स्टेट बैंक ने योनो डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के तहत किसान ई-स्टोर खोला है। इस ई-स्टोर में बीज, पौधा संरक्षण से संबंधित सामग्री, पौधा पोषण, कृषि से संबंधित विविध उत्पाद, कीटनाशक, फफूंदनाशक, कृषि जैव उत्पाद, नीम का तेल, ऑर्गेनिक उत्पाद, संवर्धक, कृषि उपकरणों के अग्रणी ब्रांडों की विस्तृत श्रृंखला जैसे, छिडकाव यंत्र, बुवाई यंत्र आदि ऑनलाइन एवं सस्ती दर पर उपलब्ध हैं।
बैंक अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। यह लोगों की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने और रोजगार सृजन का बड़ा माध्यम हैं। गरीब से अमीर सभी को अपने जीवनयापन, कारोबार शुरू करने या उसमें बढ़ोत्तरी हेतु आर्थिक मदद की जरुरत पड़ती है, जिसे पूरा करने का काम बैंक कर रहे हैं।
कोरोना महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए नुकसान की भरपाई के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग 21 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने बैंकों को आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिये काम करने को कहा है।
घोषित पैकेज को “आत्मनिर्भर भारत अभियान” का नाम दिया गया है। इसके तहत, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), ग्रामीण क्षेत्र में किफायती आवास आदि के लिये अनेक प्रावधान किये गये हैं। नीतिगत उपायों के जरिये भी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की पहल की गई है। नीतिगत दरों में कटौती भी की गई है।
स्टेट बैंक ने योनो डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के तहत किसान ई-स्टोर खोला है। इस ई-स्टोर में बीज, पौधा संरक्षण से संबंधित सामग्री, पौधा पोषण, कृषि से संबंधित विविध उत्पाद, कीटनाशक, फफूंदनाशक, कृषि जैव उत्पाद, नीम का तेल, ऑर्गेनिक उत्पाद, संवर्धक, कृषि उपकरणों के अग्रणी ब्रांडों की विस्तृत श्रृंखला जैसे, छिडकाव यंत्र, बुवाई यंत्र आदि ऑनलाइन एवं सस्ती दर पर उपलब्ध हैं।
स्टेट बैंक किसानों के लिये मंडी, मित्र और कृषि गोल्ड ऋण की सुविधा भी उपलब्ध करा रहा है। मंडी के अंतर्गत किसानों के गैर बैंकिंग जरूरतों को पूरा किया जा रहा है। किसानों को बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है, जहाँ किसान बिना किसी बिचौलिये के लेनदेन कर रहे हैं। मित्र के तहत किसानों को वित्तीय सेवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। जरूरतमंद किसानों को कृषि गोल्ड ऋण दिया जा रहा है। यह बहुत ही लोकप्रिय उत्पाद है।
बैंक ने किसानों को पूर्ति और नपंता प्लेटफ़ॉर्म भी उपलब्ध कराया है, जिसके तहत किसान बीज, उर्वरक, कृषि उत्पाद आदि सस्ती दरों पर खरीद रहे हैं। इससे जुड़े किसान इनकी खरीदारी के लिये बैंक से ऋण भी ले सकते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म रियल टाइम बेसिस पर किसानों को बाजार में चल रहे फसलों के भाव, फसल प्रबंधन, फसल बीमा, कृषि तकनीकी समस्याओं का समाधान, कोल्ड स्टोरेज आदि की जानकारियां भी उपलब्ध करा रहा है।
योनो पम्पकार्ट, एग्रोस्टार और स्कामेटवेदर प्लेटफ़ॉर्म भी उपलब्ध कराता है। किसान कृषि उपकरण खरीदने के लिये इस प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग कर रहे हैं। एग्रोस्टार भारत का पहला तकनीकी स्टार्टअप है। यह प्लेटफ़ॉर्म किसानों की कृषि से जुड़ी समस्याओं का समाधान पेश करता है। इस प्लेटफ़ॉर्म पर मिस्डकाल या ऐप के जरिये किसान अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं, जबकि स्कामेटवेदर प्लेटफ़ॉर्म किसानों को मौसम संबंधी जानकारी उपलब्ध कराता है।
