पिछले चार वर्षों में मोदी सरकार ने किसानों की उन्नति के लिए कारगर कदम उठाए हैं। दस करोड़ किसानों को मृदा परीक्षण कार्ड उपलब्ध करा देना साधारण उपलब्धि नहीं है। इस योजना से यूपीए सरकार भी परिचित थी। लेकिन वह खानापूर्ति में लगी रही। नीम कोटिंग यूरिया में यूपीए की लापरवाही आश्चर्यजनक थी। बहरहाल अब समर्थन मूल्य में बढोत्तरी से किसानों को लाभ होगा। यह उम्मीद करनी चाहिए कि निर्धारित समय सीमा में किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। सरकार के प्रत्येक कदम उसी दिशा में बढ़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य तय किया था। इस दिशा में अनेक कदम उठाए गए थे, जिसके कारण चार साल को बेमिसाल माना जा रहा था। मोदी सरकार ने कृषि व्यवस्था को पटरी पर लाने की दिशा में अनेक प्रयास किए। अब इस सूची में एक नई उपलब्धि जुड़ी है। किसानों को उनकी उपज की लागत का अब डेढ़ गुना समर्थन मूल्य दिया जाएगा। यह अब तक कि सबसे बड़ी उपलब्धि है। जो लोग सत्ता में रहते हुए ये सब नहीं कर सके थे, उनकी नजर में यह लॉलीपॉप है। लेकिन वास्तविकता यह है कि ऐसे अनेक कदम मिलकर किसानों की आमदनी को दोगुना बनाने में सहायक होंगे।
मोदी सरकार के आने के बाद कृषि सुधार की दिशा में नीम कोटेड यूरिया, मृदा कार्ड, प्रधानमंत्री बीमा योजना, ई-नाम योजना के जरिये सभी मंडियों को ऑनलाइन जोड़ना, खाद्य प्रसंस्करण में साठ अरब रुपये का निवेश और किसान उत्पादक संघों को छूट जैसे फैसले लिए गए। खरीफ की फसलों के समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोतरी की गई। नौ करोड़ से ज्यादा किसानों को इसका सीधा लाभ होगा।
खरीफ की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में एक सौ अस्सी से, अठारह सौ सत्ताईस रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ोतरी की गयी है। रामतिल या नाइजर सीड पर सबसे ज्यादा अठारह सौ सत्ताईस रुपए बढ़ाए गए हैं। मूंग में चौदह सौ रुपए की बढ़ोतरी की गई है। सामान्य धान में दो सौ रुपए और ए-ग्रेड धान का एक सौ अस्सी रुपए बढ़ाया गया है।
खरीफ की फसलों से जुड़े करीब नौ करोड़ किसानों में से चार करोड़ धान की खेती करते हैं। किसी फसल का उत्पादन अधिक होने पर उसका बिक्री मूल्य कम हो जाता है। गिरावट को रोकने के लिए सरकार मुख्य फसलों का एक न्यूनतम बिक्री मूल्य निर्धारित करती है। बाजार में अगर किसानों को फसलों का उचित भाव नहीं मिल पाता है, तो सरकारी एजेंसियां घोषित किए गए न्यनतम समर्थन मूल्य पर उसे खरीद लेती हैं।
खरीफ की चौदह फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बदलाव किया गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि चौदह फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने से सरकार के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए बड़े प्रावधान किए गए हैं। सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पार किए बिना अतिरिक्त खर्च का वहन कर लेगी।
कृषि उत्पदकता बढ़ाने और उत्पादन लागत कम करने के लिए केंद्र सरकार ने देश के सभी किसानों को मृदा परीक्षण कार्ड उपलब्ध कराने के लिए योजना चलायी है। अब तक दस करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष में खाद के उपयोग में दस प्रतिशत तक की कमी और उत्पादन में बारह प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
यूपीए सरकार के समय एक सौ चौहत्तर मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं थीं। मोदी सरकार में यह आंकड़ा नौ हजार को पार कर गया है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सिंचाई योजना के तहत अनेक कदम उठाए गए हैं, जिससे सिंचित भूमि का क्षेत्र बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री कृषि कौशल योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि से संबंधित विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान करवाना है, जिससे ग्रामीण युवक कृषि के अलावा अन्य रोजगार कर सकेंगे।
यूरिया उत्पादन में भारत कुछ समय बाद निर्भर हो जाएगा। सरकार गोरखपुर, सिंदरी, बरौनी, तालचर और रामागुण्डम स्थित पांच उर्वरक संयत्रों का पुनरूद्धार कर रही है। गोरखपुर में निर्माणाधीन फैक्ट्री में यूरिया का उत्पादन वर्ष दो हजार बाइस से शुरू हो जाएगा। इन संयत्रों में पैसठ लाख टन यूरिया का उत्पादन होगा। पचपन लाख टन यूरिया का आयात करना पड़ता है जिससे निजात मिलेगी। देश में सालाना लगभग तीन सौ दस लाख टन उर्वरक उत्पादन होता है। नीम कोटिंग यूरिया से खपत में कमी दर्ज की गई। इससे खेती की लागत में कमी आई है। किसानों को इसका फायदा हो रहा है।
गोबर-धन योजना पर भी अमल हो रहा है। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। बाईस हजार ग्रामीण हॉट को ग्राम बाजार से जोड़ा जाएगा। कृषि उत्पादों के निर्यात को सौ अरब डॉलर के स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य भी सरकार ने रखा है। सिंचाई के पानी की कमी वाले छियानबे जिलों को इन संसाधनों के विकास हेतु छब्बीस सौ करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। किसानों को बिजली का असली फायदा देने के लिए अब फीडर लाइन को अलग किया जाएगा। अलग बिजली फीडर होने से किसानों को बिजली सब्सिडी सीधे बैंक खाते में देने की व्यवस्था शुरू की जा सकेगी।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं के कारण पहुंची क्षति को प्रीमियम के भुगतान द्वारा एक सीमा तक कम किया जा रहा है। इसके अंतर्गत अट्ठासी करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिससे किसानों के प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक कम किया जा सके। यह खरीफ और रबी की फसल के अतिरिक्त वाणिज्यिक और बागवानी फसलों को भी सुरक्षा प्रदान करने वाली योजना है।
किसानों के लिए कर्ज का ब्याज-दर को घटाकर केवल चार प्रतिशत कर दिया गया। सरकार इस योजना के अंतर्गत ब्याज का पांच प्रतिशत भाग किसानों को वापस करेगी। नए प्रस्ताव के अनुसार केंद्र सरकार किसानों के ब्याज में दो प्रतिशत की सब्सिडी देगी। सही समय पर कर्ज वापस करने वाले किसानों को ब्याज में मात्र तीन प्रतिशत की अतिरिक्त राहत दी जाएगी। इसमें तीन लाख तक के कर्ज की सुविधा भी दी गई है।
जाहिर है कि पिछले चार वर्षों में मोदी सरकार ने किसानों की उन्नति के लिए कारगर कदम उठाए हैं। दस करोड़ किसानों को मृदा परीक्षण कार्ड उपलब्ध करा देना साधारण उपलब्धि नहीं है। इस योजना से यूपीए सरकार भी परिचित थी। लेकिन वह खानापूर्ति में लगी रही। नीम कोटिंग यूरिया में यूपीए की लापरवाही आश्चर्यजनक थी। बहरहाल अब समर्थन मूल्य में बढोत्तरी से किसानों को लाभ होगा। यह उम्मीद करनी चाहिए कि निर्धारित समय सीमा में किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। सरकार के प्रत्येक कदम उसी दिशा में बढ़ रहे हैं।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)