मोदी की छवि एक ऐसे विकास पुरुष की है, जो जाति-धर्म और आरोप-प्रत्यारोप की व्यर्थ राजनीति से परे होकर केवल देश हित में चौबीस घंटे काम करता है। मोदी स्वयं बिना अवकाश लिए तीन साल से लगातार काम कर रहे हैं और नौकरशाहों को भी प्रेरित कर रहे हैं। दरअसल ऐसी तमाम बातें हैं जो वर्तमान में नरेंद्र मोदी को देश का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनाती हैं। ऐसा लोकप्रिय नेता जिसके शासन के लगभग तीन वर्ष होने के पश्चात् भी उसकी लोकप्रियता में कमी नहीं, बल्कि निरंतर वृद्धि होती ही नज़र आ रही है।
साधारण पृष्ठभूमि से निकले नरेंद्र मोदी वर्तमान में एक असाधारण व्यक्तित्व बन चुके हैं। निश्चित ही वे इस देश के ऊर्जावान और दूरदर्शी प्रधानमंत्री हैं, लेकिन मन से वे स्वयं को आज भी एक साधारण कार्यकर्ता ही मानते हैं जो कड़ी मेहनत करने से आज भी नहीं चूकता। उन्हें परंपराओं का ज्ञान है, इतिहास बोध है, देश की संस्कृति का भान है और आधुनिकता से गुरेज नहीं है। तकनीक प्रधान इस युग को उन्होंने बखूबी समझा है और देश को डिजिटल इंडिया बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस देश ने इससे पहले इतना सुलझा हुआ और इतना सक्रिय प्रधानमंत्री नहीं देखा था। यही कारण है कि गुजरात में लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बनने के ठीक बाद प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी एक तिलिस्म से कम नहीं हैं।
भारतीय राजनीति में ‘शो मैन शिप’ लाने का श्रेय उन्हें दिया जा सकता है। वे साहसी और प्रयोगधर्मी हैं। जब उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बिना तय कार्यक्रम के अचानक लाहौर पहुंचकर जन्मदिन की बधाई दी थी, तो पूरे विश्व की निगाहें यकायक उनकी ओर मुड़ गई थीं। उनके इस साहस की विश्व मीडिया में लंबे समय तक चर्चा होती रही। यह अलग बात है कि उनकी इस सहजता और उदारता का पाकिस्तान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और वो अपने कुटिल षड्यंत्रों में लगा रहा। लेकिन, तभी दुनिया ने नरेंद्र मोदी का एक और रूप देखा जब उन्होंने जवानों को सर्जिकल स्ट्राइक करने के लिए खुली छूट दे दी और भारतीय सेना के वीर जवान पाकिस्तान अधिक्रांत कश्मीर में घुसकर नापाक आतंकी कैम्पों को ध्वस्त कर सुरक्षित ढंग से वापस लौट आए। देखा जा सकता है कि उनके भीतर बड़े और जोखिम भरे फैसले लेने की क्षमता किस कदर है।
बीते साल के अंत में जब उन्होंने नोटबंदी जैसा अहम फैसला किया तो कुशल अर्थशास्त्रियों तक के विश्लेषण गड़बड़ा गए। कई दिनों तक अर्थशास्त्री हिसाब-किताब लगाने में ही लगे रहे कि इस निर्णय का क्या नफा होगा और क्या नुकसान। लेकिन जिस आत्मविश्वास के साथ मोदी ने यह फैसला लिया उससे कहीं भी उनके मन का संकोच प्रकट नहीं हुआ। वे अपने फैसले पर दृढ़ बने रहे। इसका सुखद परिणाम ही है कि वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी के बाद बड़े पैमाने पर कालाधन अप्रचलित हो गया है। यह धन कहीं नष्ट किया गया तो कहीं जब्त किया गया तो कहीं भुगतान अथवा समायोजित कर दिया गया। इससे देश की अर्थव्यवस्था ही सुदृढ़ हुई।
