कोरोना संकट में भी पूरा विश्व जता रहा है भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा
भारतीय इतिहास में पहली बार देश में विदेशी मुद्रा भंडार ने 500 बिलियन (50,000 करोड़) अमेरिकी डॉलर के आँकड़े को पार करते हुए 501.70 बिलियन (50,170 करोड़) अमेरिकी डॉलर के स्तर को छुआ है।
मील का पत्थर साबित होगी नई कोयला खनन नीति
कोयला मंत्रालय में हुए एक मंथन के अनुसार, वर्ष 2023-24 तक कोयले के आयात को ख़त्म कर देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
ये तथ्य बताते हैं कि कोरोना संकट के बीच धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है भारतीय अर्थव्यवस्था
कोरोना संकट के बीच देश में मोदी सरकार द्वारा सही समय पर अनुकूल निर्णय लिए जाने के कारण देश में व्यापारिक गतिविधियाँ शीघ्रता से सामान्य स्थिति प्राप्त करती जा रही हैं
नए क्रांतिकारी आर्थिक सुधार कार्यक्रम से कृषि क्षेत्र को लगेंगे पंख
अभी हाल ही में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कृषि क्षेत्र के विकास हेतु जिस 11 सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा की गई है वह कृषि क्षेत्र के लिए एक विशाल परिवर्तक के तौर पर सिद्ध होने जा रहा है एवं इसके कारण कृषि क्षेत्र में निजी निवेशक अपने निवेश को बहुत भारी मात्रा में बढ़ा सकेंगे
अभिनव आर्थिक उपायों से देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में जुटी सरकार
तरलता की समस्या सबसे पहले हल किए जाने का प्रयास हो रहा है ताकि देश की अर्थव्यवस्था, जो देश के नागरिकों को कोरोना महामारी से बचाने के उद्देश्य से किए गए लॉक डाउन के चलते, जाम हो गई है उसे तरलता की चिकनाई प्रदान कर अब पुनः चालू किया जा सके।
एमएसएमई क्षेत्र की मजबूती से निकलेगा आत्मनिर्भर भारत का रास्ता
कृषि क्षेत्र के बाद, एमएसएमई क्षेत्र में रोज़गार के सबसे अधिक अवसर निर्मित होते हैं। 73वें राष्ट्रीय सैम्पल सर्वेक्षण के अनुसार, देश में एमएसएमई क्षेत्र में 6.34 करोड़ इकाईयाँ कार्यरत थीं, ज़िनके माध्यम से 11.1 करोड़ व्यक्तियों (4.98 करोड़ ग्रामीण क्षेत्रों में एवं 6.12 करोड़ शहरी क्षेत्रों में) को रोज़गार उपलब्ध कराया जा रहा था।
भारत सहित विश्व व्यापार पर कैसा होगा कोरोना संकट का प्रभाव ?
भारत में परिस्थितियाँ, अन्य विकासशील देशों की तुलना में, थोड़ी अलग हैं। भारत में एक बहुत बड़ा बाज़ार उपलब्ध है। स्थानीय स्तर पर निर्मित किए जाने वाले विभिन्न उत्पादों को आसानी से भारत में ही खपाया जा सकता है। भारत को आर्थिक विकास के सम्बंध में बहुत अधिक चिंता करने की शायद आवश्यकता नहीं है।
कोरोना संकट के दौर में मोदी सरकार की जैम योजना से गरीबों तक आसानी से पहुँच रही मदद
भारत एक विशाल देश है, जिसकी आबादी 130 करोड़ से भी अधिक है। कोरोना वायरस महामारी के चलते देश में 80 करोड़ लोगों को सहायता की राशि पहुँचाना कोई आसान कार्य नहीं था। परंतु, मोदी सरकार द्वारा अत्यंत सफलता पूर्वक लागू की गई जनधन-आधार-मोबाइल (JAM) योजना के प्रभावी रूप से किए गए उपयोग ने इसे बहुत हद तक आसान बना दिया।
लॉकडाउन के बावजूद सप्लाई चेन को मज़बूत रखने में सफल रही है मोदी सरकार
पूरे विश्व में फैली कोरोना वायरस की महामारी के कारण भारत में इस महामारी को रोकने के उद्देश्य से पहले इक्कीस दिन और फिर उन्नीस दिन का लॉकडाउन लागू किया गया है जिसके चलते देश भर की अधिकतर उत्पादन इकाईयाँ बंद कर दी गईं एवं आर्थिक गतिविधियों सहित विभिन्न अन्य सामान्य प्रकार की गतिविधियों को भी रोक दिया गया।
बेहतर एवं सस्ती चिकित्सा सुविधाओं के चलते मेडिकल टूरिज्म का हब बनने की ओर बढ़ता भारत
विश्व के कई देशों यथा चीन, इटली, स्पेन, फ़्रांस, जर्मनी, ईरान, अमेरिका एवं अन्य कई यूरोपीयन देशों में तो कोरोना वायरस ने सचमुच में ही महामारी का रूप ले लिया है क्योंकि इन देशों मे मरीजों की संख्या अब लाखों में पहुंच गई है। पूरे विश्व में कोरोना वायरस से प्रभावित मरीजों की संख्या 18.27 लाख का आंकड़ा पार कर गई है