मोदी जिस आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे, वो कांग्रेसी सरकारों के एजेंडे में कभी था ही नहीं
12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट के दौर में अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बीस लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का एलान किया। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में सुधार की बात कही ताकि आत्मनिर्भर भारत का ख्वाब हकीकत में बदल सके।
आधुनिक कृषि बाजार के विकास की दिशा में प्रयासरत है मोदी सरकार
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक बार कहा था कि “सब कुछ इंतजार कर सकता है, लेकिन खेती नहीं”। दुर्भाग्यवश खेती की दुर्दशा उन्हीं के कार्यकाल में शुरू हो गई लेकिन उसकी मूल वजहों की ओर ध्यान नहीं दिया गया। इसके बाद हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, पीली क्रांति जैसे फुटकल उपाय किए गए।
आपदा की इस घड़ी में तो अपनी वोटबैंक की संकीर्ण राजनीति से बाज आए कांग्रेस!
घर लौट रहे मजदूरों को किराया देने की घोषणा कर वाहवाही लूटने का उतावलापन दिखाने वाली कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी को पहले यह बताना चाहिए कि केंद्र व राज्यों में पचास साल तक कांग्रेस के एकछत्र शासन के बावजूद देश का संतुलित विकास क्यों नहीं हुआ?
‘जब पूरा देश कोरोना के खिलाफ लड़ रहा, तब कांग्रेस केंद्र सरकार से लड़ रही है’
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस गंभीर वैचारिक द्वंद्व में फंस चुकी है। अनुच्छेद-370 समाप्त करने, नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) पर तो उसके नेताओं में परस्पर विरोध था ही, अब कोरोना संकट में भी पार्टी के अंतर्विरोध उभरकर सामने आ रहे हैं।
नौकरशाही की तस्वीर बदलने से बढ़ रही देश की क्षमता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को दुनिया की महाशक्ति बनाने की दूरदर्शी योजना पर काम कर रहे हैं। मोदी सरकार के पिछले छह वर्षों के कार्यकाल में कई बार यह प्रमाणित हो गया कि जब भारत बोलता है तो दुनिया सुनती है। एक दौर वह था जब भारत अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मामलों में अपना स्वतंत्र रूख न अपनाकर विश्व की महाशक्तियों के भरोसे रहता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र
कोरोना आपदा ने समझाया कि क्यों जरूरी है नागरिकों का डाटाबेस
जो लोग मोदी सरकार की डिजिटल इंडिया, बैंक खातों-राशन कार्डों को आधार संख्या से जोड़ने, प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण जैसी अनूठी मुहिम का निजता के हनन के नाम पर विरोध कर रहे थे उन्हें बताना चाहिए कि यदि ये उपाय न किए गए होते तो क्या कोरोना आपदा के समय करोड़ों लोगों के बैंक खातों तक तुरंत मदद पहुंच पाती?
कोरोना संकट की रोकथाम के लिए सभी मोर्चों पर तत्परतापूर्वक कदम उठा रही सरकार
पूरे विश्व में कोरोना संक्रमण के मामले लगातर बढ़ रहे हैं। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि चिकित्सा सुविधाओं के मामले में दुनिया भर में मानक स्थापित करने वाले इटली, स्पेन, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देशों पर कोरोना कहर बरपा रहा है। दरअसल ये देश कोरोना संक्रमण के दूसरे व तीसरे चरण की भयावहता का अनुमान लगाने में विफल रहे। गौरतलब है कि जिन
कांग्रेस में बढ़ता ही जा रहा परिवारवादी राजनीति का वर्चस्व
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी छोड़ भाजपा में आने से साबित हो गया कि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी परिवारवाद से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। वैसे तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा के कई कारण हैं लेकिन सबसे अहम कारण है, कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के लिए रास्ता साफ़ रखना।
स्वास्थ्य क्षेत्र की तस्वीर बदलने में जुटी मोदी सरकार
आजादी के बाद से सरकारें बिजली, पानी, सड़क, अस्पताल के ख्वाब दिखाती रहीं लेकिन वे ख्वाब हकीकत में नहीं बदले। हां, इन ख्वाबों को दिखाने वाले नेताओं की गरीबी जरूर दूर हो गईं। इसका नतीजा यह हुआ कि बहुसंख्यक जनसंख्या मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसती रह गई। जब-जब ख्वाब दिखाने का नारा कमजोर दिखा तब-तब चालाक नेताओं ने जाति-धर्म-क्षेत्र–
नागरिकता संशोधन क़ानून के देशव्यापी समर्थन से सेकुलर गिरोह में बढ़ती बेचैनी
जैसे-जैसे नागरिकता संशोधन कानून का देश भर में समर्थन बढ़ रहा है वैसे-वैसे कांग्रेस-वामपंथ समर्थक सेकुलर खेमे में बेचैनी बढ़ती जा रही है। इस बेचैनी की अभिव्यक्ति के लिए मुसलमानों और विश्वविद्यालयों के वामपंथी रूझान वाले छात्रों को ढाल बनाकर देश विरोधी नारे लगवाए जा रहे हैं। अब तो ये कश्मीर से आगे बढ़कर पश्चिम बंगाल, असम और