सिंचाई तंत्र को सुदृढ़ करने में जुटी मोदी सरकार
इसे पिछले साठ सालों में सरकारों की नाकामी ही माना जाएगा कि अमेरिकी उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने वाले देश की खेती-किसानी अभी भी “मानसून का जुआ” बनी हुई है। हर साल देश का कोई न कोई इलाका सूखे की चपेट में रहता है और सिंचाई के लिए पानी की किल्लत तो कमोबेश हर जगह बनी रहती है। इस विडंबना को दूर करने का बीड़ा प्रधानमंत्री मोदी ने उठाया है।
दंगों की राजनीति में माहिर रही है कांग्रेस
जो कांग्रेस पार्टी पिछले पंद्रह वर्षों से देश भर में होने वाले चुनावों में गुजरात दंगों की माला जपती रही है, वही कांग्रेस गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में गुजरात दंगों का भूलकर भी नाम नहीं ले रही है। क्योंकि गुजरात में ये दाँव उसे ही नुकसान पहुंचाएगा। एक ओर कांग्रेसी नेता केरल में सरेआम गाय काटकर उसका मांस परोस रहे हैं, तो दूसरी ओर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात में मंदिरों, मठों में माथा टेक
देशी बीजों के विकास में जुटी मोदी सरकार
भले ही विरोधी मोदी सरकार को सूट-बूट वालों की सरकार का तमगा दें लेकिन सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेंद्र मोदी किसानों, मजदूरों, गरीबों के कल्याण के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। ग्रामीण सड़क, बिजली, मृदा कार्ड, सिंचाई, फसल बीमा, राष्ट्रीय कृषि मंडी, खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में जितना काम पिछले तीन वर्षों में हुआ उतना तीन दशकों में भी नहीं हुआ था।
किसानों की आमदनी दोगुनी करने की कोशिशों में जुटी मोदी सरकार
अब तक किसानों की आमदनी बढ़ाने पर सीधा फोकस कभी नहीं किया गया। पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया गया। अर्थात हमारी नीतियां खेती केंद्रित रहीं न कि किसान केंद्रित। इसका नतीजा यह हुआ कि कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी के बावजूद उसी अनुपात में किसानों की आमदनी नहीं बढ़ी। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक भूल को सुधारते हुए 2022 तक किसानों की
देश के समूचे परिवहन तंत्र को बिजली आधारित करने की नीति पर काम कर रही मोदी सरकार
हर गांव तक बिजली पहुंचाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब देश के समूचे परिवहन तंत्र को पेट्रोल-डीजल के बजाय बिजली आधारित करने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहे हैं। रेल लाइनों का विद्युतीकरण और 2030 के बाद पेट्रोल-डीजल कारों की बिक्री पर प्रतिबंध इसी योजना के अहम पड़ाव हैं। गौरतलब है कि सौ साल लंबे सफर के बाद वाहन उद्योग अब आंतरिक दहन वाले इंजन की जगह लीथियम ऑयन
गुजरात में किसानों का मुद्दा उठाने से पहले वहाँ की ‘कृषि क्रांति’ के बारे में तो जान लें, राहुल गांधी !
गुजरात में कांग्रेस की खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात का ताबड़तोड़ दौरा कर रहे हैं। चूंकि मोदी को सांप्रदायिक ठहराने की 2014 की कांग्रेसी मुहिम उल्टा असर दिखा चुकी है, इसलिए कांग्रेस इस बार विकास को मुद्दा बना रही है। राहुल गांधी कभी नोटबंदी तो कभी जीएसटी के बहाने बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहे हैं।
युवाओं को ‘रोजगार मांगने वाले’ से ‘रोजगार देने वाले’ बना रही मोदी सरकार !
बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने वालों की कमी नहीं है लेकिन वे यह नहीं देख रहे हैं कि मोदी सरकार युवाओं को “रोजगार मांगने वाले” से “रोजगार देने वाले” में बदल रही है। मोदी सरकार ने हर साल जिन एक करोड़ नौकरियों के सृजन का लक्ष्य रखा है, वे वेतनभोगी प्रकृति की नहीं हैं। दरअसल मोदी सरकार का मुख्य बल प्रक्रियागत खामियों को दूर कर ऐसा वातावरण बनाने का है, जिसमें युवा वर्ग
हर घर तक बिजली पहुँचाने की दिशा में तेजी से बढ़ रही मोदी सरकार !
हर गांव तक बिजली पहुंचाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के करीब पहुंची मोदी सरकार अब देश के हर घर को रोशन करने के लिए “सुभाग्य योजना” लाने जा रही है। इसके तहत ग्रामीण इलाकों में हर घर को 2019 तक सब्सिडी देकर बिजली कनेक्शन मुहैया कराया जाएगा। गौरतलब है कि देश के चार करोड़ घरों में अभी भी बिजली के बल्ब जलने का इंतजार है। यह संख्या यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी के कुल घरों से ज्यादा
‘बुलेट ट्रेन का विरोध वैसे ही है, जैसे राजधानी एक्सप्रेस और मेट्रो का हुआ था’
वामपंथी सोच वाले नेता-बुद्धिजीवी भले ही उदारीकरण-भूमंडलीकरण की नीतियों का विरोध करें लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि इसने देश की तस्वीर बदल दी। कारोबारी सोच, शॉपिंग मॉल, ब्रांडेड सामान, कार, बस, बाइक के नए-नए मॉडल, हाईवे, शानदार होटल, हर हाथ में मोबाइल, चमचमाते हवाई अड्डे उदारीकरण की ही देन हैं। दुर्भाग्यवश देश की धमनी मानी जाने वाली रेल की हालत में बदलाव होना अभी बाकी
‘शौचालय क्रांति’ लाने में कामयाब रही मोदी सरकार
भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद में आकंठ डूबी और जाति-धर्म की राजनीति करने वाली कांग्रेसी सरकारों ने साफ-सफाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, बेकारी जैसी जमीनी समस्याओं की ओर बहुत कम ध्यान दिया। दूसरे शब्दों में कांग्रेसी सरकारें सत्ता की राजनीति से आगे नहीं बढ़ पाईं। इसका नतीजा यह हुआ कि अपने नागरिकों को स्वच्छता की सुविधाएं मुहैया कराने में भारत पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका से ही नहीं युद्ध गस्त देश