मोदी सरकार के सुधारवादी क़दमों से अर्थव्यवस्था के मानकों में बेहतरी के संकेत
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल से दिसंबर महीने के दौरान सरकार का आयकर राजस्व 7.43 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 13.6 प्रतिशत ज्यादा है, जबकि अग्रिम कर संग्रह पिछले साल की तुलना में 14.5 प्रतिशत ज्यादा है।
एकीकरण और पुनर्पूंजीकरण के जरिये बैंकों को मजबूती देने में जुटी मोदी सरकार
विजया बैंक और देना बैंक का एक अप्रैल को बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हो जायेगा। देश में पहली बार तीन बैंकों का एकीकरण होगा। इस विलय से बनने वाला बैंक परिसंपत्ति के मामले में देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक और कुल मिलाकर तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) देश का सबसे बड़ा बैंक है जबकि दूसरे स्थान पर एचडीएफसी बैंक है।
आईबीसी क़ानून के जरिये फंसे कर्ज की वसूली से बैंकों की वित्तीय स्थिति में तेजी से हो रहा सुधार
भले ही बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) का इलाज लोगों को मुश्किल लग रहा है, लेकिन सरकार और बैंकों के प्रयास से मामले में सकारात्मक परिणाम परिलक्षित होने लगे हैं। एक तरफ सरकार समय-समय पर बैंकों को विभिन्न जरूरतों, उदाहरण के तौर पर, नियामकीय और फंसे कर्ज आदि के लिये पूँजी मुहैया करा रही है तो दूसरी तरफ नये-नये क़ानूनों जैसे, भगोड़ा विधेयक,
नए भारत के निर्माण का रोडमैप है नीति आयोग का रणनीतिक दस्तावेज़
नीति आयोग ने अपने रणनीतिक दस्तावेज में 2022-23 तक हर साल 8 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने का लक्ष्य रखा है। आयोग चाहता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को 4 लाख करोड़ डॉलर का बनाया जाये और सरकार 8 प्रतिशत की जगह सीधे 9 प्रतिशत के विकास दर को पाने के लिये कोशिश करे।
राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के अनुरूप रखने में कामयाब रहेगी मोदी सरकार!
अगले वर्ष चुनाव होने के कारण सरकारी खर्च में बढ़ोतरी होने की गुंजाइश है। फिर भी, राजकोषीय घाटा के लक्ष्य के अनुरूप रहने का अनुमान है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में केंद्र की हिस्सेदारी से चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी, क्योंकि आगामी महीनों में जीएसटी संग्रह में और भी वृद्धि होने का अनुमान है। हालाँकि, कहा जा रहा है
मोदी सरकार के प्रयासों से भारत की तरफ आकर्षित हो रहीं बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ
सरकार देश की आर्थिक एवं कारोबारी माहौल में सुधार लाने की कोशिश कर रही है, ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों का भारत पर भरोसा बढ़ सके। सरकार के प्रयासों के कारण ही कारोबार सुगमता के मामले में भारत ने हाल ही में एक लंबी छलांग लगाई है। फिलवक्त, भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों और ग्लोबल इनहाउस इकाइयों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी
नए आधार वर्ष के कारण जीडीपी के बदले आंकड़ों पर सवाल क्यों?
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के 9 सालों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में यह 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी। सीएसओ ने संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान 4 वर्षों की विकास दर में 1 प्रतिशत से अधिक की कटौती की है।
अच्छे दिन : ‘भारत में संपत्ति का लोकतांत्रिकरण हो रहा है’
सितंबर तिमाही के लिये जीडीपी आंकड़े कुछ दिनों के बाद जारी किये जाने वाले हैं, लेकिन इससे पहले अर्थशास्त्री एवं देश व विदेश के वित्तीय संस्थान जीडीपी के आंकड़ों के गुलाबी होने का अनुमान लगा रहे हैं। अर्थशास्त्रियों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी 7.2% से 7.9% के बीच रह सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में 7.4% की दर से विकास
59 मिनट लोन योजना से एमएसएमई कारोबारियों के लिये लोन लेना हुआ आसान
देश में फिलहाल 6.3 करोड़ से ज्यादा एमएसएमई यूनिट कार्य कर रही हैं, जिनमें 11.1 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। देश की जीडीपी में एमएसएमई क्षेत्र का योगदान करीब 30 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि यदि इस क्षेत्र को मजबूत किया जाये तो देश में रोजगार सृजन, आर्थिक आत्मनिर्भरता, समावेशी विकास, विनिर्माण में तेजी आदि को संभव बनाया जा सकता है।
विपक्ष के नकारने से ख़त्म नहीं हो जाते नोटबंदी के फायदे!
नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर विपक्षी दलों ने फिर से इसकी सार्थकता पर सवाल उठाया। साथ ही साथ इससे हुई परेशानी का ठीकरा सरकार के माथे पर फोड़ा। यह ठीक है कि नोटबंदी के कारण आमजन को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन केवल इस वजह से नोटबंदी के फ़ायदों को सिरे से नकारा नहीं जा सकता है। यह एक साहसिक फैसला था, जिसने