रमेश कुमार दुबे

‘मोदी का जितना विरोध होता है, वे उतने ही मजबूत होते जाते हैं’

समकालीन भारतीय राजनीति में जितना विरोध नरेंद्र मोदी का हुआ है, उतना शायद ही किसी नेता का हुआ हो। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि मोदी का जितना विरोध होता है, मोदी उतने ही मजबूत बनते जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह है, उनकी विकास की राजनीति जो “सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय” पर आधारित है।

गैस पाइपलाइन का राष्‍ट्रीय नेटवर्क बना रही है मोदी सरकार

हर घर तक बिजली, सड़क, शौचालय, रसोई गैस पहुंचाने के बाद मोदी सरकार देश भर में पाइपलाइन से गैस आपूर्ति का नेटवर्क तैयार कर रही है। सरकार गैस आधारित अर्थव्‍यवस्‍था को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में प्राकृतिक गैस को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए पाइपलाइन का विशाल नेटवर्क जरूरी है।

पूर्वांचल में विकास की नयी इबारत लिख रहा बनारस

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वाराणसी को केंद्र बनाकर समूचे पूर्वी उत्‍तर प्रदेश और समीपवर्ती बिहार में चिकित्‍सा ढांचा, रेल, सड़क, पाइपलाइन, जलमार्ग का व्‍यवस्‍थित नेटवर्क बिछाया जा रहा है। पूर्वी उत्‍तर प्रदेश और बिहार में चिकित्‍सा सुविधाएं बेहद पिछड़ी हुई हैं। यही कारण है कि यहां के लोगों को इलाज के लिए लखनऊ से लेकर दिल्‍ली तक का चक्‍कर लगाना पड़ता है।

प्रियंका रूपी आखिरी दाँव से कांग्रेस का कितना भला होगा?

नरेंद्र मोदी-अमित शाह के नेतृत्‍व में भारतीय जनता की मजबूत घेरेबंदी और “तीसरे” व “चौथे” मोर्चे के गठन की कवायदों के बीच कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने अपने “ब्रह्मास्‍त्र” या आखिरी दाँव (प्रियंका गांधी) का प्रयोग कर ही दिया। प्रियंका गांधी को पार्टी महासचिव बनाते हुए उन्‍हें पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में पार्टी की जिम्‍मेदारी दी गई है। कांग्रेस को उम्‍मीद है कि जनता प्रियंका गांधी में उनकी दादी (इंदिरा गंधी) की छवि देखेगी और कांग्रेस की सत्‍ता में वापसी होगी।

कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति को समझने की जरूरत

जब वोट बैंक और मुफ्तखोरी की राजनीति का इतिहास लिखा जाएगा तब उसमे कांग्रेस का नाम स्‍वर्णाक्षरों से अंकित होगा। जाति-धर्म, क्षेत्र-भाषा, अगड़े-पिछड़े, दलित-आदिवासी के नाम पर राज कर चुकी कांग्रेस पार्टी अब नये मोहरों की तलाश में है। मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान विधान सभा चुनावों में उसे एक नया मोहरा मिल गया- किसानों की कर्जमाफी।

आकांक्षी जिला कार्यक्रम : मोदी राज में अति पिछड़े जिलों में भी पहुँच रही विकास की रोशनी

देश के सर्वागीण विकास और 2022 तक न्‍यू इंडिया के ख्‍वाब को हकीकत में बदलने के लिए मोदी सरकार ने देश के 115 सबसे पिछड़े जिलों में 5 जनवरी 2018 को आकांक्षी जिला कार्यक्रय (एस्‍पीरेशनल डिस्‍ट्रिक्‍ट प्रोग्राम या एडीपी) शुरू किया।

नागरिकता संशोधन बिल : पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्‍पसंख्‍यकों की सुध लेती मोदी सरकार

आजादी के बाद पहली बार किसी सरकार ने अफगानिस्‍तान, पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश में धर्मिक भेदभाव और उत्‍पीड़न झेल रहे धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए उदार कानून बनाने की पहल की है। नागरिकता कानून 1955 में संशोधन करते हुए मोदी सरकार ने अफगानिस्‍तान, पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई धर्म के मानने वालों को

‘राहुल गांधी का मंदिर दर्शन कार्यक्रम अगले चुनाव तक के लिए स्थगित हो चुका है!’

पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनावों के खत्‍म होने के बाद कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी का मंदिर दर्शन कार्यक्रम अगले चुनाव तक स्‍थगित हो चुका है। राहुल गांधी का मंदिर प्रेम नया नहीं है। गुजरात और कर्नाटक विधान सभा चुनाव के दौरान भी राहुल गांधी का मंदिर प्रेम इसी तरह उमड़ा था। राहुल गांधी के मंदिर दर्शन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे उन्‍हीं राज्‍यों में मंदिर जाते हैं जहां चुनाव होने वाले होते हैं।

मोदी सरकार की नीतियों का असर, दुनिया में सबसे तेजी से भारत में कम हो रही गरीबी !

जिस देश में गरीबी हटाओ के नारे के बावजूद गरीबी बढ़ती गई हो, वहां गरीबी मिटाने की बात करना कल्‍पना-लोक में विचरण करना ही माना जाएगा। सौभाग्‍यवश यह कल्‍पना अब हकीकत में बदल चुकी है। अमेरिकी शोध संस्‍था ब्रुकिंग्‍स के फ्यूचर डेवलपमेंट ब्‍लॉग में प्रकाशित रिपार्ट के मुताबिक भारत अब दुनिया का सबसे ज्‍यादा गरीबों का घर नहीं रह गया है। मई, 2018

रंग ला रही है मोदी सरकार की मेक इन इंडिया मुहिम!

आजादी के बाद से ही तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति में उलझी सरकारों ने देश की विशाल आबादी को संपदा न मानकर आपदा माना और उन्‍हें आपस में उलझाए रखने का काम किया। बांटो और राज करो की नीति पर चलने वाली सरकारों का पूरा जोर येन-केन प्रकारेण चुनाव जीतने और उसके बाद अपनी झोली भरने पर रहता था। इंदिरा गांधी की नीतिशून्‍य राजनीति के दौर