उत्तर प्रदेश सूबे के चुनावी समर में प्रवेश के साथ भाजपा ने अपने चुनावी संकल्प-पत्र में सामाजिक समरसता और सूबे के पिछड़ेपन पर वार करने का एजेंडा जारी किया है, जो अन्य राजनीतिक दलों से अलग रूपरेखा में प्रस्तुत किया गया है। इसके साथ मुस्लिम महिलाओं की बद्तर स्थिति में सुधारात्मक दृष्टि से प्रयास करने का ऐलान किया है। इस संकल्प-पत्र में समाज के सभी तबकों की तरफ दृष्टि डाली गई है। चाहे वह गरीब किसान हो या शिक्षा की बदहाल व्यवस्था से परेशान छात्र हों, सभी को ध्यान में रखते हुए सूबे को उत्तम प्रदेश बनाने और रोजगार व अन्य क्षेत्रों में विकसित करने का सार्थक विज़न भाजपा ने अपने संकल्प-पत्र में व्यक्त किया है। सबसे बड़ी बात कि प्रदेश में भाजपा ने जिस तरह से अपने संकल्प-पत्र को जारी किया है, उसमें समाज के विकास और समाज में व्याप्त विसंगतियों पर प्रहार करने की सार्थक रूपरेखा स्पष्ट झलकती है। अन्य दलों की तरह पार्टी ने सत्ता के लिए कोई हवा-हवाई वादे नहीं किये हैं। बिजली, पानी, स्वास्थ्य आदि बुनियादी सुविधाओं समेत क़ानून व्यवस्था के मामले में सपा शासन के दौरान प्रदेश की हालत बदतर हुई है। भाजपा ने इन सब बिन्दुओं पर प्रदेश को सुव्यवस्थित करने की रूपरेखा अपने संकल्प-पत्र में व्यक्त किया है।
भाजपा ने महिलाओं की स्थिति में सुधार के साथ-साथ सूबे में व्याप्त भ्रष्टाचार व गुंडाराज को दूर करने का वादा किया है। अन्य राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों में जहां केवल लोकलुभावन योजनाओं के ज़रिये मुफ़्त में विभिन्न प्रकार की चीजें देने का ऐलान किया गया है, वहीं भाजपा के इस संकल्प-पत्र में जनता की मूलभूत ज़रूरतों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। युवा से लेकर बुजुर्गं तक सभी तबकों को ख्याल रखने की कोशिश की गई है। भाजपा का संकल्प-पत्र यूपी की जनता के स्थायी हितों को सुनिश्चित करने वाला है।
भाजपा ने उत्तर प्रदेश चुनाव में ‘सबका साथ-सबका विकास’ की तर्ज़ पर चुनावी एजेंडे का प्रस्तुतिकरण जनता के समक्ष किया है। भाजपा के इस लोक कल्याणकारी संकल्प-पत्र में युवाओं, किसानों, पिछड़े तबकों, दलितों-पीड़ितों, व्यापारियों, सभीके विकास का लक्ष्य व रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। इसके साथ ही भाजपा ने महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के साथ-साथ सूबे में व्याप्त भ्रष्टाचार व गुंडाराज को दूर करने का वादा किया है। अन्य राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों में जहां केवल लोकलुभावन योजनाओं के ज़रिये मुफ़्त में विभिन्न प्रकार की चीजें देने का विज़न प्रस्तुत किया गया है, वहीं भाजपा के इस संकल्प-पत्र में जनता की मूलभूत जरूरतों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। युवा से लेकर बुजुर्गं सभी तबकों को ख्याल रखने की कोशिश की गई है। भाजपा का संकल्प-पत्र यूपी की जनता के स्थायी हितों को सुनिश्चित करने वाला है।
आज के दौर में जब संस्कृत भाषा अपना वज़ूद ढूंढ रही है, ऐसे में भाजपा के संकल्प-पत्र में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना का ज़िक्र होना, संस्कृत भाषा के संरक्षण-संवर्द्धन की दिशा में एक सही कदम हो सकता है। आज गरीब, कमज़ोर तबकों के परिवार निजी शिक्षण संस्थानों में बच्चों को शिक्षा नहीं दिलवा सकते हैं। फिर वे समाज से पीछे छूट जाते है, इस दिशा में केंद्र की भाजपा सरकार ने सूबे के गरीब परिवार के छात्रों के मेधावी होने पर 12वीं तक फ्री में शिक्षा देने की बात भी अपने संकल्प-पत्र में कही है। प्रदेश में चिकित्सा-व्यवस्था की बदहाली को दूर करने के लिए 6 नये एम्स स्थापित करने का वादा भी किया गया है। इसके साथ ही श्वेत क्रांति योजना का भी ऐलान किया गया है, जो सामाजिक दृष्टि से अच्छी योजना साबित हो सकती है। सत्ता में आने पर पूर्वांचल विकास बोर्ड की स्थापना का भी ज़िक्र किया गया है। 24 घंटे बिजली की बात भी की गई है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो दल और तीन महिला बटालियन दलों के गठन का ऐलान किया जाना भी भाजपा के संकल्प-पत्र का एक मुख्य वादा है, क्योंकि सूबे में महिलाओं प्रति अपराधों में भारी-भरकम इजाफा देखने को मिल रहा है। इसके अलावा मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई योजना फंड की शुरूआत, मज़दूरों को 2 लाख रूपये तक फ्री बीमा और किसानों के क़र्ज़ और ब्याज़ माफ़ करने की बात तथा गन्ना किसानों को 6000 करोड़ की सहायता का ऐलान जैसे कदमों के जरिये किसानों की दशा में सुधार लाने का वादा भी भाजपा ने अपने संकल्प-पत्र में किया है। स्पष्ट है कि भाजपा ने यूपी के अपने संकल्प-पत्र में समाज के सभी तबकों को उनका वाज़िब हक़ प्रदान करने की बात की है, जो भाजपा-नीत केंद्र सरकार की ‘सबका साथ-सबका विकास’ की नीति का मुख्य एजेंडा भी है। अर्थात कि जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ‘सबका साथ-सबका विकास’ की अवधारणा को चरितार्थ कर रही है, अगर यूपी में भाजपा सत्तारूढ़ होती है, तो वो भी उसी ढंग से कार्य करेगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)