कश्मीर के राजनीतिक हल की बात करने वाले इस ‘राजनीतिक हल’ को क्यों नहीं पचा पा रहे?
कश्मीर में “कुछ बड़ा होने वाला है” के सस्पेंस से आखिर पर्दा उठ ही गया। राष्ट्रपति के एक हस्ताक्षर ने उस ऐतिहासिक भूल को सुधार दिया जिसके बहाने पाक सालों से वहां आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में सफल होता रहा, लेकिन यह समझ से परे है कि कश्मीर के राजनैतिक दलों के महबूबा मुफ्ती, फ़ारूख़ अब्दुल्ला सरीखे नेता और कांग्रेस जो कल तक यह कहते थे कि कश्मीर समस्या का हल सैन्य कार्यवाही नहीं है बल्कि राजनैतिक है, वो मोदी सरकार के इस राजनीतक हल को क्यों नहीं पचा पा रहे हैं?
तीन तलाक बिल : यह आस्था नहीं, अधिकारों की लड़ाई है!
यह वाकई में समझ से परे है कि कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष अपनी गलतियों से कुछ भी सीखने को तैयार क्यों नहीं है। अपनी वोटबैंक की राजनीति की एकतरफा सोच में विपक्षी दल इतने अंधे हो गए हैं कि यह भी नहीं देख पा रहे कि उनके इस रवैये से उनका दोहरा आचरण ही देश के सामने आ रहा है।
स्वर्णिम भविष्य के स्वप्न दिखाती नई शिक्षा नीति
बच्चे देश का भविष्य ही नहीं, नींव भी होते हैं और नींव जितनी मजबूत होगी, इमारत उतनी ही बुलंद होगी। इसी सोच के आधार पर नई शिक्षा नीति की रूप रेखा तैयार की गई है। अपनी इस नई शिक्षा नीति को लेकर मोदी सरकार एक बार फिर चर्चा में है। चूंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है, तो जाहिर है इसके विरोध में भी स्वर उठना भी स्वाभाविक था और अपेक्षा के अनुरूप स्वर उठे भी।
क्या स्मार्टफोन की लत में एक रोबोटिक समाज बनते जा रहे हम?
हाल ही में जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केअर की एक रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2011 से 2017 तक दुनिया भर में सेल्फी लेते समय 259 लोगों की मौत हुई। इनमें सबसे अधिक 159 मौतें अकेले भारत में हुईं। जब 1876 में पहली बार फोन का आविष्कार हुआ था तब किसने सोचा था कि यह अविष्कार जो आज विज्ञान जगत में सूचना के क्षेत्र में क्रांति लेकर आया है,
21 जून को योग दिवस के लिए चुनने के पीछे कोई इत्तेफाक नहीं, ठोस वैज्ञानिक कारण हैं
योग के विषय में कोई भी बात करने से पहले जान लेना आवश्यक है कि इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आदि काल में इसकी रचना, और वर्तमान समय में इसका ज्ञान एवं इसका प्रसार स्वहित से अधिक सर्व अर्थात सभी के हित को ध्यान में रखकर किया जाता रहा है। अगर हम योग को स्वयं को फिट रखने के लिए करते हैं, तो यह बहुत अच्छी बात है, लेकिन अगर हम इसे
‘बलात्कार की इन घटनाओं के लिए केवल आरोपी नहीं, समाज भी जिम्मेदार है’
हर आँख नम है, हर शख्स शर्मिंदा है, क्योंकि आज मानवता शर्मसार है, इंसानियत लहूलुहान है। एक वो दौर था जब नर में नारायण का वास था लेकिन आज उस नर पर पिशाच हावी है। एक वो दौर था जब आदर्शों नैतिक मूल्यों संवेदनाओं से युक्त चरित्र किसी सभ्यता की नींव होते थे, लेकिन आज का समाज तो इनके खंडहरों पर खड़ा है। वो कल की बात थी जब मनुष्य को अपने
क्या इस पराजय से कोई सबक लेगी कांग्रेस?
2019 के लोकसभा नतीजे कांग्रेस के लिए बहुत बुरी खबर लेकर आए। और जैसा कि अपेक्षित था, देश की सबसे पुरानी पार्टी में भूचाल आ गया। एक बार फिर हार की समीक्षा के लिए कमेटी का गठन हो चुका है। पार्टी में इस्तीफों की बाढ़ आ गई है। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस्तीफा देने पर अड़े रहे। लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता से लेकर आम कार्यकर्ता तक राहुल गांधी और उनके नेतृत्व में अपना विश्वास जता रहे हैं।
साध्वी प्रज्ञा के चुनाव में उतरने से विपक्षी दलों को इतनी तकलीफ क्यों है?
हमारे इन विपक्षी राजनैतिक दलों का यही चरित्र है कि वो तथ्यों का उपयोग और उनकी व्याख्या अपनी सुविधानुसार करते हैं। इन दलों को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर अनेक महत्वपूर्ण पदों पर बैठे नेता जो आज जमानत पर हैं और चुनाव भी लड़ रहे हैं उनसे नहीं लेकिन साध्वी से ऐतराज़ होता है। इन्हें देशविरोधी नारे लगाने के आरोपी और जमानत
‘इस चुनाव में ना तो कोई सत्ताविरोधी लहर है, ना ही विपक्ष के पक्ष में हवा’
देश में एक बार फिर चुनाव होने जा रहे हैं और लगभग हर राजनैतिक दल मतदाताओं को “जागरूक” करने में लगा है। लेकिन इस चुनाव में खास बात यह है कि इस बार ना तो कोई सत्ताविरोधी लहर है, ना ही सरकार के खिलाफ ठोस मुद्दे और ना ही विपक्ष के पक्ष में हवा। बल्कि अगर यह कहा जाए कि समूचे विपक्ष की हवा ही निकली हुई है तो भी गलत नहीं होगा। क्योंकि जो
नया भारत: जिसकी ताकत को विश्व महसूस ही नहीं कर रहा, स्वीकार भी रहा है
वो भारत जो 1971 में जेनेवा समझौते के बावजूद 90000 पाक युद्ध बंदियों और जीते हुए पाक के हिस्से के बदले अपने 54 सैनिक वापस नहीं ले पाया, आज पाक को 36 घंटे के भीतर अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते भारी घरेलू विरोध के बावजूद भारतीय पायलट बिना शर्त सकुशल लौटाने के लिए बाध्य कर देता है।