पिछले महीने संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रचंड बहुमत लेकर आई तो उन्होंने अटकलों को विराम देते हुए एक महंत को मुखिया की कुर्सी सौंप दी। योगी आदित्यनाथ को यूपी का मुख्यमंत्री बनाकर मोदी ने एक तरह से सबको सरप्राइज कर दिया। यह मोदी की दूरदर्शिता का ही सार्थक परिणाम है कि आज योगी आदित्यनाथ महज एक महीने में उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश के सबसे अधिक चर्चित मुख्यमंत्री बन गए हैं। योगी ने सत्ता में आते से ही सुधार के अनेक बड़े कदम उठाए।
नरेंद्र मोदी को यदि हम वैश्विक परिवर्तनकारी नेता कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि सोशल मीडिया पर वे सक्रिय रहते हैं। फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसी लोकप्रिय सोशल साइट्स पर मोदी के फॉलोअर्स की संख्या अब लाखों-करोड़ों में है। इस कारण भी समय-समय पर विश्व के सर्वाधिक प्रभावशाली व्यक्तियों में उनकी गिनती होती है।
इस क्रम में मोदी के शुरूआती जीवन से यहाँ तक के सफर पर यदि एक संक्षिप्त दृष्टि डालें तो गुजरात के वडनगर में नरेंद्र मोदी 17 सितंबर 1950 को एक सामान्य घर में जन्मे थे। महज 17 वर्ष की आयु में उन्होंने संघ की सदस्यता ली और बाद के कई वर्षों तक वे संघ के प्रचारक रहे। इस दौरान उन्होंने पूरा देश घूमा। सैकड़ों शहरों की यात्राएं की। समाज व परिवारों को निकट से देखा, जाना और समझा। उन्होंने समाज की नब्ज जानी कि समाज क्या है, किस हाल में रहता है और ज़मीनी हकीकत क्या है। अस्सी के दशक में जब उनका भाजपा में पर्दापण हुआ तब दशक के अंत में उन्हें गुजरात यूनिट का महासचिव बनाया गया। पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्राओं में उन्होंने सदा सक्रिय भूमिका अदा की।
संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों से होते हुए सन 2001 में जब मोदी ने गुजरात की कमान संभाली तब उनके सामने तत्समय आए भीषण भूकंप में नष्ट हो चुके भुज व कच्छ समेत अन्य शहरों के पुर्ननिर्माण की चुनौती थी। वे इससे उबर ही रहे थे कि अगले साल 2002 में गोधरा हादसा हो गया जिसमें कई हिंदू कारसेवक असमय काल के गाल में समा गए। अब गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, मगर मोदी ने इन सभी स्थितियों का कुशलतापूर्वक सामना किया। उन्होंने भूकंप और दंगों में तबाह गुजरात को अपने कुशल नेतृत्व में ऐसा बना दिया कि अगले कुछ वर्षों में वो देश के तीव्रतम विकास दर वाले राज्यों में शुमार हो गया।
उनके खिलाफ तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस द्वारा तमाम षड्यंत्र रचे गए, मगर इन सबसे बेपरवाह मोदी ने गुजरात के विकास से अपना ध्यान भंग नहीं होने दिया और 2007 में जब वे दोबारा मुख्यमंत्री बने तब उनका जनाधार ही उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। अगले पांच वर्षों में मोदी ने लोकप्रियता के पायदान पर आगे बढ़ते हुए गुजरात को बेहद विकसित और उन्नत राज्य के रूप में लाकर खड़ा कर दिया। देश के अन्य राज्यों को भी इस पर हैरानी हुई और कई राज्यों ने गुजरात के विकास के मॉडल को अपने लिए प्रेरणा बना लिया। इसका सकारात्मक परिणाम सामने आया जब 2012 के विधानसभा चुनाव में मोदी लगातार तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री चुने गए और पीएम पद के प्रबल प्रत्याशी बनकर उभरे।
