घटती लोकप्रियता की हताशा में सस्ती राजनीति पर उतरे केजरीवाल
कांग्रेस से गठबंधन में नाकाम रहने, आप विधायकों के पार्टी छोड़ने, घटती लोकप्रियता जैसे कारणों से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती दिख रही है। इसीलिए वह नुस्खे की राजनीति पर उतर आए हैं।
मोदी के नेतृत्व ने स्वच्छता को जनांदोलन बना दिया!
साफ-सफाई के बहुआयामी लाभों के बावजूद भारत इस मामले में पिछड़ा रहा तो इसका कारण यह है कि आजाद भारत की सरकारों की प्राथमिकता सूची में स्वच्छता को कभी जगह ही नहीं मिली। साफ-सफाई को जनांदोलन का रूप नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कुप्रवृत्ति को बदल दिया। “मोदी है तो मुमकिन है” का ही नतीजा है कि आज पूरा देश स्वच्छता के प्रति सजग हो चुका है।
मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक कामयाबी है मसूद अजहर का अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित होना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं पर उंगली उठाने वाले, उन्हें अनिवासी प्रधानमंत्री की उपाधि देने वाले नेता-बुद्धिजीवी-मीडिया की तिकड़ी उस समय खामोश हो गई जब संयुक्त राष्ट्र ने आतंक का पर्याय बने मौलाना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया।
करोड़ों लोगों को गरीबी के दलदल से निकालने में कामयाब रही मोदी सरकार
इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि देश में गरीबी मिटाने की सैकड़ों योजनाओं के बावजूद गरीबी बढ़ती गई। हां, इस दौरान ज्यादातर सत्ताधारी कांग्रेस से जुड़े नेताओं, ठेकेदारों, भ्रष्ट नौकरशाहों की कोठियां जरूर गुलजार होती गईं। यह भ्रष्टाचार का ही नतीजा है कि आजादी के सत्तर साल बाद भी हम गरीबी, बेकारी, बीमारी, अशिक्षा के गर्त में आकंठ डूबे हुए हैं। आज जब
कांग्रेस के इंकार के बाद अलग-थलग पड़े केजरीवाल
कांग्रेसी भ्रष्टाचार की पैदाइश अरविंद केजरीवाल ने खुलेआम अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि वे कभी भी कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेंगे। इसके बावजूद अरविंद केजरीवाल कई महीनों से कांग्रेस से गठबंधन की भीख मांगते फिर रहे थे। यहां तक कि केजरीवाल एक रात शीला दीक्षित के घर के बाहर भी बैठे रहे लेकिन कांग्रेस ने केजरीवाल को
दवा उद्योग के मामले में देश को आत्मनिर्भर बना रही मोदी सरकार
इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यहां सेहत का सवाल शायद ही कभी अहम मुद्दा बनता हो। चुनाव लोक सभा के हों या विधान सभाओं के, सेहत के सवाल पर ज्यादातर राजनीतिक दल चुप्पी साधे रहते हैं। हां, इस दौरान वे मुफ्त बिजली-पानी, कर्ज माफी जैसे वोट बटोरू वायदों का पांसा फेंकने में नहीं चूकते हैं।
बिजली क्रांति: मोदी राज में हुई लालटेन युग की विदाई
एक बड़ी विडंबना यह है कि पूरा विपक्ष एक होकर जितना जोर नरेंद्र मोदी को हराने में लगा रहा है, उसका दसवां हिस्सा भी भाजपा को हराने में नहीं। आखिर मोदी के नाम पर विपक्ष को चिढ़ क्यों है इसे पिछले पांच वर्षों में नरेद्र मोदी के प्रयासों से देश में हुई अनेक विकासात्मक क्रांतियों में से एक बिजली क्रांति से समझा जा सकता है।
रोजगार पर जुमलेबाजी कर रहे हैं राहुल गांधी
एक ओर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस की सरकार बनने पर मार्च 2020 तक 22 लाख सरकारी पदों को भरने का चुनावी वादा कर दिया है, तो दूसरी ओर कांग्रेस के घोषणापत्र में हर साल 4 लाख सरकारी नौकरियां देने की बात कही गई है। ऐसे में राहुल गांधी अतिरिक्त 18 लाख नौकरियों की बात किस आधार पर कर रहे हैं?
मजबूत सरकार से ही मजबूत बनेगा देश
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने देश के चहुंमुखी विकास के लिए केंद्र में अगले दस साल के लिए एक स्थायी और निर्णायक फैसले लेने वाली सरकार की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि देश गठबंधन या अस्थिर सरकारों का जोखिम नहीं उठा सकता। सरदार वल्लभभाई पटेल स्मृति व्याख्यान के तहत “भारत-2030 : मार्ग के अवरोध” विषय पर बोलते हुए डोभाल ने
परिवहन के क्षेत्र में एक नयी बिजली क्रांति लाने में जुटी मोदी सरकार
बिजली से चलने वाले वाहन अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी मुफीद साबित होंगे। इसी प्रकार इलेक्ट्रिक वाहन पेरिस जलवायु समझौते की शर्तों के अनुपालन में भी मददगार बनेंगे। इतना ही नहीं इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ आने वाली स्वचालन तकनीक से सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।