फिदेल कास्त्रो के बहाने भारत के वामपंथ पर बहस
पांच दशक तक क्यूबा पर शासन करने वाले कम्युनिस्ट तानाशाह फिदेल कास्त्रो अब दुनिया में नहीं रहे। साम्यवादी नीतियों के साथ क्यूबा पर राज करने वाले फिदेल का नब्बे वर्ष की आयु में देहांत हो गया। १९५९ में क्यूबा तानाशाह बतिस्ता को सशस्त्र आन्दोलन के जरिये हटाकर फिदेल ने सत्ता पर कब्जा किया था। तबसे लेकर अभी तक क्यूबा में कास्त्रो के परिवार का ही कब्जा है। चूँकि, इस कम्युनिस्ट तानाशाह ने
अप्रासंगिक हो चुके कानूनों को ख़त्म करने की जरूरत
26 नवंबर 1949 को हमारा संविधान बनकर तैयार हुआ था। लिहाजा इसे देश में संविधान दिवस के तौर पर याद किया जाता है। आज जब हम इस दिवस को संविधान दिवस के रूप में याद कर रहे हैं तो हमे इसके बहुआयामी पक्षों पर विचार करते हुए याद करने की जरूरत है। आजादी से पूर्व एवं आजादी के बाद देश में जरूरत के अनुरूप तमाम कानून बनाए गए और उन कानूनों को लागू भी किया गया। लेकिन बड़ा
खबरदार, यह ईमानदारों की कतार है, बेईमान दूर रहें!
केंद्र सरकार द्वारा पांच सौ और एक हजार के नोट बंद करने के फैसले के बाद से ही मोदी-विरोधी एक राजनीतिक जमात में भूचाल की स्थिति है। इस साहसिक एवं ऐतिहासिक निर्णय के दूरगामी नफा-नुकसान पर बहस करने की बजाय कुछ राजनीतिक जमात के लोग बैंकों की कतारों पर बहस करना चाहते हैं। चूँकि, इस निर्णय को लेकर आम जनता के मन में एकतरफा समर्थन का भाव खुलकर दिख रहा है, लिहाजा
खुली पाक कलाकारों के काले धन की पोल, स्टिंग ऑपरेशन में हुए बेनकाब!
भाजपानीत केंद्र सरकार द्वारा कालाधन पर रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पांच सौ एवं एक हजार के नोट बंद किए जाने और नए नोट जारी किए जाने के बाद से ही कालाधन का मुद्दा एकबार फिर विमर्श और चर्चा के केंद्र में आ गया है। सरकार की तरफ से एवं आम चर्चा में भी यह बात सामने आती रही है कि कालाधन का नेटवर्क महज देश के अंदर ही नहीं, बल्कि सीमापार तक फैला हुआ है। हाल में ही
सरकार की नीतियों में दीन दयाल जी के विचारों का प्रभाव
मानव की बुनियादी जरूरतों का सीधा जुड़ाव सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक विषयों से होता है। एक आम मनुष्य का निजी एवं सार्वजनिक जीवन इन तीनों कारकों से प्रभावित होता है। कभी उसे राजनीति प्रभावित करती है तो कभी समाज की रीती-नीति तो कभी अर्थनीति का प्रभाव होता है। लेकिन सही मायने में अगर देखें तो मानव मात्र के लिए ये तीनों ही परस्पर जुड़े हुए कारक हैं। एक आम मनुष्य
सेना के जवानों संग दीपावली मनाने की शानदार पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सकारात्मक दिशा में नवीन प्रयोगों और नवाचारों के लिए विश्व भर में ख्यातिलब्ध हैं। हमेशा सकारात्मक दिशा में कुछ नया करने की सतत कोशिश नरेंद्र मोदी को औरों से अलग बनाती है। दीपावली के अवसर पर प्रधानमंत्री ने देशवासियों से यह अपील की है कि वे सीमा पर हर पल तैनात हमारी सेना के जवानों को शुभकामना संदेश भेजें। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर एक चार मिनट
जेपी ने कहा था कि अगर संघ फासीवादी है तो जेपी भी फासीवादी हैं!
लोकनायक जय प्रकाश नारायण के बारे में आम तौर पर कहा जाता है कि वे शुरूआती दौर में रूस की क्रान्ति से प्रभावित थे। फिर गांधीवाद से प्रभावित होते हुए समाजवाद का रुख किये। जेपी के तीन हिस्से तो पहले ही कहे जा चुके है, जिसमे जेपी का रूसी क्रान्ति से प्रभावित होना एवं फिर गाँधी के सानिध्य में आकर सत्य और अहिंसा की प्रवृति में घुल मिल जाना फिर समाजवाद का रुख करना, इत्यादि कई तथ्य हैं !
राहुल के बोल से सवालों के घेरे में कांग्रेस
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश की सेना से जुड़ा एक निंदनीय बयान दिया है। ऐसे समय में जब देश के लोग ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम लोकतांत्रिक एवं स्थिर देश भारत के समर्थन में हैं, राहुल गांधी ने ऐसी बहस को जन्म देने का काम किया है जिससे न सिर्फ सरकार बल्कि सेना का भी अपमान होता है। पता नहीं किन सन्दर्भों और प्रमाणों के आधार पर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी
मोदी सरकार की विदेशनीति की बड़ी सफलता, दुनिया में बेनकाब हो रहा पाक का नापाक चेहरा
उरी आतंकी हमले के बाद केरल के कोझिकोड में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो महत्वपूर्ण बातें कहीं थीं। पहली कि उरी में शहीद हुए हमारे जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा और उनके भाषण की दूसरी महत्वपूर्ण बात यह थी कि हम आतंकवाद को पनाह देने वाले एकमात्र देश (पाकिस्तान) को दुनिया के पटल पर अलग-थलग कर देंगे। इस बयान को दिए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए और
विश्व बिरादरी में पाक को अलग-थलग करने की दिशा में बढ़ती भारतीय विदेश नीति
अभी ज्यादा समय नहीं हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में पाकिस्तान के प्रति अपनी नीति को स्पष्ट करते हुए कहा था कि हमें बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार के हनन का प्रश्न दुनिया के पटल पर अवश्य उठाना चाहिए। इसके बाद से ही बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन और भारत के सहयोग के प्रति धन्यवाद की खबरें आने लगीं थीं। पाकिस्तान अलग-थलग पड़ने लगा था। दुनिया