जब स्वामी विवेकानंद ने कहा था, “लोगों की मदद के लिए मठ की ज़मीन भी बेच देंगे”
जब स्वामी विवेकानंद के गुरुभाई ने उनसे पैसे के स्रोत के बारे में पूछा तो स्वामी जी ने कहा, “क्यों, यदि आवश्यक हो, तो हम नए खरीदे गए मठ मैदानों को बेच देंगे।”
भारतीय स्वाधीनता संग्राम में स्वामी विवेकानंद की भूमिका
स्वामी विवेकानंद मात्र 39 वर्ष 5 महीने और 24 दिन के जीवन में ही अगर उन्हीं के शब्दों में कहूँ तो 1500 वर्ष का कार्य कर गए।
देश की युवा-शक्ति के विषय में गुरूजी गोलवलकर के विचार
गुरूजी युवाओं द्वारा पूछे गए अनेक महत्वपूर्ण और सूक्ष्म प्रश्नों का बहुत ही सरलता से जवाब देते हुए अनेको बार उनका मार्ग प्रशस्त किया करते थे ।
विवेकानंद शिला स्मारक : ऐसा स्मारक जिसके निर्माण ने विभिन्न विचारधाराओं को एक कर दिया
देश-विदेश में हजारों स्मारकों का निर्माण हुआ है लेकिन शायद ही कोई ऐसा स्मारक हो जो जीवित हो। 1970 में राष्ट्र को समर्पित किया गया “विवेकानंद शिला स्मारक” एक ऐसा स्मारक है जो आज भी विवेकानंद जी के विचारों को जीवंत बनाए हुए है। 25, 26, 27 दिसंबर 1892 को स्वामी विवेकानंद ने भारत के अंतिम छोर कन्याकुमारी में स्थित शिला पर साधना करने के बाद भारत के
गुरूजी का संगठन मंत्र और तंत्र आज भी प्रासंगिक
गुरूजी को यह कदापि पसन्द नहीं था कि कोई भी सेवा-कार्य जनता पर उपकार की भावना से किया जाए। उनके अनुसार ” सेवा हिन्दू जीवन – दर्शन की प्रमुख विशेषता है।
जयंती विशेष : युवाओं में आत्मविश्वास जगाने वाले स्वामी विवेकानंद
अब समय आगया है कि हर भारतीय स्वामी विवेकानंद के सपनों का आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना योगदान दे। लेकिन यह कार्य इतना आसान नहीं है।
‘यदि आप भारत को जानना चाहते हैं, तो विवेकानंद का अध्ययन करें’
स्वामी विवेकानंद और उनके शब्द, ज्ञान और जीवन के व्यावहारिक पाठों से इतने समृद्ध थे कि प्रसिद्ध विद्वान और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने एक बार कहा था “यदि आप भारत को जानना चाहते हैं, तो विवेकानंद का अध्ययन करें। उनमें, सब कुछ सकारात्मक है और कुछ भी नकारात्मक नहीं है”।
मोदी राज में हो रहा भारत का सांस्कृतिक पुनरुत्थान
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश में प्रगति और परिवर्तन की एक अभूतपूर्व बयार चल पड़ी है। देश के सांस्कृतिक पुनरुत्थान का स्वप्न भी साकार होने लगा है।
एकनाथ रानडे : जो प्रत्येक व्यक्ति में भारतीयता के भाव को जागृत करना चाहते थे
एकनाथ जी रानडे कहते हैं कि – ”यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मेरे जीवन में न आता, तो मेरा जीवन दिशाहीन ऊर्जा का प्रवाह मात्र बनकर रह जाता।“
युवाओं के लिए प्रेरणा का माध्यम बनेगी स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा
स्वामी विवेकानंद की जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रतिमा के होने का मतलब है इस विश्वविद्यालय के हर छात्र का भारतीयता के रंग में रंग जाना,