, तकनीक और विज्ञान में
भाषा के प्रति बाबा साहेब का राष्ट्रीय दृष्टिकोण
बाबा साहेब भाषा के प्रश्न को केवल भावुकता की दृष्टि से नहीं देखते थे। बल्कि उनके लिए भाषा को देखने का राष्ट्रीय दृष्टिकोण था। संस्कृत हो या फिर हिन्दी, दोनों भाषाओं के प्रति उनकी धारणा थी कि ये भाषाएं भारत को एकसूत्र में बांध कर संगठित रख सकती हैं और किसी भी प्रकार के भाषायी
‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर’ को साकार करने में सफल रहे रणदीप हुड्डा
एक और अच्छी बात निर्माता–निर्देशक ने स्थापित की है कि वैचारिक या सैद्धांतिक मतभेद होने के बाद भी बड़े नेता एक–दूसरे का सम्मान करते थे। जो लोग यह स्थापित करने की कोशिश करते हैं कि वीर सावरकर महात्मा गांधी के विरोधी थे, उनको अवश्य ही यह पता होना चाहिए कि दोनों की सोच अवश्य भिन्न
जयंती विशेष : स्वदेशी के महत्व को बताता है छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन
शिवाजी महाराज ऐसे नायक हैं, जिन्होंने मुगलों और पुर्तगीज से लेकर अंग्रेजों तक, स्वराज्य के लिए युद्ध किया। भारत के बड़े भू-भाग को आक्रांताओं के चंगुल से मुक्त कराकर, वहाँ ‘स्वराज्य’ का विस्तार किया। जन-जन के मन में ‘स्वराज्य’ का भाव जगाकर शिवाजी महाराज ने समाज को आत्मदैन्य की परिस्थिति से बाहर निकाला। ‘स्वराज्य’ के
कम्युनिस्टों की हिंसक विचारधारा एवं भारत विरोधी सोच को उजागर करती है ‘बस्तर : द नक्सल स्टोरी’
फिल्म में एक संवाद है- “बस्तर की सड़कें डामर से नहीं, जवानों के खून से बनी हैं”। बस्तर की 55 किलोमीटर लंबी एक सड़क के लिए 41 जवानों का बलिदान हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस पर विशेष : वैश्विक स्तर पर हिन्दी का विस्तार
भारत के इन 75 प्रतिशत हिंदी भाषियों सहित पूरी दुनिया में लगभग 80 करोड़ लोग ऐसे हैं जो इसे बोल या समझ सकते हैं। भारत के अलावा हिन्दी को नेपाल, मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, यूगांडा, दक्षिण अफ्रीका, कैरिबियन देशों, ट्रिनिदाद एवं टोबेगो और कनाडा आदि में बोलने वालों की अच्छी खासी संख्या है। इसके अलावा इंग्लैंड,
सभी विघटनकारी शक्तियों को विफल करने का मंत्र है – भारत माता की भक्ति
देश एक करवट ले रहा है। सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक वातावरण भारत में दिखायी देने लगा है। अमृतकाल को अवसर मानकर एक बार फिर भारत अपने ‘स्व’ की ओर बढ़ रहा है।
झंडा ऊंचा रहे हमारा : अटारी बॉर्डर पर फहरा रहा है देश का सबसे ऊंचा तिरंगा
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की पहल पर एनएचएआई ने 3.5 करोड़ रुपए में अटारी बॉर्डर पर 418 फीट के नये ध्वज स्तंभ को स्थापित किया है।
अपनी संवाद कला से लोगों का दिल जीत लेते हैं प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी बोलते हैं तो देश ही नहीं, दुनिया के कान उनके वक्तव्य पर टिके होते हैं। मोदी को चाहने वाले ही नहीं, उनके आलोचक भी अत्यंत ध्यानपूर्वक उन्हें सुनते हैं।
मध्य प्रदेश : समाज को स्नेह-सूत्र में बाँधने निकले संत
मध्य प्रदेश के गाँव-गाँव जब ये संत पहुँच रहे हैं, तब समाज का विश्वास बढ़ानेवाले दृश्य दिखायी दे रहे हैं। एक ही संदेश कि हम सब एक ही माला के मोती हैं।