उत्तर प्रदेश में भाजपा ने सपा-बसपा के संभावित गठबन्धन के मुकाबले का मंसूबा बना लिया है। उसी प्रकार वह पश्चिम बंगाल में कमल खिलाने की दिशा में कारगर ढंग से बढ़ रही है। शाह ने जो सवाल उठाए उससे ममता बचना चाहती हैं। शाह ने पूछा था कि बंगाल को केंद्र की ओर से तीन लाख करोड़ रुपया भेजा गया, आखिर वो कहां चला गया है?
विपक्षी महागठबंधन की कवायदों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना मंसूबा बुलंद कर लिया है। यह बात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की पहले कलकत्ता की जनसभा और फिर मेरठ में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के समापन भाषण से जाहिर हुई।
पश्चिम बंगाल में भाजपा, कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों को पछाड़ कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। मतलब यहाँ पार्टी जमीनी स्तर पर मुख्य विपक्षी पार्टी की हैसियत में आ गई है। अमित शाह ने इसी अंदाज में ममता बनर्जी सरकार पर हमले किये। इतना ही नहीं, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भी भाजपा को वास्तविक मुख्य विपक्षी पार्टी मान लिया है। उसने भी इसी रूप में भाजपा का विरोध किया। कांग्रेस और वामपंथियों को लड़ाई से बाहर माना जा रहा है।
भाजपा ने रात में बैठक स्थल पर ही सात सौ कार्यकर्ताओं का सहभोज आयोजित किया। यह सहभोज वाराणसी में मोदी के टिफिन भोज की तर्ज पर हुआ। साढ़े तीन सौ स्थानीय कार्यकर्ता घरों से टिफिन लेकर आये। केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री से लेकर सांसद और विधायकों को कार्यकर्ताओं के साथ अलग-अलग मेज पर भोजन का मौका मिला। इससे कार्यकर्ताओं को खुशी हुई। भाजपा के संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने कार्यकर्ताओं का सम्मान बढ़ाने के लिए यह रचना की थी। यह केवल इस बैठक तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका बूथ स्तर तक विस्तार किया जाएगा।
कार्यसमिति के सभागार सहित कई अन्य स्थानों पर चौधरी चरण सिंह के कटआउट भी शोभा बढ़ा रहे थे। भाजपा चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा मानती है। प्रथम स्वाधीनता संग्राम के सेनानी मातादीन बाल्मिकी के नाम पर बने परिसर में कार्यसमिति आयोजित कर भाजपा ने समरसता का सन्देश देने का काम भी किया है। प्रथम स्वाधीनता संग्राम में मंगल पांडेय की क्रांति को विस्तार देने वाले मातादीन बाल्मिकी को पश्चिमी उप्र में बाल्मीकि समाज उन्हें अपना गौरव मानता है।
यूपी में भाजपा सत्ता में है। यह पक्ष भी भाजपा का मजबूत है, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश को विकसित बनाने में पूरी मेहनत और ईमानदारी से लगे हैं। कार्यसमिति प्रारंभ होने के पहले लखनऊ में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक जिला-एक उत्पाद योजना लांच की थी। यह योगी की महत्वाकांक्षी योजना है। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साठ हजार करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया था। साढ़े चार लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं। उत्तर प्रदेश का अनेक बिंदुओं पर मात्र डेढ़ वर्ष में रैंक बढ़ा है।
मतलब साफ है, सरकार के स्तर पर भाजपा विकास को मुद्दा बनाएगी। जबकि संगठन के स्तर पर अति दलित, पिछड़ा, जाट, सवर्ण आदि के समर्थन की वह उम्मीद कर सकती है। अमित शाह भी इस बात से उत्साहित थे। इसलिए उन्होंने पहले के मुकाबले अधिक सीट हासिल करने का लक्ष्य बनाया है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा ने सपा-बसपा के संभावित गठबन्धन के मुकाबले का मंसूबा बना लिया है। उसी प्रकार वह पश्चिम बंगाल में कमल खिलाने की दिशा में कारगर ढंग से बढ़ रही है। शाह ने जो सवाल उठाए उससे ममता बचना चाहती हैं। शाह ने पूछा था कि बंगाल को केंद्र की ओर से तीन लाख करोड़ रुपया भेजा गया, आखिर वो कहां चला गया है?
शाह ने तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस दोनों से सवाल पूछा कि बंगाल के लोगों के मानवाधिकार की उन्हें चिंता है या नहीं। जिस प्रकार से ममता बनर्जी के शासन में घुसपैठ जारी है, ये ठीक नहीं है। घुसपैठ रोकने का सबसे आसाना रास्ता एनआरसी है। जनता बांग्लादेशी घुसपैठियों को बर्दाश्त नहीं करती जबकि ममता इन घुसपैठियों को राज्य में शरण देना चाहती हैं।
शाह ने दुर्गा पूजा, राम लीला का भी मुद्दा उठाया। ममता ने समुदाय विशेष को खुश करने के लिए इस पर रोक लगा दी थी। दुर्गा पूजा के दौरान दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन बंद कर दिया गया था। इतना ही नहीं, स्कूलों में सरस्वती पूजा रोक लगा दी गई थी। भाजपा के शासन में बहुसंख्यको की भावना का भी सम्मान होगा।
अमित शाह के स्वागत में पार्टी कार्यकर्ताओं ने बैनर लगाए थे। लेकिन तृणमूल ने नफरत की राजनीति का परिचय दिया। उसने शाह और भाजपा के खिलाफ पोस्टर लगाए। इनमें लिखा था, एंटी-बंगाल बीजेपी गो बैक। वेस्ट मिदनापुर में बीजेपी समर्थकों को अमित शाह की रैली में ले जाने के लिए नया बसात इलाके में खड़ी गाड़ी में हमलावरों ने शुक्रवार की शाम को तोड़फोड़ की। इससे दो बात जाहिर हुईं। एक यह कि तृणमूल अब भाजपा से परेशान होने लगी है, दूसरा यह कि तृणमूल बिलकुल वामपंथियों के अंदाज में विरोधियों पर हमलावर है।
जानबूझ कर तृणमूल ने इसी दिन राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण के खिलाफ रैली आयोजित करने की घोषणा कर दी। अमित शाह की रैली की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखना पड़ा था। जाहिर है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कलकत्ता से लेकर मेरठ तक बुलंद मंसूबा दिखाया है। इसका आधार भी है। भाजपा अपनी तैयारियों में सत्ता और संगठन दोनों स्तर पर उत्साहित नजर आ रही है जिस कारण विपक्षी खेमे में बौखलाहट साफ़ तौर पर देखी जा सकती है।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)