रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से अयोध्या और प्रदेश के विकास के साथ-साथ देश के समावेशी विकास को बल मिलना लाजिमी है। अयोध्या में आधारभूत संरचना विकसित होगी, बुनियादी सुविधाएँ जैसे, बिजली, पानी, सड़क, स्कूल, अस्तपताल का लाभ वहाँ के रहवासियों को मिलेगा, रोजगार सृजन होगा, निर्माण व विनिर्माण, पर्यटन, सेवा, होटल व रेस्तरां, परिवहन, हवाई परिवहन आदि क्षेत्रों का विकास सुनिश्चित हो सकेगा। साथ ही, उत्तरप्रदेश से कामगारों का दूसरे प्रदेशों में पलायन भी कम होगा।
प्राचीन काल से ही अर्थव्यवस्था की मजबूती में मंदिरों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, क्योंकि हमारे देश में मंदिर शुरू से ही आर्थिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। कई मंदिरों के कर्त्ता-धर्ता या ट्रस्ट समीपवर्ती इलाकों में सराय या विश्रामगृह, गुरुकुल, सड़क, स्वास्थ केंद्र, प्याऊ आदि का निर्माण करवाते थे, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती थी, रोजगार सृजन को बल मिलता था और प्रदेश के विकास दर में वृद्धि होती थी।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से अयोध्या और प्रदेश के विकास के साथ-साथ देश के समावेशी विकास को बल मिलना लाजिमी है। अयोध्या में आधारभूत संरचना विकसित होगी, बुनियादी सुविधायेँ जैसे, बिजली, पानी, सड़क, स्कूल, अस्तपताल का लाभ वहाँ के रहवासियों को मिलेगा, रोजगार सृजन होगा, निर्माण व विनिर्माण, पर्यटन, सेवा, होटल व रेस्तरां, परिवहन, हवाई परिवहन आदि क्षेत्रों का विकास सुनिश्चित हो सकेगा। साथ ही, उत्तरप्रदेश से कामगारों का दूसरे प्रदेशों में पलायन भी कम होगा। अयोध्या में आर्थिक गतिविधियां जब तेज होगी तो देश में मांग और आपूर्ति में बढ़ोतरी होगी, निवेश बढ़ेगा और खपत या खर्च में वृद्धि होगी, जिससे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों के प्रदर्शन में बेहतरी आएगी।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सूचकांक सेंसेक्स 73,000 अंक के स्तर को छू चुका है और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सूचकांक निफ्टी भी 21,000 के स्तर को पार कर चुका है। मौजूदा परिदृश्य में सेंसेक्स इस साल के अंत तक 80,000 के स्तर को पार कर सकता है, वहीं, निफ्टी 30,000 के स्तर को पार कर सकता है। बीएसई और निफ्टी से सूचीबद्ध कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत बनी हुई है और आगामी सालों में भी इनके मजबूत बने रहने के आसार हैं।
वहीं, अमेरिका सहित लगभग सभी विकसित देशों के शेयर बाजार में बिकवाली का दौर जारी है। कोरोना महामारी, भू-राजनैतिक संकट जैसे, रूस-यूक्रेन एवं इजरायल-हमास के बीच चल रहे युद्ध आदि की वजह से विकसित देशों की अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार की हालत खस्ता है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी बनी हुई है और कुछ देशों में मंदी आने के आसार हैं, लेकिन इसके ठीक उलट भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार लगातार चमकीला होता जा रहा है।
शेयर बाजार में उछाल का एक बड़ा कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा भारतीय बाजार में ज्यादा निवेश करना है। देश में राजनीतिक स्थिरता, मुसलसल मजबूत होती भारतीय अर्थव्यवस्था और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में लगातार गिरावट को देखते हुए भारतीय शेयर बाजार में सिर्फ दिसंबर महीने में 57000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश एफआईआई द्वारा किया गया है, जबकि इस साल एफआईआई का कुल निवेश 1.62 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है, जबकी विदेशी निवेशकों के द्वारा किया गया कुल निवेश लगभग 2 लाख करोड़ रुपए हो चुका है। एफआईआई इक्विटी के अलावा डेट फंड में 60,000 करोड़ रुपए का निवेश कर चुके हैं। एफआईआई ने सबसे अधिक निवेश वित्त क्षेत्र में किया है, लेकिन पूंजीगत समान, दूरसंचार आदि क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय राशि का निवेश उनके द्वारा किया गया है।
माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के अनुसार विगत 23 वर्षों में भारत में 919 अरब डॉलर का एफडीआई आया है, जिसमें से 65 प्रतिशत यानी 595 अरब डॉलर का निवेश माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में आया है। इधर, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 8 दिसंबर तक विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 606.85 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुँच गया है, जो 1 दिसंबर को 604.4 बिलियन डॉलर था। इसके साथ, विदेशी करेंसी असेट्स में भी बढ़ोतरी हुई है और यह 3.08 बिलियन डॉलर बढ़कर 536.69 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुँच गया है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 7.0 प्रतिशत रहेगी, जो भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से 20 बीपीएस अधिक है।
प्रति व्यक्ति नॉमिनल जीडीपी वृद्धि में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2023 में यह बढ़कर प्रति व्यक्ति 47000 रुपए हो गया है। वहीं, वित्त वर्ष 2023 में सेवा क्षेत्र में 9.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2022 के दौरान इस क्षेत्र में 8.4 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई थी। सेवा क्षेत्र के अंतर्गत होटल, परिवहन, संचार आदि क्षेत्रों में तेज वृद्धि दर्ज की गई है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी का दौर जारी रहने के कारण जीडीपी में मुसलसल सुधार आ रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में जीडीपी में 7.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई, जबकि पहली तिमाही में यह 7.8 प्रतिशत रही थी, जो पिछली 4 तिमाहियों में सबसे अधिक थी। उल्लेखनीय है कि दूसरी तिमाही में जीडीपी में सिर्फ 6.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने का अनुमान जताया गया था। उल्लेखनीय है कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर रूस, अमेरिका, चीन और यूनाइटेड किंग्डम से बेहतर है, जहां वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर क्रमशः 5.5 प्रतिशत, 5.2 प्रतिशत, 4.9 प्रतिशत 0.6 प्रतिशत रही है।
राजस्व संग्रह और खर्च दोनों में वृद्धि हुई है, जिससे राजकोषीय घाटा में मामूली वृद्धि की आशंका है। फिर भी उम्मीद है कि अगर राजस्व संग्रह में बजटीय अनुमान के अनुसार वृद्धि होती है तो सरकार के पास बिना राजस्व घाटे के प्रतिशत में बदलाव किए वित्त वर्ष 2023 में लगभग 85,939 करोड़ रुपए खर्च करने की गुंजाइश होगी, जिसका इस्तेमाल विकासात्मक कार्यों में किया जा सकता है।
10 से 12 जनवरी को गुजरात की राजधानी गांधीनगर में आयोजित की गई वाइव्रेंट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन में माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत वित्त वर्ष 2027-28 तक 5 लाख करोड़ डॉलर से अधिक की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, जबकि 2047 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 30 लाख करोड़ डॉलर तक पहुँच जाएगा। अभी भारतीय अर्थव्यवस्था 3.4 लाख करोड़ डॉलर के साथ दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
एनएसओ द्वारा जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों के अनुसार अक्तूबर महीने में भारत का औद्योगिकी उत्पादन 11.7 प्रतिशत रहा, जो विगत 16 महीनों में सबसे अधिक है। सितंबर महीने में यह 5.8 प्रतिशत रही थी और 2022 के सितंबर महीने में 3.3 प्रतिशत। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारक बिजली क्षेत्र है, जिसमें अक्तूबर महीने में 20.4 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई, जबकि अक्टूबर 2022 में इसमें 1.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई थी।
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से निवेश में वृद्धि, रोजगार सृजन, विविध क्षेत्रों के विकास दर में वृद्धि, विदेशी मुद्रा में इजाफा आदि होने की संभावना है, जिससे विकास दर में इजाफा होना लाजिमी है। अभी महंगाई स्थिर बनी हुई है और इसमें आगामी महीनों में कमी आने के आसार हैं, निर्यात बढ़ रहा है, औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है, सरकारी और निजी कंपनियों के बैलेंस शीट और मुनाफे में बेहतरी आ रही है, निजी निवेश और खर्च में वृद्धि हो रही है आदि। ऐसे माहौल में अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार का चमकना लाजिमी है।