प्रहलाद सबनानी

आत्मनिर्भर भारत : लोकल को ग्लोबल बनाने हेतु प्रयासरत मोदी सरकार

हमारे देश का बहुत बड़ा बाज़ार ही हमारे लिए सबसे बड़ी पूँजी है। केंद्र सरकार बड़ी तेज़ी से देश में कई क्षेत्रों में आर्थिक सुधारों को लागू कर रही है ताकि देश के व्यवसाय को स्थानीय से वैश्विक स्तर तक पहुँचाया जा सके।

मोदी सरकार के प्रयासों से देश की अर्थव्यवस्था में महती भूमिका निभाने को तैयार हो रहा कृषि क्षेत्र

वर्तमान ख़रीफ़ 2020 के मौसम में देश में 1095 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में बुआई का कार्य सम्पन्न किया जा चुका है जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 1030 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में बुआई का कार्य सम्पन्न हुआ था।

केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों से भारतीय अर्थव्यवस्था का बदलता स्वरूप

कोरोना वायरस महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप कुछ बदलने की राह पर जाता दिखाई दे रहा है।

मोदी सरकार की नीतियों से भारत में वित्तीय समावेशन को मिल रही गति

केंद्र में वर्तमान मोदी सरकार के कार्यभार ग्रहण करने के बाद से तो वित्तीय समावेशन के कार्यान्वयन में बहुत अधिक सुधार देखने में आया है।

लगातार मजबूत हो रहे भारत-अमेरिका आर्थिक संबंध

हाल के समय में भारत और अमेरिका के बीच आपस में व्यापार और निवेश के सम्बंध  मज़बूत होते जा रहे हैं। विशेष तौर पर विदेशी व्यापार के क्षेत्र में अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा साझीदार बन गया है।

कोरोना संकट से उबरकर तेजी से पटरी पर लौटती भारतीय अर्थव्यवस्था

कई अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थान भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वर्ष 2021-22 में 9 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि की सम्भावनाएँ व्यक्त कर रहे हैं।

केंद्र सरकार द्वारा जारी अध्याधेश से सहकारी बैंकों में होगा भारी सुधार

इस अध्यादेश का उद्देश्य बेहतर गवर्नेंस और निगरानी सुनिश्चित करके जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा करना है। अध्यादेश के अन्य दूरगामी उद्देश्य भी है।

कोरोना काल में भी वैश्विक वित्तीय संस्थानों के भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसे की वजह क्या है?

वैश्विक स्तर पर कई वित्तीय संस्थानों जैसे विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आदि ने वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर कोरोना महामारी के कारण होने वाले सम्भावित प्रभाव का आँकलन करने का प्रयास किया है।

गेम चेंजर साबित हो सकता है गरीब कल्याण रोजगार अभियान

इस योजना से न केवल गाँवों से शहरों की ओर हो रहे मज़दूरों के पलायन को रोका जा सकेगा बल्कि इस क़दम से ग्रामीण विकास को भी गति मिलेगी।

भारत में तेजी से बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार के क्या हैं कारण ?

ये निवेश तब हुआ है जब पूरी दुनिया में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का स्तर लगातार कम हो रहा है। आज विदेशी निवेशकों का भारत पर भरोसा बढ़ा है।