अगर सेना के साथ सरकार को भी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का श्रेय मिल रहा तो इसमें गलत क्या है ?
गत महीने श्रीनगर के उड़ी में पाक-प्रेरित आतंकी हमला हुआ और हमारे १८ जवान शहीद हो गए। इसके बाद देश में आक्रोश का माहौल पनपा। प्रधानमंत्री मोदी ने भरोसा दिया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। बदला लिया जाएगा। फिर उच्चस्तरीय बैठकों का दौर चलता रहा। दस दिन गुजर गए। कुछ नहीं हुआ। सरकार पर सवाल उठाए जाने लगे। मोदी विरोधियों द्वारा छप्पन इंच की छाती के बयान का मज़ाक
यूपी में आमने-सामने आए लालू-नीतीश, क्या होगा महागठबंधन का भविष्य ?
जैसे-जैसे यूपी चुनाव नज़दीक आ रहा है, वैसे-वैसे सूबे में सियासी सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। लेकिन, इस यूपी चुनाव की सरगर्मी में अभी एक ऐसा समीकरण बना है, जिससे इसीसे सटे राज्य बिहार की सियासत में एक बड़े संभावित परिवर्तन का संकेत मिल रहा है। गौरतलब है कि बिहार में कभी एक-दूसरे के कट्टर राजनीतिक विरोधी रहे लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के बीच गठबंधन की सरकार चल रही
भारत के आगे रणनीतिक और कूटनीतिक दोनों ही मोर्चों पर धराशायी हुआ पाक
श्रीनगर के उड़ी में भारतीय सेना के कैम्प पर पाक-प्रेरित आतंकियों द्वारा किए गए हमले और उसमें दो दर्जन जवानों के शहीद होने के बाद से ही देश में भीषण आक्रोश का माहौल व्याप्त था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आतंकी हमले के बाद देश को आश्वस्त किया था कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन, इस देश में पिछली सरकारों के दौरान ऐसे बयानों के क्रियान्वयन के रूप में ‘कड़ी निंदा’ से लेकर पाकिस्तान
कैराना प्रकरण में फिर बेनकाब हुए सेकुलर, खुली नकली सेकुलरिज्म की पोल!
गत जून महीने में उत्तर प्रदेश के कैराना कस्बे में तीन सौ से ऊपर हिन्दू परिवारों के पलायन की बात सामने आई थी। स्थानीय भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने दावा किया था कि कैराना में बहुसंख्यक हुए समुदाय विशेष के लोगों के खौफ के कारण हिन्दू परिवार वहाँ से पलायन को मजबूर हुए हैं। भाजपा सांसद के इस दावे का तब देश की तथाकथित सेकुलर बिरादरी जिसमें नेता से लेकर बुद्धिजीवी तक शामिल थे, ने खूब
उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान को हर स्तर पर पटखनी देने में जुटी मोदी सरकार!
उड़ी में पाक प्रायोजित आतंकी हमले में सेना २१ जवानों के शहीद होने के बाद से देश में आक्रोश का माहौल है। इसका बदला लेने और पाकिस्तान को सबक सिखाने जैसी बातें कही जा रही हैं। केंद्र की मोदी सरकार भी इस हमले से बेहद दुखी और पाकिस्तान के प्रति एकदम सख्त दिख रही है। हालांकि मोदी सरकार पाकिस्तान के प्रति सख्ती तो इस हमले से पहले ही दिखा रही थी, लेकिन अब वो सख्ती बहुत
परिवारवादी पार्टियों का हश्र देखिये और समझिये कि भाजपा क्यों है पार्टी विद अ डिफरेंस!
उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में अभी जो घमासान मचा हुआ है, उसको लेकर लोग भ्रम में हैं कि इसे राजनीतिक घमासान कहें या पारिवारिक। अब चूंकि, ये सब एक राजनीतिक दल में हो रहा है तो इसे राजनीतिक घमासान कह सकते हैं, लेकिन जब उस दल की हालत पर गौर करते हैं तो स्पष्ट हो जाता है कि ये तो पारिवारिक घमासान है। बाप-बेटा, चाचा-भतीजा, भाई-भाई यही सब तो हो रहा है अभी इस
सरकार की गरीब कल्याण योजना से सुधरेगी गरीबों की हालत!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जबसे केंद्र में भाजपा-नीत राजग सरकार आई है, तबसे लेकर अबतक सरकार की तरफ एक के बाद एक अलग-अलग प्रकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरुआत की जाती रही है। जनधन योजना, कौशल विकास योजना, स्टैंडअप और स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम, उज्ज्वला योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, फसल बीमा योजना, मुद्रा बैंक योजना आदि अनगिनत
अब होगा पाक पर भारत की बलूचिस्तान नीति का असली वार!
प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रियों द्वारा जबसे बलूचिस्तान में की जा रही हैवानियत को लेकर पाकिस्तान को आड़े हाथों लेने की शुरुआत की गई है, तबसे पाकिस्तान हर तरह से एकदम बैकफुट पर नज़र आ रहा है। इसके अलावा उसके द्वारा कब्जाए गए कश्मीर का मुद्दा भी भारत अब पूरे दमखम के साथ उठा रहा है, इस बात ने पाकिस्तान को अलग हलकान किया हुआ है। चीन, अमेरिका जैसे उसके वैश्विक साझीदार
यूपी चुनाव आते ही फिर बढ़-चढ़कर हिलोरें मारने लगा मुलायम का मुस्लिम प्रेम!
यूपी चुनाव में अब बहुत अधिक समय शेष नहीं है। अगले ही साल चुनाव होने हैं। अब चुनाव की आहट पाते ही यूपी की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का मुस्लिम प्रेम जो पहले भी बाहर आता रहा है, अब और सिर चढ़कर बोलने लगा है। अब अभी पिछले दिनों उन्होंने कार सेवकों पर गोली चलवाने वाले मामले पर कहा था कि अगर मस्जिद बचाने के लिए सोलह की बजाय तीस जानें जातीं तो भी
दिल्ली में तो सरकार चल नहीं रही और पंजाब में खूंटा गाड़ने चले हैं केजरीवाल!
दिल्ली चुनाव के समय दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शिला दीक्षित के घोटालों के खिलाफ तीन सौ पन्ने के सबूत अपने साथ लेकर घूमने वाले अरविन्द केजरीवाल जब पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली की सत्ता में आए तो वे तीन सौ पन्ने के सबूत की बात केजरीवाल ऐसे भूले कि फिर कभी उनके श्रीमुख से उनका जिक्र भी सुनने में नहीं आया। आज वे लगभग डेढ़ साल से दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन शिला दीक्षित के विरुद्ध एक