प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व यूपी की योगी सरकार ने तीर्थाटन व पर्यटन पर अत्यधिक जोर दिया है। इस विषय को प्राथमिकता में शामिल करते हुए काम किया जा रहा है। अनेक सर्किट का निर्माण चल रहा है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस दिशा में प्रभावी कदम उठा रहे हैं। योगी पिछले ढाई वर्षों में दर्जनों बार अयोध्या गए। प्रत्येक बार वहां विकास योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया। दीपोत्सव को भी उन्होंने विकास से जोड़ दिया। दीपोत्सव पर वह सैकड़ों करोड़ रुपये की योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करते आ रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या में भव्य दीपोत्सव का आयोजन शुरू किया। यह परम्परा के रूप में अपने ही रिकार्ड को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ता रही है। इस बार नौ लाख दीपों के साथ पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया गया। इस दीपोत्सव का सार्थक प्रभाव हुआ है। सकारात्मक दीप प्रज्ज्वलन की ऊर्जा से अयोध्या में उत्साह का संचार होने लगा। उदासी का वातावरण दूर होने लगा। अब तो जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण भी प्रारंभ हो गया है। इस ऐतिहासिक पड़ाव के बाद यह पहला दीपोत्सव है, जबकि योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल का यह पाँचवाँ दीपोत्सव है।
दीपोत्सव में नौ लाख दीपों का प्रज्वलन अभूतपूर्व व अद्भुत है। ग्यारह विशेष झांकियां, पारंपरिक शोभा यात्रा, रामेश्वरम सेतु, पुष्पक विमान, केवट प्रसंग, राम दरबार, शबरी राम मिलाप आदि प्रसंग जीवंत हुए। अयोध्या विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। योगी सरकार यहां तीर्थाटन की विश्व स्तरीय व्यवस्था बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। दीपावली की भव्यता भी विश्व के लोगों का ध्यान आकृष्ट करने लगी है। प्राचीन भारत में ऐसा रहा भी होगा।
प्रभु राम लंका विजय के बाद अयोध्या आये थे तब यह नगरी दीपों से जगमगा उठी थी। योगी आदित्यनाथ इसकी भव्यता व दिव्यता विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने का काम कर रहे हैं। उनके कार्यकाल में आयोजित दीपोत्सव में बड़ी संख्या में बाहर के लोग भी आते हैं।
दीपावली समाज की ऊर्जा का पर्व है। विश्व के अनेक देशों की अर्थव्यवस्था में पर्यटन व तीर्थाटन का विशेष योगदान रहता है। इसके लिए इन देशों ने योजनबद्ध ढंग से प्रयास किया। अपनी आध्यात्मिक, ऐतिहासिक व प्राकृतिक धरोहरों को सजाया सँवारा, वहां विश्व स्तरीय सुविधाओं व संसाधनों का विकास किया। इसके कारण अनेक स्थानों को विश्व स्तरीय प्रतिष्ठा मिली।
स्वतंत्रता के बाद भारत के लिए भी ऐसा करने का अवसर था, लेकिन कांग्रेसी सरकारों द्वारा कतिपय मध्यकालीन इमारतों के अलावा अन्य ऐतिहासिक स्थानों के विकास पर उचित ध्यान नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब काशी को क्वेटो जैसा विकसित करने की बात कही थी तब इसका प्रतीकात्मक महत्व था। क्वेटो को विश्वस्तरीय बनाने में वहां की अनेक सरकारों ने प्रयास किया था, जबकि हमारे यहां इस प्रकार के विजन का अभाव रहा है। मोदी उस अभाव को दूर करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व यूपी की योगी सरकार ने तीर्थाटन व पर्यटन पर अत्यधिक जोर दिया है। इस विषय को प्राथमिकता में शामिल करते हुए काम किया जा रहा है। अनेक सर्किट का निर्माण चल रहा है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस दिशा में प्रभावी कदम उठा रहे हैं। योगी पिछले ढाई वर्षों में दर्जनों बार अयोध्या गए। प्रत्येक बार वहां विकास योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया। दीपोत्सव को भी उन्होंने विकास से जोड़ दिया। दीपोत्सव पर वह सैकड़ों करोड़ रुपये की योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करते आ रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या को हिंदुओं की आस्था के सबसे महत्वपूर्ण स्थल के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है। इक्ष्वाकुपुरी के रूप में सरयू के तट पर एक आध्यात्मिक सांस्कृतिक नगरी की स्थापना की जाएगी। इसे विकसित करने के लिए नुजूल, वन और उद्यान विभाग की भूमि उपयोग में लाई जाएगी।
इस हरित नगरी में निर्मित क्षेत्रफल अधिकतम पांच प्रतिशत होगा। इक्ष्वाकुपुरी का विकास पूर्व एशियाई हिंदू वास्तुशैली और भारत की तीनों नागर, द्रविड़ और बेसर शैली के मिश्रण से किया जाएगा। भवन निर्माण की अन्य प्राचीन शैलियों का भी प्रयोग होगा।
विश्व के अनेक देशों के लोग अपने को श्री राम का वंशज मानते हैं। उन्होंने अपनी शैली में श्री राम के प्रतीक को स्थापित किया है। उनका भी इसमें प्रयोग होगा। इस प्रकार इस नगरी से अनेक देशों के लोगों का भावनात्मक लगाव बढ़ेगा।
श्री राम अवतार थे। उनकी पूजा की जाती है। लेकिन अयोध्या राज्य का इतिहास बहुत व्यापक और गौरवशाली रहा है। इस इतिहास की जानकारी प्रत्येक भारतीय को होनी चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने इस ओर भी ध्यान दिया है। सरयू नदी के तट पर यह इतिहास भी उकेरा जाएगा। महाराज मनु, इक्ष्वाकु, मान्धाता, रघु, हरिश्चंद्र, दिलीप, भगीरथ, अज, दशरथ आदि का इतिहास लोगों को बताया जाएगा।
इक्ष्वाकुपुरी के एक तरफ सरयू नदी के किनारे रिवर फ्रंट बनेगा। इस इतिहास से जुड़े ऐतिहासिक चित्र, लघु फिल्मों, डाक्यूमेंट्री, डिजिटल किताबों आदि का प्रदर्शन होगा। इस नगरी में आधुनिकता, वैज्ञानिकता और आध्यात्मिकता तीनों का समन्वय होगा। सौ से ज्यादा देशों में प्रभु राम को अपना वंशज मानने वाले समुदाय हैं। इन सभी की शैली व परम्परा के यहां दर्शन होंगे। इन सभी दृष्टियों से भव्य राम मंदिर, इक्ष्वाकुपुर, कुंभ नगरी का निर्माण होगा।
अयोध्या के बाहरी क्षेत्र को आसपास शहरों व बड़े राजमार्गों से जोड़ने के लिए फोर लेन सड़कों, ओवरब्रिज, बाईपास, एयरपोर्ट आदि का निर्माण भी किया जाएगा। शास्त्रों में वर्णित दंडकारण्य, विंध्यारण्य, धर्मारण्य, वेदारण्य व गुरुकल, जलाशय, सरोवर, उपवन की भी स्थापना की जाएगी। योगी आदित्यनाथ ने इन सभी योजनाओं का प्रजेंटेशन देखा। वह इसके प्रति गंभीर हैं।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ ही इस महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य आगे बढ़ सकता है। विश्व के सौ देशों में इसे लेकर उत्सुकता रहेगी। योगी आदित्यनाथ की इस कार्ययोजना के क्रियान्वयन के बाद अयोध्या विश्व स्तरीय तीर्थाटन केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित होगा।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)