अनगिनत बेगुनाहों के खून से सना है कांग्रेसी पंजा!
कहा जाता है कि देर से मिला न्याय अन्याय के बराबर होता हे। दुर्भाग्यवश हिंदुस्तान में यह कहावत अक्सर चरितार्थ होती रही है। सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि जिन सरकारों पर दोषियों को सजा दिलवाने का दायित्व था, वे सरकारें ही दोषियों को बचाने की जी तोड़ कोशिश करती रहीं।
खेती-किसानी की बदहाली के लिए जिम्मेदार हैं कांग्रेसी सरकारें
किसानों को खुशहाल बनाने के लिए मोदी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को अधिक संसाधनों के आवंटन, सिंचित रकबे में बढ़ोत्तरी, हर गांव तक बिजली पहुंचाने, मिट्टी का स्वास्थ्य सुधारने, खाद्य प्रसंस्कारण को बढ़ावा देने और उर्वरक सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने जैसे ठोस जमीनी उपायों के बावजूद किसानों की स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है तो इसका कारण कांग्रेस द्वारा छोड़ी गई विरासत है। किसानों की बदहाली पर
जलमार्गों के जरिए बदलेगी देश की आर्थिक तस्वीर
हमारे देश में जलपरिवहन की समृद्ध परंपरा रही है। यहां की नदियों में बड़े-बड़े जहाज चला करते थे, लेकिन आजादी के बाद इसे बढ़ावा देने की बजाय इसकी उपेक्षा की गई। नेताओं का पूरा जोर रेल व सड़क यातायात विकसित करने पर रहा, क्योंकि इसमें नेताओं-भ्रष्ट नौकरशाहों-ठेकेदारों की तिकड़ी को मलाई खाने के भरपूर मौके थे। इतना ही नहीं, सड़क और रेल
नेहरू से राहुल तक मुस्लिम तुष्टिकरण को समर्पित रही है कांग्रेस!
आजादी के बाद देश में जिस मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति की बीजवपन हुआ वह आगे चलकर वटवृक्ष बन गया। भारत दुनिया का इकलौता देश बना जहां बहुसंख्यकों के हितों की कीमत पर अल्पसंख्यकों को वरीयता दी गई। कांग्रेसी तुष्टिकरण का पहला नमूना आजादी के तुरंत बाद देखने को मिला जब देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने गुलामी के पहले कलंक (सोमनाथ मंदिर के ध्वस्तीकरण) को मिटाने के लिए भव्य सोमनाथ मंदिर बनाने की पहल की।
वैचारिक प्रतिबद्धताओं को छोड़ किसी भी तरह सत्ता बचाने की जुगत में जुटे केजरीवाल
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव को देखते हुए भले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने अनशन कार्यक्रम को स्थगित कर दिया हो, लेकिन उन्होंने अपनी सिकुड़ती राजनीतिक जमीन को संभालने के लिए कांग्रेस से गठबंधन की आस नहीं छोड़ी है।
रेलवे के आधुनिकीकरण में कामयाब हो रही मोदी सरकार
देश के एकीकरण में अहम भूमिका निभाने और अर्थव्यवस्था की धमनी होने के बावजूद भारत में रेलवे का इस्तेमाल सही ढंग से नहीं हुआ। आजादी के बाद से ही रेलवे का इस्तेमाल राजनीति चमकाने के लिए किया जाने लगा। यही कारण है कि रेल सेवाओं के मामले में भारी असंतुलन फैला। 1990 के दशक में शुरू हुई गठबंधन की राजनीति में इस क्षेत्रीय असंतुलन ने समस्या का रूप ले लिया।
रक्षा सौदों में घोटालों का कीर्तिमान कांग्रेस के नाम दर्ज है!
लंबे अरसे से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के बहाने मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के प्रचार में कांग्रेस ने राफेल को बोफोर्स तोप की तरह इस्तेमाल किया और 2019 के आम चुनाव में भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की कवायद में जुटी थी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने उसकी उम्मीदों
स्वस्थ भारत के निर्माण की दिशा में तेजी से बढ़ रही मोदी सरकार
गरीबी पैदा करने वाले कारणों में महंगा इलाज पहले स्थान पर है। खुद सरकारी आंकड़े बताते हैं कि देश में हर साल साढ़े छह करोड़ लोग महंगे इलाज के कारण गरीबी के बाड़े में धकेल दिए जाते हैं। इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार दूर करने के साथ–साथ गरीबी मिटाने के दीर्घकालिक उपायों पर भी काम करना शुरू किया।
केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन क्यों नहीं करते अन्ना हजारे?
अन्ना हजारे को मोदी सरकार के विरूद्ध अनशन करने से पहले 2011 के चर्चित अन्ना आंदोलन से पैदा हुई राजनीतिक पार्टी और उसकी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन करना चाहिए। संभव है कि इससे उनके आंदोलन से उपजी पार्टी एक ईमानदार सरकार का प्रतिमान स्थापित कर देश की राजनीति को एक नई दिशा देने की कोशिश करे।
दलहन क्रांति : मोदी सरकार के प्रयासों से दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनने की राह पर देश
भारतीय खेती की बदहाली की एक बड़ी वजह एकांगी कृषि विकास नीतियां रही हैं। वोट बैंक की राजनीति के कारण सरकारों ने गेहूं, धान, गन्ना, कपास जैसी चुनिंदा फसलों के अलावा दूसरी फसलों पर ध्यान ही नहीं दिया। इसका सर्वाधिक दुष्प्रभाव दलहनी व तिलहनी फसलों पर पड़ा। घरेलू उत्पादन में बढ़ोत्तरी न होने का नतीजा यह हुआ कि दालों व खाद्य तेल का आयात तेजी से