मोदी सरकार में संशयमुक्त हो राष्ट्रीय हितों का प्रभावी साधन बनी भारतीय विदेश नीति
भारतीय विदेश नीति में यह पहला ऐसा दौर है जब वैश्विक संगठनों, वैश्विक मंचों और बहुराष्ट्रीय घटनाक्रमों में भारत मूकदर्शक नहीं, इनका सक्रिय भागीदार है।
मोदी सरकार की योजनाओं का दिख रहा असर, विश्व बैंक के अनुसार देश में कम हुई गरीबी
भारत में गरीबी पिछले एक दशक में 12.3 प्रतिशत कम हुई है। पिछले दो साल से महामारी की चुनौतियों से जूझते रहने के बावजूद गरीबी में कमी का यह आंकड़ा मन को सुकून देने वाला है।
महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध मोदी सरकार
बीते कुछ वर्षों से केन्द्र सरकार की तरफ से महिलाओं के हित में अनेक ऐसे कदम उठाए गए हैं, जिससे वे अपनी प्रगति का स्वर्णिम इतिहास रच सकें।
जन औषधि योजना : आम लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध करवाने की दिशा में क्रांतिकारी पहल
मोदी सरकार द्वारा जनता के लिए प्रारंभ की जाने वाली कई महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है- जन औषधि योजना। इस योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2015 को किया गया था।
कश्मीरी पण्डितों की पीड़ा पर अट्टहास केजरीवाल की अमानवीय राजनीति को ही दर्शाता है
जो केजरीवाल जे एन यू में भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे लगाने वालों का समर्थन करते है, उनसे भारत की जनता इससे अलग की अपेक्षा भी क्या कर सकती है!
दुर्भाग्यपूर्ण है हिजाब प्रकरण पर कट्टरपंथी नेताओं की राजनीति
दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन बच्चों को स्कूल जाना चाहिए, परीक्षा में बैठना चाहिए वहां अनेक छात्राएं “पहले हिजाब और बाद में किताब” का नारा लगा रही हैं।
यूपी चुनाव : डबल इंजन की सरकार पर जनता ने जताया भरोसा
डबल इंजन की सरकार के जरिये यूपी अपराध मुक्त एवं सुशासन युक्त होकर एक नए रूप में उभर रहा है, जिसका जनता ने खुलकर स्वागत किया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच विश्व पटल पर दिखा भारत की विदेश नीति का दम
रूस व अमेरिका दोनों के साथ संबंधों को साधना हो, इन सभी नीतियों के द्वारा भारत ने विदेश नीति के नए मानदंड स्थापित किए किए हैं।
संगीन आरोपों और गिरफ़्तारी के बावजूद नवाब मलिक का इस्तीफा क्यों नहीं ले रहे उद्धव ठाकरे ?
सवाल ये है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, मलिक की गिरफ्तारी के बावजूद उनसे इस्तीफा क्यों नहीं ले रहे? कहीं इन सबके पीछे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद कोई प्रभाव तो नहीं जो उद्धव सरकार द्वारा मलिक से इस्तीफा तक नहीं मांगा जा रहा है ?
हर्षा की हत्या पर व्याप्त ‘सेक्युलर मौन’ से उठते सवाल
हर्षा ने फेसबुक पर अपनी एक पोस्ट के जरिए स्कूल में हिजाब के विरुद्ध स्कूल ड्रेस का समर्थन किया था, जिसके बाद 5 लोगों ने मिलकर उनकी चाकू मारकर हत्या कर दी।