हाउडी मोदी : वैश्विक नेता बनने की ओर अग्रसर मोदी
मोदी भारत के तो यशस्वी प्रधानमंत्री हैं ही, वे एक वैश्विक राजनेता बनकर भी तेजी से उभरे हैं। यही कारण है कि वे जहां भी जाते हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। आखिर मोदी की इस लोकप्रियता का राज़ क्या है? वास्तव में मोदी ने जीवन भर जो कार्य किए हैं, परिश्रम दिखाया है और अब भी जिस तरह अपनी नयी दृष्टि व सोच के साथ देश को आगे ले जाने के लिए काम कर रहे हैं, यह उसी का परिणाम है।
वित्त मंत्री के नए ऐलानों से अर्थव्यवस्था को मिलेगी गति
भारत सहित समूचे विश्व में इन दिनों आर्थिक मंदी की बात हो रही है। लेकिन पिछले दिनों एप्पल आईफोन के सालाना लॉन्चिंग कार्यक्रम के बाद भारतीयों की ओर से इस महंगे मोबाइल फोन के लिए बड़ी संख्या में की गई बुकिंग के बाद मंदी जैसा शब्द असंगत लगने लगा। जहां तक वैश्विक मंदी की बात है, यह वर्ष 2008 में आई थी और 2009 के अंत तक इसका असर रहा था।
तमाम कोशिशों के बावजूद क़ानून के चंगुल से नहीं छूट सके चिदंबरम, भेजे गए तिहाड़
आखिरकार पी. चिदंबरम जेल की सींखचों के पीछे पहुँच ही गए। गुरुवार शाम को चिदंबरम को 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया। चिदंबरम वित्त मंत्री के साथ ही देश के गृहमंत्री भी रहे हैं। गृहमंत्री होने के नाते वे देश की केन्द्रीय जेल व्यवस्था के एक तरह से मुखिया रह चुके हैं और अब इस शक्तिशाली ओहदे से इतर वे इन्हीं जेलों में एक कैदी के तौर पर रहेंगे। जब वे गृहमंत्री थे तब
भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर प्रतिबद्ध सरकार
बीते शुक्रवार को सीबीआई ने एक अनपेक्षित और बड़ी कार्यवाही की। ब्यूरो ने पूरे देश भर में करीब डेढ़ सौ शासकीय कार्यालयों पर छापेमार कार्यवाही की जो कि पूरी तरह से औचक थी। इस अचानक हुई छापेमारी से वहां मौजूद कर्मचारियों में खलबली सी मच गई। किसी को संभलने का मौका नहीं मिला। इस कवायद का मुख्य ध्येय सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार पर रोकथाम था।
चिदंबरम का क़ानून के शिकंजे में होना भारतीय लोकतंत्र की ताकत को ही दिखाता है!
कहते हैं कि समय बड़ा बलवान होता है। इस कहावत को वैसे तो कई बार साकार होते देखा गया है लेकिन देश की राजनीति में यह कहावत अब नए संदर्भों के साथ फिर सिद्ध हुई है। एक ओहदे के नाते कभी सीबीआई के बॉस रहे चिदंबरम अब सीबीआई की हिरासत में हैं।
अनुच्छेद-370 हटने के बाद कश्मीर में हालात सामान्य रहना सरकार की बड़ी सफलता है!
जम्मू और कश्मीर में अब हालात सामान्य हो गए हैं। गत 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद-370 समाप्त करते हुए विशेष राज्य का दर्जा हटा दिया था। इसके पहले ही घाट में सुरक्षा प्रबंध चौकस थे और इसके बाद भी यहां लगातार व्यवस्थाएं पुख्ता बनी हुईं हैं।
‘सुषमा स्वराज का निधन भारतीय राजनीति की वो क्षति है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती’
सुषमा स्वराज अब हमारे बीच नहीं हैं। उनके जाने से राजनीति ही नहीं, बल्कि देश व दुनिया के समाज को भी क्षति पहुंची है। उनके जैसी महिलाएं राजनीति के क्षेत्र से आती हैं, तो समूचा समाज उनसे प्रभावित होता है, उनका लोहा मानता है। भाजपा की कद्दावर नेता और पूर्व विदेश मंत्री होने के अलावा भी वे बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी थीं।
तीन तलाक निषेध कानून : मुस्लिम महिलाओं के हितों व अधिकारों की रक्षा की दिशा में बड़ा कदम
मंगलवार का दिन देश की मुस्लिम महिलाओं के लिए अत्यंत मंगलकारी रहा। इस दिन तीन तलाक बिल पर मोदी सरकार को बड़ी सफलता मिली। लोकसभा के बाद अब यह बिल राज्यसभा से भी पारित हो गया है। अब यह कानून की शक्ल ले लेगा जिसके तहत तीन तलाक देने वाले पुरुष पर आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकेगा।
ममता के राज में हिंसा और अराजकता के बीच पिसता बंगाल
पश्चिम बंगाल इन दिनों लगातार खबरों में बना हुआ है, लेकिन ये सुर्खियां नकारात्मक और अप्रिय कारणों के चलते हैं। लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों पहले ही यहां अराजकता का माहौल बनना शुरू हो गया था जो चुनाव के बाद और गहरा गया है। पश्चिम बंगाल से लगातार हिंसा और अस्थिरता की खबरें आ रही हैं।
‘एजेंडा पहले ही नहीं था, अब संख्याबल भी नहीं रहा, फिर भी कुमारस्वामी से कुर्सी नहीं छूट रही’
कर्नाटक का सियासी घमासान राज्य के संचालन को कितना नुकसान पहुंचा रहा होगा, इस दिशा में कोई सोचने को तैयार नहीं है। हाथी निकल गया लेकिन पूंछ अटक गई है। पूरी कैबिनेट जा चुकी लेकिन कुमार स्वामी अभी भी बालहठ की तरह अपना पद पकड़े हुए हैं, मानो उनके सत्ता में बने रहने से रातोरात कोई चमत्कार हो जाएगा।