यूएई की मदद का झूठ फैलाने वाले वही लोग हैं जिन्हें ‘क़यामत’ में भी सियासत दिखती है!
केरल इन दिनों बाढ़ की भीषण विभीषिका से दो-चार हो रहा है। बड़ी संख्या में लोग मृत, विस्थापित और घायल हुए हैं। केरल में वामपंथी मोर्चे की सरकार है जिसपर राज्य में भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं की हत्या करवाने और हत्यारों को बचाने का आरोप लगता रहा है। बावजूद इसके भाजपानीत केंद्र सरकार ने बाढ़ की इस आपदा के समय बिना देरी के केरल की मदद को
अटल जी कोई शौकिया कवि नहीं थे, बल्कि कवित्व उनके स्वभाव में रचा-बसा था!
देश का बहत्तरवां स्वतंत्रता दिवस एक ऐसी तारीख के रूप में इतिहास में दर्ज हो चुका है, जिसके अगले ही दिन राजनीतिक जीवन में नैतिक निष्ठा और वैचारिक शालीनता के पर्याय, समावेशी राजनीति के अग्रदूत, जनप्रिय नेता, प्रखर वक्ता, काल के कपाल पर जीवन के गीत लिखने वाले मूर्धन्य कवि और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 93 वर्ष की अवस्था में मृत्यु
अखिलेश जिस तरह एक्सप्रेसवे का श्रेय लेते थे, उसी तरह इस हादसे की जिम्मेदारी क्यों नहीं ले रहे?
21 नवम्बर, 2016 की तारीख थी, जब उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया था। इस एक्सप्रेसवे को उनका ड्रीम प्रोजेक्ट बताया गया था। इसपर लड़ाकू विमान उड़ाए गए थे। इसके बाद यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान यह एक्सप्रेसवे अखिलेश यादव के ‘काम बोलता है’ नारे की पृष्ठभूमि में चमचमाता रहा था।
कांग्रेस आज जिस अहंकार से ग्रस्त दिखती है, उसकी जड़ें नेहरू के जमाने की हैं!
कल लोकसभा में तेदेपा द्वारा लाया गया और कांग्रेस आदि कई और विपक्षी दलों द्वारा समर्थित अविश्वास प्रस्ताव प्रत्याशित रूप से गिर गया। अविश्वास प्रस्ताव पर हुए मतदान में कुल 451 सांसदों ने मतदान किया जिसमें सरकार के पक्ष में 325 और विपक्ष में 126 मत पड़े। इस प्रकार 199 मतों से सरकार ने विजय प्राप्त कर ली। लेकिन इससे पूर्व अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा में पक्ष-
सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसीकी हार-जीत नहीं, केजरीवाल की बहानेबाजी पर ‘ब्रेक’ है !
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच लम्बे समय से चल रही अधिकारों की जंग पर आज देश की सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुनाया। इससे पूर्व यह मामला उच्च न्यायालय में भी चला था, तब उच्च न्यायालय ने उपराज्यपाल को प्रमुख प्रशासनिक शक्ति माना था। सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय से जरा अलग रुख लेते हुए दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के मध्य शक्ति
अंग्रेजों और वामपंथियों के ऐतिहासिक झूठों को राखीगढ़ी-सिनौली की खोजों ने किया बेनकाब
जून, 2018 का महीना इस बात के लिए याद किया जाएगा कि इस महीने में ऐसी दो ऐतिहासिक खोजें सामने आईं, जिन्होंने भारत के प्राचीन इतिहास पर लिखी गयी अबतक की तमाम पुस्तकों को बेमानी साबित कर दिया है। हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी गाँव और उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सिनौली गाँव से सम्बंधित इन दोनों ऐतिहासिक खोजों ने वैदिक युग, आर्य
केजरीवाल सरकार का धरना विरोध कम, काम से बचने का ‘इंतजाम’ ज्यादा लगता है !
नयी तरह की राजनीति के वादे के साथ सत्ता में आए अरविंद केजरीवाल ने अपने तीन सालों से अधिक के कार्यकाल में दिखा दिया है कि ‘नयी राजनीति’ से उनका क्या मतलब था। लोग समझ चुके हैं कि ‘नयी राजनीति’ के नाम पर उन्हें केवल ठगा गया। वास्तव में ‘नयी राजनीति’ से केजरीवाल का इशारा राजनीति की पुरानी व्यवस्थाओं में परिवर्तन की तरफ नहीं बल्कि नए तरह
‘अजीब’ पीएम मोदी का फिटनेस वीडियो नहीं, ‘अजीब’ राहुल गांधी का उसपर हँसना है !
2019 के चुनाव में विपक्षी एकता की कवायद को गति देने की कोशिश के रूप में बीते दिनों राहुल गांधी ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इसमें तृणमूल कांग्रेस, वाम आदि कई विपक्षी दलों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। यहाँ तक सब ठीक चल रहा था, लेकिन राहुल गांधी तो राहुल गांधी हैं, उनका कोई भी काम तब तक पूरा नहीं होता, जबतक वे उसमें मोदी का नाम न ले लें और
प्रणब मुखर्जी की बातों पर संघ तो खरा उतरता है, मगर कांग्रेस नहीं
कांग्रेसी नेताओं की तमाम आपत्तियों और यहाँ तक कि अपनी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी की चेतावनी को भी अनदेखा करते हुए देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संघ के कार्यक्रम में पहुंचे और स्वयंसेवकों को संबोधित किए। जबसे प्रणब दा ने संघ के आमंत्रण को स्वीकृति दी थी, देश के राजनीतिक महकमे में एक उथल-पुथल का वातावरण बन गया था। भाजपा के खेमे प्रसन्नता देखी जा रही
भ्रष्टाचार के इतने आरोपों के बाद भी इस्तीफा क्यों नहीं देते केजरीवाल ?
आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की सता पर पिछले तीन साल से काबिज हैं। 2015 में मतदाताओं ने उनके भ्रष्टाचार विरोधी और लोक कल्याण समर्थक वादों से प्रभावित होकर उन्हें भारी-भरकम बहुमत देकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया था। लेकिन, तीन सालों से अधिक के अपने कार्यकाल में केजरीवाल की सरकार अपने काम के लिए नहीं, कारनामों के लिए ही चर्चा में