फिनटेक के इस्तेमाल को बढ़ावा देना समय की मांग है। इसकी मदद से वितीय लेनदेन को आसान बनाया जा सकता है। हालाँकि, इसके समक्ष कुछ चुनौतियाँ भी हैं, लेकिन मोदी सरकार के नेतृत्व में भारतीय रिजर्व बैंक इसके राह के काटों को हटाने की लगातार कोशिश कर रहा है।
फिनटेक की लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। यह वित्तीय प्रौद्योगिकी का संक्षिप्त रूप है। इसके तहत पारंपरिक वित्तीय सेवाओं को सरल और सुलभ बनाया जा रहा है। इसकी मदद से वित्तीय समावेशन की संकल्पना को भी साकार किया जा रहा है। इसी वजह से पारंपरिक बैंकिंग करने वाले सरकारी बैंक फिनटेक कंपनियों से करारनामा करके नवाचार को अपना रहे हैं। बदले परिवेश के कारण चीन को पछाड़कर भारत फिनटेक सेवाओं के मामले में एशिया का सबसे बड़ा और विश्व में अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है।
फिनटेक का इस्तेमाल आज अर्थव्यवस्था के अहम् क्षेत्रों जैसे, आयात-निर्यात, रोज़गार सृजन, बीमा, ऋण वितरण, भुगतान, जमा आदि क्षेत्रों में किया जा रहा है। यह वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता लाने का भी काम कर रहा है। इसकी मदद से क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन का कार्य भी किया जा रहा है। इसके अंतर्गत ब्लॉकचेन तकनीक की मदद से लेन-देन के रिकॉर्ड को भी सुरक्षित रखा जा रहा है। शिक्षा, खुदरा बैंकिंग, पूँजी जुटाने, निवेश प्रबंधन आदि क्षेत्रों में भी फिनटेक के प्रयोग में तेजी आ रही है।
आधार कार्ड और जनधन खातों की मदद से फिनटेक के विकास को बल मिला है। अगस्त 2021 तक देश में 43 करोड़ से अधिक जनधन खाते खुल चुके थे। देश में 1.2 बिलियन से अधिक स्मार्टफोन उपभोक्ता हैं। फिनटेक की वजह से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के प्रयोग में भी निरंतर इजाफा हो रहा है। अब ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम्) का चलन कम हो गया है और इसकी जगह लोग यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं।
देश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के अस्तित्व को कायम रखने के लिए बहुत ज्यादा पूँजी की जरुरत है। अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम की एक रिपोर्ट के अनुसार, एमएसएमई क्षेत्र में आवश्यकता और उपलब्ध पूंजी का अंतर लगभग 397.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। ऐसे में एमएसएमई क्षेत्र की जरूरतों को फिनटेक के माध्यम से पूरा किया जा सकता है, क्योंकि तकनीक की मदद से फिनटेक आसानी से पूँजी की कमी को दूर कर सकता है।
फिनटेक स्टार्टअप के माध्यम से आज एमएसएमई कारोबारियों को आसान तरीके से यानी बिना कागजी झंझट के ऋण उपलब्ध कराये जा रहे हैं। फिनटेक स्टार्टअप्स से बैंकिंग कामकाज में पारदर्शिता भी आ रही है। बैंक फिनटेक के महत्व को अच्छी तरह से समझ चुके हैं। फिनटेक कंपनियों की मदद से बैंकों का ग्राहक आकार निरंतर व्यापक हो रहा है, बैंकिंग परिचालन के व्यय में भी कमी आ रही है।
हाल ही में आरबीएल बैंक ने 90 से अधिक फिनटेक स्टार्टअप्स के साथ करारनामा किया है। आरबीएल बैंक के पास 28 लाख ग्राहक हैं और इनमें से 30 प्रतिशत ग्राहक सिर्फ फिनटेक कंपनियों की मदद से आरबीएल बैंक को मिले हैं। यस बैंक ने भी फिनटेक कंपनियों के साथ करारनामा किया है।
यस बैंक को फिनटेक की मदद से लगभग 25 प्रतिशत ग्राहक मिले हैं। यस बैंक की यूपीआई लेनदेन में भी बड़ी हिस्सेदारी है। एक अनुमान के अनुसार यूपीआई लेनदेन में यस बैंक की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से भी अधिक है, जबकि बैंकिंग क्षेत्र में बैलेंस शीट और परिसंपत्ति के हिसाब से यस बैंक का बाजार शेयर केवल 1.5 प्रतिशत है।
बैंक, फिनटेक स्टार्टअप्स की मदद से वैसे ग्राहकों तक भी पहुंच रहे हैं, जिन्हें पहले बैंक अपनी सेवायें नहीं दे पा रहे थे। फिनटेक कंपनियों की मदद से बैंक ग्राहकों को बचत एवं चालू खाता खोलने के साथ-साथ ऑनलाइन ऋण की भी सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। फिनटेक कंपनियों की मदद से बैंकों का जमा और ऋण कारोबार भी बढ़ रहा है।
हालाँकि, देश में जिस तरह से हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की स्वीकार्यता बढ़ रही है, उसी तरह से देश में साइबर हमले के मामले और अन्य चुनौतियाँ भी बढ़ रही हैं। इनसे निपटने के लिए अभी काफी काम करने की आवश्यकता है।
