डॉ नीलम महेंद्र

‘पाकिस्तान की आधी हार हो चुकी है, अब उसपर सम्पूर्ण विजय का समय है’

यह सेना की बहुत बड़ी सफलता है कि उसने पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड अब्दुल रशीद गाज़ी को आखिरकार मार गिराया हालांकि इस ऑपरेशन में एक मेजर समेत हमारे चार जांबांज सिपाही वीरगति को प्राप्त हुए। देश इस समय बेहद कठिन दौर से गुज़र रहा है क्योंकि हमारे सैनिकों की शहादत का सिलसिला लगातार जारी है।

अगर राहुल भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं, तो ममता-माया-अखिलेश जैसों के घोटालों पर क्यों नहीं बोलते?

क्या राहुल रॉफेल डील से सचमुच असंतुष्ट हैं? अगर हाँ, तो जैसा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, उन्हें ठोस सबूत पेश करने चाहिए। अगर वो कहते हैं और मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनिल अंबानी को 30 हज़ार करोड़ रुपए दिए हैं तो इसे सिद्ध करें, कहीं न कहीं किसी ना किसी खाते में पैसों का लेनदेन दिखाएं।

इस बजट ने आम आदमी का दिल तो जीता ही है, विपक्ष की राजनीति भी ध्वस्त कर दी है!

विपक्ष भले ही वर्तमान सरकार के इस आखिरी बजट को चुनावी बजट कहे और कार्यवाहक वित्तमंत्री पीयूष गोयल के बजट भाषण को चुनावी भाषण की संज्ञा दे, लेकिन सच तो यह है कि इस आम बजट ने अपने नाम के अनुरूप देश के आम आदमी के दिल को जीत लिया है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘यह सर्वस्पर्शी, सर्वसमावेशी, सर्वोत्कर्ष को समर्पित एक ऐसा बजट है’ निस्संदेह ये बजट भारत के भविष्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के सपने जगाता है।

सामान्य वर्ग आरक्षण : सामाजिक न्याय की दिशा में एक नयी पहल

भारत की राजनीति का वो दुर्लभ दिन जब विपक्ष न चाहते हुए भी सरकार का समर्थन करने के लिए मजबूर हो गया, इसे क्या कहा जाए? कांग्रेस यह कह कर क्रेडिट लेने की असफल कोशिश कर रही है कि बिना उसके समर्थन के भाजपा सामान्य वर्ग आरक्षण बिल को पास नहीं करा सकती थी, लेकिन सच्चाई यह है कि बाज़ी तो मोदी ही जीतकर ले गए हैं। 

शहरी नक्सल : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में देश-विरोधी मंसूबों को अंजाम देने वाला गिरोह!

भारत शुरू से ही एक उदार प्रकृति का देश रहा है, सहनशीलता इसकी पहचान रही है और आत्मचिंतन इसका स्वभाव। लेकिन जब किसी देश में उसकी उदार प्रकृति का ही सहारा लेकर उसमें विकृति उत्पन्न करने की कोशिशें की जाने लगें, और उसकी सहनशीलता का ही सहारा लेकर उसकी अखंडता को खंडित करने का प्रयास किया जाने लगें तो आवश्यक हो जाता है कि वह

एनआरसी : ‘देश देख रहा है कि विपक्षी दल सरकार के विरोध और देश-विरोध के अंतर को भूल गए हैं’

आज राजनीति प्रायः सत्ता हासिल करने मात्र की नीति बन कर रह गई है, उसका राज्य या फिर उसके नागरिकों के उत्थान से कोई लेना देना नहीं है। कम से कम असम में एनआरसी ड्राफ्ट जारी होने के बाद कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया तो इसी बात को सिद्ध कर रही है। चाहे तृणमूल कांग्रेस हो या सपा, बसपा, जद-एस, तेलुगु देसम या फिर आम आदमी पार्टी।

‘शशि थरूर समझ लें कि यह देश हर हाल में हिन्दू हिन्दुस्तान था, है और हमेशा रहेगा’

वैसे तो शशि थरूर और विवादों का नाता कोई नया नहीं है। अपने आचरण और बयानों से वे विवादों को लगातार आमन्त्रित करते आएँ हैं। इस क्रम में सबसे ताजा “हिन्दू पाकिस्तान” का उनका बेहद आपत्तिजनक बयान है जिसने बड़ा विवाद खड़ा किया है और इसपर कोलकाता कोर्ट ने उन्हें समन भी भेजा है। लेकिन, इस बयान पर बात करने से पहले हमारे लिए यह जानना भी

‘हमें ऐसे युवा बनाने होंगे जो देश के सहारे आगे बढ़ने की बजाय देश को आगे बढ़ाने की सोचें’

भारत एक युवा देश है। युवाओं के मामले में हम विश्व में सबसे समृद्ध देश हैं। यानि दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा युवा हमारे देश में हैं। भारत सरकार की यूथ इन इंडिया-2017 की रिपोर्ट के अनुसार देश में 1971 से 2011 के बीच युवाओं की आबादी में 34.8% की वृद्धि हुई है। बता दिया जाए कि इस रिपोर्ट में 15 से 33 वर्ष तक के लोगों को युवा माना गया है।

लोक मंथन : अतीत की शिक्षाओं से उज्ज्वल भविष्य के निर्माण का प्रयास

आगामी 12, 13 और 14 नवंबर को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में लोक मंथन कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। जैसा कि इस आयोजन का नाम अपने विषय में स्वयं ही बता रहा है, लोक के साथ मंथन। किसी भी समाज की उन्नति में विचार-विमर्श एवं चिंतन का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है और जब इस मंथन में लोक शामिल हो जाता है तो वह उस राष्ट्र के भविष्य के लिए सोने पर सुहागा सिद्ध होता है। लेकिन, यहाँ