बैंक एमएसएमई कारोबारियों को संपत्ति के एवज में ऋण, ग्रामीण क्षेत्र में पेट्रोल पंप डीलरों एवं अन्य डीलरों को ऋण; वेयरहाउस रिसीट पर ऋण अर्थात वेयरहाउस में रखे अनाजों के बदले ऋण; दाल, चावल, चीनी, कपड़ा आदि मिलों के लिये ऋण; शिक्षा ऋण; दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिये वैयक्तिक ऋण; ग्रामीण क्षेत्र में किलीनिक खोलने के लिये डॉक्टर प्लस ऋण और स्कूल या महाविद्यालय खोलने के लिये ऋण उपलब्ध करा रहे हैं।
ग्रामीण कोर्पोरेट टाई-अप के जरिये किसान अपनी फसलों या कृषि उत्पादों को सीधे कोर्पोरेट्स को बेच रहे हैं, जिससे उन्हें स्थानीय मंडी जाने की जरुरत नहीं होती है। साथ ही, किसानों एवं ग्रामीण कारोबारियों को बिचौलिये को कमीशन नहीं देना पड़ता है। इससे किसानों के ढुलाई और भाड़े पर होने वाले खर्च बच रहे हैं।
बैंक किसानों को जमीन खरीदने, एग्री किलीनिक खोलने, पोली हाउस बनाने, कम्बाईन्ड हार्वेस्टर खरीदने, पशुपालन, मछलीपालन, मशरूम की खेती करने, कुक्कट पालन, सुअर पालन, हार्टीकल्चर, बकरीपालन, सेरीकल्चर, भेड़ पालन, मधुमक्खी पालन, ट्रैक्टर, पंपसेट व पाईपलाइन खरीदने आदि के लिये भी ऋण दे रहे हैं।
कोरोना काल में प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना से अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हों, इसके लिये सरकार ने 1,500 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है। यह लाभ शिशु मुद्रा ऋण लेने वाले लगभग 3 करोड़ लाभार्थियों को कम ब्याज दर के रूप में देने का प्रस्ताव है। पीएमएमवाई योजना के तहत तीन प्रकार के ऋण – शिशु, किशोर और तरुण दिये जाते हैं।
शिशु योजना के तहत 50,000 रुपये तक का ऋण कम ब्याज दर और आसान शर्तों पर दिया जाता है। किशोर योजना के तहत स्वरोजगार शुरू करने वाले व्यक्ति को 50,000 रुपये से 5,00,000 रुपये तक तक ऋण दिया जाता है और तरुण योजना के तहत कारोबार शुरू करने के लिए 5 लाख से 10 लाख रुपए तक का ऋण जरुरतमंदों को दिया जाता है।
राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (सांख्यिकी मंत्रालय) के वर्ष 2018 में जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार देश में करीब 6 करोड़ लघु उद्योग हैं, जिनमें 12 करोड़ से अधिक लोग कार्यरत हैं। अधिकांश लघु उद्योग प्रधानमंत्री मुद्रा ऋण की वजह से चल रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार इस योजना की मदद से देश में 3.5 करोड़ से अधिक लोग रोजगाररत हैं।
बैंक, ग्रामीणों को बैंक से जोड़ने, महिलाओं का सशक्तिकरण करने, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण या सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे ग्रामीणों के खाते में डालने, डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देकर ग्रामीणों की पहुँच दुनिया के बाजार तक करने, बिचौलिये की भूमिका को ख़त्म करने आदि का काम भी कर रहे हैं।
देश में लगभग 1.30 लाख से अधिक बैंक शाखाओं का नेटवर्क है। प्रधानमंत्री जनधन योजना की मदद से लगभग 40 करोड़ लोग बैंक से जुड़े चुके हैं। इस वजह से बैंक ज्यादा किसानों और लघु, छोटे एवं मझौले कारोबारियों को ऋण दे पा रहे हैं।
बैंक, ग्रामीणों को वित्तीय रूप से साक्षर भी बना रहे हैं। बैंक देश को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आत्मनिर्भरता का भाव समाज में भी उत्पन्न होना चाहिए, क्योंकि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिये सरकार के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों का सहयोग आवश्यक है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)