गौ-संरक्षण की दिशा में गुजरात सरकार का अनुकरणीय प्रयास
भारतीय संस्कृति में गाय का बड़ा महत्व है। गाय के साथ इस देश का संबंध मात्र भावनात्मक नहीं है, वरन भारतीय समाज के पोषण में गौवंश का प्रमुख स्थान रहा है। भारत में गाय धार्मिक और आर्थिक, दोनों की बराबर प्रतीक है। यही कारण है कि प्राचीन समय में गौ-धन से सम्पन्नता देखी जाती थी। गाय के प्रति सब में बराबर सम्मान और श्रद्धा थी। फिर चाहे वह भारत में आक्रांता के रूप में आए समूह हों या फिर शरण लेने
मुसलमानों को योगी का झूठा डर दिखाने वालों से सावधान रहने की ज़रूरत
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से जिन्हें प्रदेश में मुसलमानों के लिए संकट दिखाई दे रहा है, वे लोग पूर्वाग्रह से ग्रसित तो हैं ही, भारतीय समाज के लिए भी खतरनाक हैं। उनके पूर्वाग्रह से कहीं अधिक उनका बर्ताव और उनकी विचार प्रक्रिया सामाजिक ताने-बाने के लिए ठीक नहीं है। योगी आदित्यनाथ को मुस्लिम समाज के लिए हौव्वा बनाकर यह लोग उत्तरप्रदेश का सामाजिक
हिंदू-मुस्लिम एकता की भव्य इमारत खड़ी करने का अवसर
भारत के स्वाभिमान और हिंदू आस्था से जुड़े राम मंदिर निर्माण का प्रश्न एक बार फिर बहस के लिए प्रस्तुत है। उच्चतम न्यायालय की एक अनुकरणीय टिप्पणी के बाद उम्मीद बंधी है कि हिंदू-मुस्लिम राम मंदिर निर्माण के मसले पर आपसी सहमति से कोई राह निकालने के लिए आगे आएंगे। राम मंदिर निर्माण पर देश में एक सार्थक और सकारात्मक संवाद भी प्रारंभ किया जा सकता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने
कट्टरपंथ की बुरी नजर से कला-संस्कृति को बचाना होगा
असम के 46 मौलवियों की कट्टरपंथी सोच को 16 वर्षीय गायिका नाहिद आफरीन ने करारा जवाब दिया है। नाहिद ने कहा है कि खुदा ने उसे गायिका का हुनर दिया है, संगीत की अनदेखी करना मतलब खुदा की अनदेखी होगा। वह मरते दम तक संगीत से जुड़ी रहेंगी और वह किसी फतवे से नहीं डरती हैं। इंडियन आइडल से प्रसिद्ध हुई नाहिद आफरीन ने हाल में आतंकवाद और आईएसआईएस के विरोध में गीत गाए थे।
रामजस कॉलेज प्रकरण पर हंगामा, तो केरल की वामपंथी हिंसा पर खामोशी क्यों ?
रामजस महाविद्यालय प्रकरण से एक बार फिर साबित हो गया कि हमारा तथाकथित बौद्धिक जगत और मीडिया का एक वर्ग भयंकर रूप से दोमुंहा है। एक तरफ ये कथित धमकियों पर भी देश में ऐसी बहस खड़ी कर देते हैं, मानो आपातकाल ही आ गया है, जबकि दूसरी ओर बेरहमी से की जा रही हत्याओं पर भी चुप्पी साध कर बैठे रहते हैं। वामपंथ के अनुगामी और भारत विरोधी ताकतें वर्षों से इस अभ्यास में लगी
यूँ ही नहीं है किरण रिजिजू का बयान, वाकई में कम हो रही है हिन्दू आबादी
अरुणाचल प्रदेश में हिंदू जनसंख्या के सन्दर्भ में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू के बयान पर कुछ लोग विवाद खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि उनका बयान एक कड़वी हकीकत को बयां कर रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि उनके बयान पर वो लोग हायतौबा मचा रहे हैं, जो खुद को पंथनिरपेक्षता का झंडाबरदार बताते हैं। हिंदू आबादी घटने के सच पर विवाद क्यों हो रहा है, जबकि यह तो चिंता का विषय होना
लाल आतंक : केरल में बढ़ती वामपंथी हिंसा, निशाने पर संघ और भाजपा के कार्यकर्ता
‘ईश्वर का अपना घर’ कहा जाने वाला प्राकृतिक संपदा से सम्पन्न प्रदेश केरल लाल आतंक की चपेट में है। प्रदेश में लगातार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है। केरल वामपंथी हिंसा के लिए बदनाम है, लेकिन पिछले कुछ समय में हिंसक घटनाओं में चिंतित करने वाली वृद्धि हुई है। खासकर जब से केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की सरकार आई
केरल की वामपंथी हिंसा पर ‘असहिष्णुता गिरोह’ की शर्मनाक ख़ामोशी !
केरल में बढ़ती हिंसा इस बात का सबूत है कि वामपंथ से बढ़कर हिंसक विचार दूसरा कोई और नहीं है। वामपंथी विचार घोर असहिष्णु है। असहिष्णुता इस कदर है कि वामपंथ को दूसरे विचार स्वीकार्य नहीं है, अपितु उसे अन्य विचारों का जीवंत रहना भी बर्दाश्त नहीं है। इस विचारधारा के शीर्ष विचारकों ने अपने जीवनकाल में हजारों-लाखों निर्दोष लोगों का खून बहाकर उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। जिस वामपंथी नेता
भारतीय ज्ञान-परंपरा के वाहक हैं अभिनवगुप्त : जे. नंदकुमार
पिछले वर्ष तक देश में आचार्य अभिनवगुप्त के बारे में शोधार्थियों को भी अधिक जानकारी नहीं थी। परंतु, जम्मू-कश्मीर अध्ययन केन्द्र के प्रयास से देश में एक वातावरण बन गया है। आचार्य अभिनवगुप्त का विचारदर्शन चर्चा का विषय बना है। आचार्य भारतीय ज्ञान-परंपरा के वाहक हैं। उन्होंने भारतीय ज्ञान-परंपरा को सामान्य जन तक पहुंचाने के लिए महत्त्वपूर्ण रचनाएं की हैं। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के
शुचिता की राजनीति के पर्याय थे सुन्दरलाल पटवा
मध्य प्रदेश सरकार का दो बार नेतृत्व कर चुके भारतीय जनता पार्टी के नेता सुंदरलाल पटवा का निधन न केवल उनके दल बल्कि प्रदेश की समूची राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है। जितना भाजपा में उनका सम्मान था, कांग्रेस के नेता भी उतना ही मान उनको देते थे। सरल हृदय के राजनेता सुंदरलाल पटवा स्वयं भी विपक्ष का बेहद सम्मान करते थे। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि वह शुचिता की राजनीति