इसके बाद 2014 में देश ने बेहद महत्वपूर्ण सत्ता परिवर्तन देखा जब नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव में खड़े हुए और देश की जनता ने उन्हें विशाल बहुमत देकर इस देश का प्रधानमंत्री बनाया। यहां आकर मोदी के प्रति पूरे विश्व के नेता व रसूखदार लोग प्रभावित होने लगे। देश के विकास के लिए मोदी ने कई विदेश यात्राएं की और अब उनकी छबि एक वैश्विक राजनेता की हो गई। सत्ता के शिखर पर आने के बाद भी मोदी के स्वभाव व व्यवहार में परिवर्तन नहीं आया। सफलता उन पर हावी नहीं हो पाई और कठोर परिश्रम की उनकी जीवन शैली आज भी जारी है।
उनके भीतर सीखने की ललक आज भी युवाओं जैसी बनी हुई है और उम्र उनके लिए महज एक गणितीय आंकड़ा है। मन से वे आज भी ऊर्जावान हैं। मोदी ने अमेरिकी संसद, ब्रिटेन के एलबर्ट हॉल जैसी प्रतिष्ठित जगहों पर अपने मौलिक भाषण से श्रोताओं को चमत्कृत कर दिया। दिनो दिन उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। इसका परिणाम है कि जनता भाजपा पर और मोदी के नेतृत्व लगातार विश्वास जता रही है। सबके मन में यह विश्वास स्थापित होता जा रहा है कि मोदी एक अखंड भारत और विकास की राजनीति चाहते हैं। वे संकीर्णता से ऊपर उठकर देश को अग्रणी बनाने के प्रति संकल्पित हैं।
मोदी सिर्फ भारत में रहने वाले भारतीयों तक ही अपनी नज़र नहीं रखे, बल्कि विदेशों में रहने वाले अप्रवासी भारतीयों से जाकर भेंट किए, उनकी समस्याएं सुने और यथासंभव समाधान भी किए। उन्होंने समाज के गरीब और पिछड़े लोगों के लिए जनधन योजना जैसी योजना लागू की जिससे वे बैंकिंग व्यवस्था का हिस्सा बन सकें। नोटबंदी के बाद से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकारी ऐप भीम लांच किया।
निश्चित ही नरेंद्र मोदी भारत की राजनीति में एक शो मैन बनकर उभरे हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता में ही देश इसरो दवारा 102 सेटेलाइट उपकरण अंतरिक्ष में छोड़े जाने के एक विश्व कीर्तिमान का साक्षी बना। उन पर समय-समय पर विपक्षी दलों द्वारा शब्दों से हमले किए जाते रहे हैं लेकिन उन्होंने अपना आपा नहीं खोया और शांत बने रहे। वे कर्म करने में विश्वास रखते हैं और सतही बातों पर प्रतिक्रिया देकर समय नष्ट नहीं करते। विपक्षी दलों ने उनकी मुस्लिम विरोधी छवि बनाने की पूरजोर कोशिश की, लेकिन वे चुपचाप देश में मुस्लिमों के विकास के लिए भी समान भाव से काम करते रहे और परिणामस्वरूप अब धीरे-धीरे मुस्लिम समाज भी भाजपा की तरफ अपना रुख मोड़ने लगा है।
प्रधानमंत्री मोदी मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक जैसी रूढि़वादी और अमानवीय क्रुप्रथा के जंजाल से निकालने में जुटे हैं। स्पष्ट है कि मोदी की छवि एक विकास पुरुष की है, जो जाति-धर्म और आरोप-प्रत्यारोप की व्यर्थ राजनीति से परे होकर केवल देश हित में चौबीस घंटे काम करता है। वे स्वयं बिना अवकाश लिए तीन साल से लगातार काम कर रहे हैं और नौकरशाहों को भी प्रेरित कर रहे हैं। दरअसल ये वो सब बातें हैं जो वर्तमान में नरेंद्र मोदी को देश का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनाती हैं। ऐसा लोकप्रिय नेता जिसके शासन के लगभग तीन वर्ष होने के पश्चात् भी उसकी लोकप्रियता में कमी नहीं, बल्कि निरंतर वृद्धि होती ही नज़र आ रही है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)