सपा-बसपा की जातिवादी राजनीति से बदहाल हुए यूपी के किसान
जहां तक उत्तर प्रदेश के किसानों की बदहाली का सवाल है, तो उसके लिए जातिवादी राजनीति जिम्मेदार है। पिछले तीन दशकों से उत्तर प्रदेश में जाति की राजनीति चरम पर रही। विकास पर राजनीति के भारी पड़ने का ही परिणाम है कि सिंचाई, बिजली आपूर्ति, ग्रामीण सड़क, बीज विकास, भंडारण, विपणन, सहकारिता जैसी किसान उपयोगी गतिविधियां ठप पड़ गईं। इस दौरान पूरा प्रशासनिक अमला समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की जातिवादी राजनीति के हितों को पूरा करने में लगा रहा।
पंजाब की पराजय से सबक लें केजरीवाल
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की कामयाबी जितना चमत्कृत करती है, उतना ही पंजाब में आम आदमी पार्टी की नाकामी। यह नाकामी इसलिए भी महत्वपूर्ण बन जाती है क्योंकि दिल्ली की भांति केजरीवाल ने पंजाब में शपथ ग्रहण समारोह और चुनावी वायदों को पूरा करने का तिथिवार कार्यक्रम घोषित कर रखा था। इतना ही नहीं, पार्टी ने जीत का जश्न मनाने के लिए भारी-भरकम बंदोबस्त कि
परिवारवाद, भ्रष्टाचार और अहंकार के कारण पतन की ओर बढ़ती कांग्रेस
लंबी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच जो गठबंधन हुआ है, उससे तात्कालिक रूप से भले ही कांग्रेस खुश हो लेकिन दीर्घकालिक रूप से देखें तो यह उसके लिए घाटे का सौदा साबित होगा। इसका कारण है कि जिन-जिन राज्यों में कांग्रेस ने क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन किया वहां वह पुन: मुख्यधारा में नहीं आ पाई। इसका दूरगामी नतीजा यह निकला कि कांग्रेस राज्य दर राज्य कमजोर होती
मोदी सरकार की कोशिशों से सुधर रही खादी उद्योग की दशा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन का आह्वान करते रहते हैं। उनके मुताबिक यदि लोग अपने बजट का 5 फीसदी खादी पर खर्च करें तो हैंडलूम सेक्टर की बेरोजगारी दूर हो जाएगी। गौरतलब है कि 1920 के दशक में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने गरीबी मिटाने और स्वावलंबन के लिए जिस चरखा-खादी की शुरूआत किया था वह जल्दी ही स्वाधीनता आंदोलन का सशक्त हथियार बन
कौशल विकास योजना : ख़त्म होगी गरीबी, बेरोजगारी और असमानता की समस्या
गरीबी, बेरोजगारी, असमानता पर वैश्वीकरण का असर इस बात पर निर्भर करता है कि आम जनता को कैसी शिक्षा दी जा रही है,आधारभूत ढांचा कैसा है और श्रम बाजार व अन्य संस्थाओं की स्थिति कैसी है। दरअसल शिक्षा श्रमिकों को अपने काम और कौशल के हिसाब से नए सिरे से समायोजित करना सिखा देती है।
‘मूव इन इंडिया’ के जरिए शहरों से जुड़ेंगे गांव, ग्रामीण अर्थव्यवस्था का होगा तीव्र विकास!
शहरों को ग्रामीण इलाकों से जोड़ने में ग्रामीण सड़कों की अहम भूमिका होती है। यही कारण है कि दुनिया भर के देश ग्रामीण सड़कों के निर्माण पर जोर देते हैं। सड़क के जरिए किसानों को न सिर्फ उन्नत बीज, उर्वरक आसानी से मिल जाते हैं बल्कि उपज की बेहतर कीमत भी मिलने लगती है।
चीनी आक्रामकता के जवाब में मोदी सरकार ने अपनाई एक्ट ईस्ट नीति!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलूचिस्तान मामले में पाकिस्तान को जैसी पटखनी दी, उसकी कल्पना उसने सपने में भी नहीं की होगी। अब प्रधानमंत्री उसी प्रकार की पटखनी चीन को देने में जुट गए हैं। गौरतलब है कि लंबे अरसे से चीन भारत को चारों ओर से घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है। इसके लिए वह भारत के पड़ोसी देशों को मोहरा बनाने से भी बाज नहीं आया। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण-पूर्व
मोदी के नेतृत्व में सूखे गुजरात में हुई थी कृषि क्रांति, अब देश की बारी है!
गुजरात के जामनगर में अजी बांध पर स्थित एसएयूएनआई परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह ऐसी पहल है, जिस पर हर गुजराती गर्व महसूस करेगा। गौरतलब है कि एसएयूएनआई परियोजना से सौराष्ट्र के 116 छोटे-बड़े जलाशयों को भरा जाएगा, जिससे सौराष्ट्र में पानी की समस्या दूर हो जाएगी।
मोदी सरकार के इन कदमों से खेती बनेगी मुनाफे का सौदा, किसानों के आएंगे अच्छे दिन!
भारतीय खेती की सबसे बड़ी त्रासदी यही है कि कुदरत का प्रकोप हो या मेहरबानी दोनों ही दशाओं में किसान बदहाल रहता है। लेकिन अब यह स्थिति ज्यादा दिन रहने वाली नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फसल बीमा से लेकर उपज की बिक्री तक का मुकम्मल उपाय करने में जुट गए हैं।
महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम है मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना
अब तक गरीबी मिटाने के लिए सरकारों का पूरा जोर आरक्षण, रियायती अनाज, मनरेगा जैसे दान-दक्षिणा वाले उपायों पर रहता था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनके साथ-साथ दूरगामी उपाय भी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जन-धन, सिंचाई, फसल बीमा, मुद्रा बैंक, सौर ऊर्जा, गांवों को रोशन करने, ई मंडी जैसी जनोपयोगी योजनाओं के बाद मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का आगाज किया।