सतीश सिंह

लोगों के अपने घर के सपने को साकार कर रही प्रधानमंत्री आवास योजना !

देश में घरों की कमी एक गंभीर समस्या है। आज भी करोड़ों लोग घरों के बिना फुटपाथ पर अपना जीवन गुजर-बसर करने के लिये अभिशप्त हैं। समस्या की गंभीरता को देखते हुए मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना का शुभारंम 25 जून, 2015 को किया, जिसका उद्देश्य 2022 तक सभी को घर उपलब्ध कराना है। इस योजना को दो भागों यथा, शहरी और ग्रामीण में विभाजित किया गया है।

मोदी सरकार के सुधारों से अपने लक्ष्यों को पाने में कामयाब हो रही मनरेगा योजना !

मोदी सरकार ग्रामीण क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिये शिद्दत के साथ कोशिश कर रही है। महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को मजबूत बनाना सरकार की इसी रणनीति का हिस्सा है। ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने के लिये सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिये पूरक मांग के द्वारा बजट आवंटन में बढ़ोतरी की थी, जिससे वित्त वर्ष 2016-17 में मनरेगा के तहत कुल रोजगार सृजन 235.77 करोड़ व्यक्ति

मोदी सरकार के इन क़दमों से बढ़ेगी किसानों की आय !

कृषि क्षेत्र में अपेक्षित वृद्धि हेतु सरकार इस क्षेत्र की मौजूदा कमियों को दूर करना चाहती है। इस कवायद के तहत केंद्र सरकार ने हाल ही में चने और मसूर के आयात शुल्क में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है; वहीं तोरिया, जो मुख्य रूप से राजस्थान में पैदा होने वाली तिलहन फसल है, के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि की है। सरकार जल्द ही गेहूं के आयात शुल्क, जो मौजूदा समय में 20 प्रतिशत है, में भी बढ़ोतरी

मोदी सरकार की नीतियों से विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ता भारत !

मॉर्गन स्टेनली की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था में चक्रीय सुधार का दौर जारी है, जिसके  कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वर्ष 2017 के 6.4 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2018 में 7.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019 में 7.7 प्रतिशत पर पहुँच सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार बैंकों के बैलेंस शीट को साफ-सुथरा करने की कोशिश कर रही है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण फैसलों को

आपके पैसे डुबाने वाला नहीं, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला है एफआरडीआई बिल !

भले ही फाइनेंसियल रेज़ोल्यूशन एंड डिपॉज़िट इंश्योरेंस (एफआरडीआई) बिल 2017 अभी संसद की संयुक्त समिति के पास विचाराधीन है, लेकिन भ्रामक एवं तथ्यहीन खबरों की वजह से यह बिल रोज ही अखबारों की सुर्खी बन रहा है। इस बिल को शीतकालीन सत्र में पेश किया जाने वाला है। सरकार के दोनों सदनों में पर्याप्त बहुमत होने के कारण कयास लगाये जा रहे हैं कि यह बिल आसानी से दोनों सदनों में पारित हो

मोदी सरकार की नीतियों से बेहतरी की ओर अर्थव्यवस्था

विनिर्माण क्षेत्र में 7.0%, बिजली, गैस, और अन्य उपयोगी सेवाओं में 7.6%, संचार, व्यापार, होटल, परिवहन आदि क्षेत्रों में 9.9% की दर से विकास के होने के कारण सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 6.1% दर से वृद्धि हुई, जबकि पहली तिमाही में यह 5.6% थी, जबकि जीडीपी में वित्त वर्ष 2017 की पहली तिमाही के 5.7% के मुक़ाबले वित्त वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही में 6.3% की दर से वृद्धि

ग्रामीण क्षेत्रों में उज्ज्वला योजना से मुद्रास्फीति में आ रही कमी

भारत, खास करके ग्रामीण इलाकों, में उपभोग के तरीकों में बदलाव के साथ-साथ लोगों के रहने के तौर-तरीकों में भी लगातार परिवर्तन आ रहा है। जीवनयापन को बेहतर बनाने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों एवं सेवाओं की माँग में बढ़ोतरी हो रही है। वित्त वर्ष 2016 से ग्रामीण इलाकों में विवेकाधीन उपभोग में गिरावट की प्रवृति देखी जा रही है। इसका संभावित कारण बड़ी-बड़ी विनिर्माण या

मूडीज रेटिंग : सरकार के आर्थिक सुधारों से बढ़ी भारत की रेटिंग, भविष्य में और बढ़ने की संभावना !

अमेरिकी एजेंसी मूडीज ने 13 सालों के बाद भारत सरकार के स्थानीय एवं विदेशी मुद्रा जारीकर्ता साख का उन्नयन किया। भारत की साख को अपने वर्गीकरण में ऊँचा करते हुए मूडीज ने बीएए-2 श्रेणी में रखा है। पहले उसने भारत को इससे नीचे बीएए-3 श्रेणी में रखा था। मूडीज ने भारत के परिदृश्य को भी ‘स्थिर’ से ‘सकारात्मक’ कर दिया। स्थानीय मुद्रा के असुरक्षित साख को भी मूडीज ने बीएए-3 से उन्नयन करके बीएए-2 कर

नोटबंदी का एक साल : बढ़ा आयकर संग्रह, कैशलेस अर्थव्यवस्था की राह पर देश

नोटंबदी के एक वर्ष पूर्व होने पर स्थिति यह है कि इससे डिजिटल लेनदेन में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2017-18 में डिजिटल लेनदेन में 80 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है, जो रूपये में लगभग 1800 करोड़ होगी। मार्च एवं अप्रैल, 2017 में जब नोटबंदी के बाद नकदी की किल्लत लगभग दूर हो गई थी तब भी डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी हो रही थी। मार्च एवं अप्रैल 2017 में लगभग 156 करोड़ रूपये

मोदी सरकार के सुधारों का दिखने लगा असर, कारोबारी सुगमता की रैंकिंग में भारत की बड़ी छलांग!

विश्व बैंक की ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2018 में भारत कारोबारी सुगमता के लिहाज से 30 स्थान की लंबी छलांग लगाते हुए 190 देशों की सूची में 100 वें पायदान पर पहुँच गया। 30 अंकों की भारत की बड़ी छलांग इंगित करता है कि वर्तमान सरकार के सुधारात्मक उपायों के फल मिलने शुरू हो गये हैं। कारोबार के 10 में से 6 मापदंडों में भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है।