पूर्वोत्तर भारत : मोदी राज में ख़त्म हो रहा उग्रवाद, खुल रहे विकास के द्वार
गत सप्ताह केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर भारत के मेघालय से पूर्णतः तथा अरुणाचल प्रदेश से आंशिक तौर पर अफस्पा हटाने का निर्णय लिया गया। मेघालय के ४० प्रतिशत इलाकों में ही यह क़ानून अब रह गया था, वहाँ से भी अब इसे हटा लिया गया है। वहीं, अरुणाचल प्रदेश के १६ थाना क्षेत्रों में यह क़ानून लागू था, जिनमें से आठ थाना क्षेत्रों से इसे हटाने का निर्णय गृह मंत्रालय ने लिया है
मोदी सरकार की रणनीतिक कुशलता से खत्म हो रहा नक्सलवाद !
भारत की आंतरिक सुरक्षा की चर्चा जब भी होती है, नक्सलवाद की समस्या एक बड़ी चुनौती के रूप में हमारे सामने उपस्थित हो जाती है। नक्सलवाद, भारत की शांति, स्थिरता और प्रगति के लिए एक बड़ी और कठिन बाधा के रूप में सत्तर-अस्सी के दशक से ही उपस्थित रहा है। हर सरकार अपने-अपने ढंग से नक्सलवाद से निपटने और इसका अंत करने के लिए प्रयास भी करती रही है। वर्तमान मोदी सरकार ने भी सत्तारूढ़
राशन घोटाला : क्या अगला लालू बनने की राह पर हैं केजरीवाल !
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार का तो जैसे विवादों से चोली-दामन का साथ हो गया है। एक विवाद के सुर जरा थमते नहीं कि अगला विवाद कोहराम मचा देता है। अभी पार्टी और सरकार के मुखिया अरविन्द केजरीवाल द्वारा अपने हवा-हवाई आरोपों के लिए लोगों से घूम-घूमकर माफ़ी मांगने के कारण पार्टी की फजीहत हो ही रही थी कि तभी कैग की रिपोर्ट में दिल्ली में राशन घोटाले का मामले ने आप सरकार की हवाइयां
यूपी उपचुनाव : कम मतदान होना सपा-बसपा गठजोड़ के लिए कोई ठीक संकेत नहीं है !
यूपी के दो लोकसभा क्षेत्रों गोरखपुर और फूलपुर में उपचुनाव संपन्न हो गए, जिनका परिणाम १४ मार्च को आना है। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर सीट तो केशव प्रसाद मौर्य के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद फूलपुर सीट रिक्त हुई थी। लेकिन, इन दोनों ही लोकसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में जिस तरह से पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा मतदान के प्रतिशत में भारी गिरावट आई है, उसने चुनावी पंडितों
‘शासन के मोर्चे पर विफल केजरीवाल को टकराव की राजनीति का ही सहारा है’
केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली की सत्ता में आए तीन साल का समय हो गया है, इस कालखंड में अगर उनकी सरकार पर नजर डालें तो उसके खाते में काम कम, विवाद ही ज्यादा दिखाई देते हैं। राज्यपाल और केंद्र से टकराव हो या विधायकों का लाभ के पद मामले में अयोग्य सिद्ध होना हो अथवा विपक्षी नेताओं पर उल-जुलूल आरोप लगाकर केजरीवाल का मानहानि के मुकदमों में फँसना हो, ऐसे
संतुलित विदेशनीति का बेहतरीन उदाहरण पेश करते मोदी !
याद्दाश्त को जरा पीछे ले जाएं तो अभी कुछ समय पहले की बात है, जब अमेरिका द्वारा येरुशलम को इजरायल की राजधानी बनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पेश किया गया था, लेकिन उस समय भारत ने लगभग अप्रत्याशित ढंग से उस प्रस्ताव के विरोध में अपना मत दिया था। तत्कालीन दौर में इस निर्णय को देखते हुए मोदी सरकार की विदेशनीति को लेकर कई प्रश्न उठाए गए थे और कहा गया था कि इस सरकार की विदेशनीति
कासगंज हिंसा : वे कौन लोग हैं, जिन्हें भारत में तिरंगा यात्रा भी बर्दाश्त नहीं हो रही !
गत दिनों गणतंत्र दिवस पर जब देश में एकता-अखंडता और बंधुत्व की बातें हो रही थीं, यूपी के एटा जिले के कासगंज इलाके में बाइक से तिरंगा-यात्रा लेकर निकल रहे एबीवीपी और विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ताओं पर कुछ समुदाय विशेष (इनकी हिंसक वारदातों के बाद देश में इन्हें यही कहा जाता है) के लोगों द्वारा हमला कर दिया गया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गयी। हालांकि थोड़ी देर में पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में कर
दावोस में भी गूंजेगा सशक्त भारत का संबोधन !
स्विट्ज़रलैंड के दावोस शहर में विश्व आर्थिक मंच (डब्लूईएफ) का आयोजन हो रहा है, जिसमें दुनिया भर के तीन हजार से अधिक नेता एकत्रित होने वाले हैं। भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शिरकत करेंगे। उनके साथ 6 केन्द्रीय मंत्री भी इस सम्मेलन में शामिल होंगे। यह डब्लूईएफ का 48वां सम्मेलन है, लेकिन भारत की तरफ से इसे अबसे पूर्व बहुत गंभीरता से शायद नहीं लिया जाता था।
भारत-इजरायल संबंधों में मजबूत स्थिति में भारत ही रहेगा !
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच नौ क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति कायम हुई है। कई अनुबंधों पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं। इन नौ क्षेत्रों में कृषि, तेल और गैस; सुरक्षा और साइबर तकनीक; पेट्रोलियम, फिल्म निर्माण, उड्डयन, नवीन ऊर्जा, अन्तरिक्ष और पारंपरिक चिकित्सा जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा आतंकवाद के मोर्चे पर भी दोनों देश पीड़ित हैं। इजरायल जहां
भारत सहित दुनिया भर में मोदी की बढ़ती लोकप्रियता का क्या है कारण !
भारत में तो इस समय निर्विवाद रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं, परन्तु अब यह सिर्फ भारत की बात नहीं रह गयी है। मोदी की लोकप्रियता का फलक दिन-प्रतिदिन विस्तृत से अति-विस्तृत होता जा रहा है। अभी बीते दिनों आए प्यू इंटरनेशनल के सर्वेक्षण में यह स्पष्ट हुआ था कि देश में मोदी की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है, अब गैलप इंटरनेशनल नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के सर्वेक्षण में यह सामने आया