एक तरफ फिनटेक कंपनियों से बैंकिंग क्षेत्र को लाभ हो रहा है तो दूसरी तरफ इनकी चुनौतियाँ भी हैं। अस्तु, ग्राहकों को डिजिटल उत्पादों के इस्तेमाल करने के क्रम में बहुत ही ज्यादा सावधान रहने की जरुरत है। बाजार में कई फिनटेक कंपनियां एप के जरिये ऋण की सुविधा दे रही हैं, लेकिन इस तरह के ऋण लेने से पहले ग्राहकों को सबसे पहले फिनटेक कंपनी के साख की जाँच करने की जरुरत है, मसलन, क्या फिनटेक कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक में पंजीकृत है या नहीं, फिनटेक कंपनियों की रेटिंग देखने की भी जरुरत है, ताकि गलत कंपनी से ऋण लेकर ग्राहक ठगी का शिकार नहीं हों।
अमूमन, केंद्रीय बैंक में पंजीकृत फिनटेक कंपनियां, केंद्रीय नियामक के दिशा-निर्देशों का पालन करती हैं और ऐसी कंपनियों से ऋण लेने पर ग्राहक ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं। ग्राहकों को वैसे एप से ऋण लेने से भी बचना चाहिए, जिनका कोई वेबसाईट नहीं है। भले ही कोई फिनटेक कंपनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध है, फिर भी, ग्राहकों को यह जरुर पता करना चाहिए कि फिनटेक कंपनी रिजर्व बैंक में पंजीकृत है या नहीं।
जिस फिनटेक कंपनी के एप से ग्राहक ऋण लेने की योजना बना रहे हैं, उसका भौतिक पता है या नहीं की जाँच भी ग्राहकों को करनी चाहिए। अगर ग्राहक को फिनटेक कंपनी का कोई भौतिक पता नहीं मिल रहा है तो उसे उस कंपनी से ऋण लेने से बचना चाहिए। ग्राहकों को फिनटेक कंपनियों से ऋण लेने से पहले उक्त कंपनी के बारे में प्रणाली में दर्ज रिव्यू को जरुर पढ़ना चाहिए। साथ ही, ग्राहकों को फिनटेक कंपनियों से ऋण लेने से पहले उक्त कंपनी के नियम और शर्तों को भी अच्छी तरह से पढ़ना और समझना चाहिए।
अगर एप डाउनलोड करने के क्रम में एप कंपनी की वेबसाइट पर जा रहा है तो उसे खतरे का संकेत मानना चाहिए और वैसे एप को डाउनलोड करने से बचना चाहिए। अगर ब्याज दर, प्रोसेसिंग शुल्क, वसूली की प्रक्रिया को लेकर पारदर्शिता का अभाव एप में है, तब भी वैसे एप को डाउनलोड करने से परहेज करना चाहिए।
भारतीय रिजर्व बैंक, फिनटेक कंपनियों से जुड़े जोखिमों से अनजान नहीं है। फिनटेक कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंक, “विनियामक सैंडबॉक्स” को सामने लेकर आने वाला है। यह एक ऐसा उपाय है, जिसकी मदद से किसी नई प्रौद्योगिकी को अमल में लाने से पहले नियामक की देख-रेख में उसके इस्तेमाल के तरीके को सीखा जा सकता है। “विनियामक सैंडबॉक्स” फिनटेक कंपनियों को कम लागत पर नवोन्मेषी उत्पादों को पेश करने में भी मदद करेगा।
फिनटेक की उपयोगिता को रिजर्व बैंक ने स्वीकार कर लिया है। केंद्रीय बैंक के अनुसार भी इसके आगाज से वितीय उत्पादों की लागत कम होगी, वित्तीय सेवाओं तक आम लोगों की पहुंच बढ़ेगी और वितीय उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ेगी। इसी वजह से केंद्रीय बैंक, फिनटेक कंपनियों के साथ मिलकर काम करने के लिये बैंकों को प्रोत्साहित कर रहा है।
रिजर्व बैंक यह भी चाहता है कि फिनटेक कंपनियों की क्षमता का समुचित दोहन करने के लिये इस क्षेत्र में निवेश के प्रवाह को हर स्तर पर सुनिश्चित किया जाये। साथ ही, फिनटेक कंपनियों और बैंकों के बीच करारनामा की संख्या को बढ़ाने के लिए एक समीचीन पारिस्थितिकी को विकसित करने और उसकी निगरानी करने की भी जरुरत है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्ति कांत दास के अनुसार देश में फिनटेक को अपनाने की दर लगभग 52 प्रतिशत है। दास के मुताबिक फिलवक्त देश में फिलवक्त 1,218 फिनटेक कंपनियां का परिचालन किया जा रहा है। आज फिनटेक, देश में निवेश को बढ़ाने के साथ-साथ बड़ी संख्या में रोजगार के अवसरों को सृजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
ऐसे में यह कहना सही होगा कि फिनटेक के इस्तेमाल को बढ़ावा देना समय की मांग है। इसकी मदद से वितीय लेनदेन को आसान बनाया जा सकता है। हालाँकि, इसके समक्ष कुछ चुनौतियाँ भी हैं, लेकिन मोदी सरकार के नेतृत्व में भारतीय रिजर्व बैंक इसके राह के काटों को हटाने की लगातार कोशिश कर रहा है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)