एक भारतीय के नाते खबरिया चैनल पर इस तरह की बहस सुनने का यह पहला अनुभव था। जिसमें पाकिस्तान पैनलिस्ट सफकात सईद को बलूचिस्तानी पैनलिस्ट तारिक फतह कहते हैं- ‘‘तुम अपने पूर्वजो को भूल सकते हो। मैं नही भूल सकता। इस नाते मैं हिन्दूस्तानी हूं। तुम पाकिस्तानी भी हिन्दूस्तानी हो। अफगानी भी हिन्दूस्तानी हैं। बलूचिस्तानी भी हिन्दूस्तानी है।’’ इतना सुनने के बाद सभी पाकिस्तानी पैनलिस्ट बौखला उठे। उनके बौखलाने की एक वजह यह भी है कि पाकिस्तान तक यह संदेश चला गया है। प्रधानमंत्री के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान पर दिए गए बयान के बाद पूरी दुनिया के सामने अब विमर्श बदल गया है। जानकार कहते हैं कि पाकिस्तान ने अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ी तो उसके पास सिर्फ पंजाब का हिस्सा रह जाएगा जो वास्तव में पाकिस्तान है। बाकी सब एक-एक करके उससे अलग होने वाले हैं।
इस वक्त पाकिस्तान से कश्मीर ही नहीं बलूचिस्तान भी आजादी मांग रहा है। बलूचिस्तान का दावा है कि वह कभी पाकिस्तान का हिस्सा था ही नहीं। उसके ऊपर पाकिस्तान ने जबरन कब्जा किया हुआ है। बलूचिस्तान में आजादी की मांग करने वाले हजारों नौजवानों की हत्या हुई। अभी बलूचिस्तान बार असोसिएशन के अध्यक्ष बिलाल अनवर कासी की हत्या के बाद पूरे बलूचिस्तान में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला जारी है। अब आजादी की मांग पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों से सुनने में आ रही है। अहमर मुस्तीखान बलूच उसी कार्यक्रम में मौजूद थे, जिसमें सफकात सईद और तारक फतह मौजूद थे। अहमर ने अपनी बात की शुरूआत ही भारत माता की जय से की। और कार्यक्रम के अंतिम हिस्से में कहा- हर हर मोदी, घर घर मोदी। अहमर ने अपनी बात करते हुए, फिल्म शोले के एक मशहूर डायलग को अपने अंदाज में बोला- अब तेरा क्या होगा जनरल?
पाकिस्तान पैनलिस्ट सफकात सईद को बलूचिस्तानी पैनलिस्ट तारिक फतह कहते हैं, ‘‘तुम अपने पूर्वजो को भूल सकते हो। मैं नही भूल सकता। इस नाते मैं हिन्दूस्तानी हूं। तुम पाकिस्तानी भी हिन्दूस्तानी हो। अफगानी भी हिन्दूस्तानी हैं। बलूचिस्तानी भी हिन्दूस्तानी है।’’ इतना सुनने के बाद सभी पाकिस्तानी पैनलिस्ट बौखला उठे। उनके बौखलाने की एक वजह यह भी है कि पाकिस्तान तक यह संदेश चला गया है। प्रधानमंत्री के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान पर दिए गए बयान के बाद पूरी दुनिया के सामने अब विमर्श बदल गया है। जानकार कहते हैं कि पाकिस्तान ने अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ी तो उसके पास सिर्फ पंजाब का हिस्सा रह जाएगा। बाकी सब एक-एक करके उससे अलग होने वाले हैं।
मोदी के बलूचिस्तान पर आए बयान का पूरे बलूचिस्तान में स्वागत हो रहा है। छात्र नेता फातिमा बलोच का तो हर एक पाकिस्तानी के लिए यह संदेश है, कि बलोचिस्तान के लोगों को पाकिस्तानी कहकर अपमानित ना किया जाए। वे बलोच हैं। उन्हें बलोच ही कहा जाए। यदि बात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की करें तो पहली बार भारत की तरफ से कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को इतना कड़ा संदेश गया है। ‘पाकिस्तान से अब बातचीत कश्मीर पर नहीं बल्कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर होगी।’ भारत के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के इस बयान के बाद पाकिस्तान ने जिस कश्मीर पर जबरन कब्जा कर रखा है। वहां रहने वालों की आंखों में इस खबर ने जरूर आजादी की एक रोशनी दिखाई होगी।
‘‘हम लड़कर लेंगे आजादी
