जम्मू-कश्मीर : फिर से महकने लगीं केसर की क्यारियां
जुलाई 2020 में कश्मीरी केसर को भौगोलिक पहचान (जीआई) टैग मिल गया। अब सरकार ने घाटी के केसर ब्रांड को वैश्विक पहचान दिलाने का बीड़ा उठाया है।
कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति का परिणाम था हलाल प्रमाणपत्र, मोदी सरकार ने किया समाप्त
तुष्टीकरण की नीतियों के चलते कांग्रेसी सरकारों ने हलाल को एक भोजन पद्धति से आगे बढ़ाकर एक समानांतर अर्थव्यवस्था में तब्दील कर दिया था।
नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करने वाले बताएं कि पुराने कानूनों के रहते खेती घाटे का सौदा क्यों बन गयी?
नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करने वाले किसान यह क्यों नहीं बता रहे हैं कि पुराने कानूनों से खेती-किसानी घाटे के सौदे में क्यों तब्दील हो गई?
कृषि क्षेत्र में बाजार अर्थव्यवस्था का आगाज करने वाले हैं नए कृषि कानून
मोदी सरकार नए कृषि कानूनों के जरिए फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने की दूरगामी योजना पर काम कर रही है ताकि कृषि जैव विविधता के विनाश, गेहूं-धान की एकफसली खेती, मिट्टी-पानी-हवा के प्रदूषित होने, भूजल संकट आदि से बचा जा सके।
किसानों की आड़ में बिचौलियों को बचाने का आंदोलन
नए कानूनों के खिलाफ तथाकथित किसान नेताओं को मुद्दे नहीं मिल रहे हैं तो इसका कारण यह है कि ये आंदोलन किसानों के लिए नहीं बल्कि आढ़तियों-बिचौलियों की तगड़ी लॉबी को बचाने के लिए चलाया जा रहा है।
मुक्त व्यापार को भारतीय हितों के अनुकूल ढाल रही है मोदी सरकार
मोदी सरकार मुक्त व्यापार नीतियों को इस तरह तर्कसंगत बना रही है ताकि वे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदे का सौदा बनें।
कृषि सुधारों से किसानों की आमदनी बढ़ाने में जुटी मोदी सरकार
मोदी सरकार जिस तरह कृषि क्षेत्र में सुधारों की दिशा में काम कर रही है, उससे जल्दी-ही खेती के मुनाफे का सौदा बनने की उम्मीद है।
विदेशी चंदे के चक्रव्यूह को तोड़ने में कामयाब रही मोदी सरकार
अब विदेशी चंदा लेने वाले एनजीओ के सभी सदस्यों, पदाधिकारियों को यह घोषित करना होगा कि वे कभी किसी व्यक्ति के धर्मांतरण में शामिल नहीं रहे हैं।
मोदी सरकार की नीतियों पर जनता की मुहर हैं चुनावी नतीजे
बिहार के साथ-साथ इन उपचुनावों के नतीजों को नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले साल की नीतियों, उपलब्धियों पर जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा रहा है।
मोदी राज में विकास के पथ पर बढ़ता पूर्वांचल
मोदी के सांसद बनने के बाद से ही न सिर्फ वाराणसी संसदीय क्षेत्र बल्कि दशकों से पिछड़े समूचे पूर्वांचल में विकास की बयार बह रही है।