यूपी दंगल से पहले हारे-हारे नजर आ रहे मुलायम
मुलायम सिंह यादव इन दिनों अपने कार्यकर्ताओं को लगातार चेता रहे हैं। उनके इस चेतावनी का मकसद कार्यकर्ता से ज्यादा उन नेताओं को हड़काना नजर आता है, जो सत्ता की मलाई खा रहे हैं, जो मंत्री हैं, विधायक हैं, निगमों के पदाधिकारी हैं या जिला पंचायतों-परिषदों के अध्यक्ष, सदस्य आदि हैं। उत्तर भारत की राजनीति में नेताजी के नाम से विख्यात मुलायम बार-बार अपने नेताओं को बता रहे हैं कि कौन भ्रष्टाचार कर रहा है, कौन सत्ता की ताकत से जमीनें पर कब्जा कर रहा है, सब पर उनकी निगाह है।
काश्मीर: विलासितों के लोकतंत्र से बढ़ता आतंकवाद का खतरा
वर्तमान समय काश्मीर के सन्दर्भ में जो बुद्धिजीवी यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि काश्मीर में उत्पात मचा रहे अलगाववादी ताकतों से शांति और सद्भावना से शान्ति एवं सद्भावना की उम्मीद की जानी चाहिए, वह या तो झूठ बोलते है या फिर वह स्वयं किसी यूटोपिया में जी रहे हैं। अलगाववादी पत्थरबाजों से शान्ति की अपील इसलिए भी असंभव लगती है क्योंकि वे पिछले 69 सालो से शेष भारत से अलग और विशेष होने की विलासता में जीवन जी रहे हैं और उनको वैसे ही जीते रखने की कोशिश भी तथाकथित सेक्युलर सरकारों द्वारा की गयी है।
जाकिर नाइक के नाम खुला ख़त: पूछे गये 35 सवाल
इस्लाम और दुनिया के तमाम धर्मों के बारे में आपके ज्ञान को देखकर चकित हूं। लेकिन एक हज़ार मुद्दों पर जानकारी लेने में मेरी दिलचस्पी कम है। मैं तो बस जन्नत की हूरों के बारे में अधिक से अधिक जानना चाहता हूं। आशा है, जैसे आप भारत से भाग गए हैं, वैसे मेरे इन पैंतीस सवालों से नही भागेंगे और जवाब देंगे।
दिल्ली का निजाम बदला तो आये आतंकवादियों के समर्थकों के बुरे दिन
दुर्दांत आतंकी और हिजबुल का कमांडर बुरहान की मिजाज पुर्सी में 23 24 25 ……30 31 32 की संख्या वाली जो गिनती चल रही है ये सिर्फ गिनती नहीं है, बल्कि यह कश्मीर से गए हुए वो कुछ लोग हैं, जिन्हे आतंकी के समर्थन करने के एवज में भारतीय सेना ने उनके सही ठिकाने पर भेजा है। मेरा ख्याल है की इनकी संख्या अभी और बढ़ेगी और फिर एक खतरनाक सन्नाटे की तरह रुक जाएगी।
वाम-विलासियों के ‘अंतहीन’ विमर्श का अंत जरुरी
हमारे सभ्य समाज में सबसे महत्वपूर्ण अगर कुछ है तो वह ‘विमर्श’ है। बहस-मुबाहिसा, शास्त्रार्थ, वाद-विवाद, मतैक्य-मतभिन्नता, सहमति-असहमति, पक्ष-विपक्ष, पंचायत आदि के बिना किसी नतीजे पर पहुचना केवल तानाशाही में ही संभव है। लोकतंत्र और सभ्य समाज में तो मानवता के लिए यह प्रक्रिया एक वरदान ही है। अभिव्यक्ति की आज़ादी का सबसे सुन्दर रूप है हर पक्ष को सुनना, उन्हें अपनी बात रखने देना, विरोधी विचारों को समादर की दृष्टि से देखना।
जाकिर नाइक के चैनल के नक्शे में ‘काश्मीर’ नहीं है भारत का हिस्सा!
बांग्लादेश में हुए हमले के बाद किसको फायदा और किसको नुकसान हुआ इसका विश्लेषण तो होता ही रहेगा, लेकिन भारत में इसका फायदा यह हुआ कि इस्लाम मज़हब के प्रचारक ज़ाकिर नाइक को ले कर भारतीयों की नींद अब टूटी है और उनके क्रिया-कलापो की विवेचना शुरू हो गयी है।
रामनाथ गोयनका की आत्मा रो रही होगी अपने सम्पादक की करतूतों पर!
वर्ष 2015, जुलाई महीने के अंतिम सप्ताह में दो बड़ी घटनाएँ हुईं। देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का निधन २७ जुलाई को हुआ और उसके ठीक तीन दिन बाद मुंबई हमले के दोषी आतंकी याकूब मेनन को फांसी हुई। आज एक साल बाद देश फिर उसी मुहाने पर खड़ा है। पाकिस्तान के मशहूर समाजसेवी अब्दुल ईदी सत्तार का हाल ही में निधन हुआ है और काश्मीर में हिजबुल के कमांडर बुरहान वानी को सेना ने एक मुठभेड़ में मार गिराया है।
मोदी के कूटनीतिक दांव में फंसे चीन और पाकिस्तान
अरविंद जयतिलक: अपने दो वर्ष के ऐतिहासिक कालखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की विदेश नीति में बदलाव के एक नए युग की शुरुआत की है। उनकी सफल कूटनीति से अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान और रुस सरीखे ताकतवर देश भारत के करीब आए हैं वहीं चीन और पाकिस्तान की भारत विरोधी साझा रणनीति को करारा झटका लगा है।
अपनों से भी हार रही कांग्रेस में बिखराव और हताशा का दौर
उमेश चतुर्वेदी: कांग्रेस मुक्त भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे की अनुगूंज और हालिया विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद पस्त पड़ी देश की सबसे पुरानी पार्टी को लेकर तीन बड़ी हस्तियों के विचार इन दिनों अपनी ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
लोक-संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं लोकगीत: मालिनी अवस्थी
मालिनी अवस्थी भोजपुरी एवं अवधी लोकगीतों में एक बड़ा नाम है। बचपन से गीत-संगीत का शौक रखने वाली मालिनी अवस्थी सबसे पहले तब चर्चा में आईं जब लोगों ने इनको एनडीटीवी के एक शो में देखा। हालांकि मालिनी अवस्थी पूर्वांचल के संगीत-प्रेमियों के बीच बहुत पहले से काफी चर्चित रहीं हैं। मालिनी अवस्थी भोजपुरी संगीत