जान हमारी आजादी
हम छीन कर लेंगे आजादी
इन्हें देनी पड़ेगी आजादी
हम पाकिस्तान से लेंगे आजादी’’
इस तरह की आवाज कोटली से आ रही है, यह आवाज मुजफ्फराबाद से आ रही है, यह आवाज गिलगिट आ रही है। अब पाकिस्तान ने जिस कश्मीर के हिस्से पर कब्जा करके रखा हुआ है, उसके चप्पे-चप्पे में आजादी की मांग हो रही है। लोग जान जाने से डरे बिना सड़कों पर उतर रहे हैं और गीत गा रहे हैं- ‘हम छीन के लेंगे आजादी, पाकिस्तान का बाप भी देगा आजादी।’ यदि पाकिस्तान आज अपने देश के अंदर अलग-अलग हिस्सों से आ रही जनमत संग्रह की मांग को मान ले तो एक पाकिस्तान के अंदर से ना जाने कितने पाकिस्तान निकल कर सामने आएंगे। यह बात अब पूरी दुनिया जानती है कि मानवाधिकार नाम की व्यवस्था पाकिस्तान में अप्रासंगिक हो गई है। आज तक इतने विरोध प्रदर्शन के बाद, इतनी हत्याओं के बाद भी मानवाधिकार का कोई नुमाइंदा बलूचिस्तान नहीं गया। बलूचिस्तान के पीड़ितों के अनुसार- मानवाधिकार वालों को पाकिस्तान की आर्मी जैसा बताती है, उसे ही वे सच मानते हैं।
पाकिस्तान में इस वक्त घरेलू मोर्चे पर बूरी तरह उलझा हुआ है। ऐसे समय में सवाल उठता है कि पाकिस्तान में उत्पन्न हुए इस माहौल से उपजी परेशानी की चिन्ता दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के वामपंथी छात्र संगठनों को क्यों है? वर्ना भारत में वे मुट्ठी भर छात्र देश विरोधी नारा लगाकर पाकिस्तान को अनर्गल बयानबाजी का अवसर क्यों देते?
पिछले साल अंजूमन-मिनहास-ए-रसूल के अध्यक्ष मौलाना सैयद अथर देहलवी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से कुछ दिन रह कर लौटे। लौटने के बाद भारतीय मीडिया ने उनके अनुभव जानने के लिए बातचीत की, उनका आंखों देखा हाल चैंकाने वाला था, क्योंकि कश्मीर वाले हिस्से से पाकिस्तानी गुलामी की वह दास्तान पहले कभी आम आदमी के सामने आई ही नहीं थी। अपने अनुभव से और पाकिस्तान की गुलामी में जी रहे कश्मीरियों से हुई बातचीत के आधार पर अथर साहब ने कहा कि वहां आज जनमत संग्रह हो जाए तो नब्बे फीसदी से अधिक जनता भारत के साथ आने को तैयार है।यह बात बलूचिस्तान के बड़े नेता बलवारिस्तान नेशनल फ्रंट के अध्यक्ष अब्दुल हामिद खान भी मानते हैं कि जिनकी सरकार पाकिस्तान में होती है, उनके लोगों को गिलगिट बाल्टीस्तान में सेलेक्ट किया जाता है। पूरे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में इलेक्शन का सिर्फ ड्रामा होता है। यहां चुनाव का सिर्फ दिखावा होता है और अपने लोगों को चुन लिया जाता है।
वास्तव में, पूरा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पाकिस्तानी फौजियों के कब्जे में है। न्याय का अधिकार किसी को नहीं है। बोलने का अधिकार किसी को नहीं है। आज पूरा पीओके जनमत संग्रह की बात कर रहा है। वहां के लोग कह रहे हैं कि जो भी निर्णय आएगा, हम मानने को तैयार हैं, लेकिन पाकिस्तान जानता है कि अब वहां की नब्बे फीसदी आबादी भारत के साथ आने को तैयार है, इसलिए पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर में जनमत संग्रह कराने को तैयार नहीं हो रहा है। पाकिस्तान को यह बात कब समझ आएगी कि उसके कब्जे वाले कश्मीर की बात हो या फिर बलूचिस्तान की। वहां जो लोग आजादी की मांग कर रहे हैं, वे देशद्रोही नहीं हैं क्योंकि पाकिस्तान उनका मुल्क कभी था ही नहीं। पाकिस्तान ने जबरन उस पर कब्जा किया हुआ है। बहरहाल पीओके पर देश के प्रधानमंत्री के बयान के बाद पूरा देश यह उम्मीद लगाए हुए है कि बीमारी का पता देश ने लगा लिया है, तो अब ईलाज भी जल्दी ही होगा।
लेखक पेशे से पत्रकार हैं।