गांवों की सबसे बड़ी कमजोरी कनेक्टिविटी का अभाव है। इसीलिए बजट में सड़क संपर्क के साथ-साथ डिजिटल कनेक्टिविटी पर जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान के तहत दो करोड़ ग्रामीणों को डिजिटल साक्षर किया जाएगा। पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ने की योजना के इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगी।
भारतीय राजनीति की विडंबना रही कि यहां आजादी के बाद से ही खेती-किसानी के नाम पर राजनीति हुई, लेकिन गांवों की दशा में अपेक्षित सुधार नहीं आया। सरकारों ने वोट तो ग्रामीण विकास के नाम पर मांगा लेकिन विकास किया शहरों का। इसका नतीजा यह निकला कि शहर और गांव के बीच खाई बढ़ती गई। इस असंतोष को दूर करने के लिए 1990 के दशक में सत्ता के विकेंद्रीकरण और पंचायती राज का नारा दिया गया। इसके बावजूद बहुसंख्यक ग्रामीण बिजली, पानी, सड़क, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहे। उदारीकरण-भूमंडलीकरण के दौर में यह खाई और चौड़ी हुई।
इसका नतीजा यह हुआ कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली खेती घाटे का सौदा बन गई और अन्नदाता आत्महत्या को गले लगाने लगा। इसके बावजूद जाति-धर्म और वोट बैंक की राजनीति करने वाली सरकारें दान-दक्षिणा वाली योजनाओं से आगे नहीं बढ़ पाईं।
2014 में भ्रष्टाचार, परिवारवाद और कमरतोड़ महंगाई के बीच भाजपा को ऐतिहासिक जनादेश हासिल हुआ। प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने खेती-किसानी को लाभ का सौदा बनाने के लिए गांवों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए युद्ध स्तर पर काम शुरू किया। बिजली, सड़क, सिंचाई, बीज, उर्वरक, भंडारण-विपणन तंत्र जैसी बुनियादी सुविधाओं को सुदृढ़ किया गया। इसके परिणामस्वरूप किसान आत्महत्याओं और गांवों से शहरों की ओर पलायन में कमी आई।
कृषि संबंधी बुनियादी ढांचा सुदृढ़ करने के बाद अब मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुनी करने का समयबद्ध कार्यक्रम तय किया है। 2019-20 के बजट में गांवों की तस्वीर बदलने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई अनूठी योजनाओं की घोषणा की गई है।
गांवों को बाजार से जोड़ने वाली सड़कों को अपग्रेड किया जाएगा। इसके लिए 80,000 करोड़ रूपये की लागत से प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का तीसरा चरण शुरू होगा। इसके तहत 1.25 लाख किलोमीटर सड़कें अपग्रेड की जाएंगी। अब तक 97 प्रतिशत ग्रामीण बस्तियों को बारहमासी सड़कों को जोड़ा गया है, शेष गांवों को इसी साल जोड़ने का लक्ष्य है।
स्फूर्ति योजना के तहत 2019-20 के दौरान बांस, शहद व खादी क्षेत्र के लिए 100 नए क्लस्टर बनाए जाएंगे। इससे 50,000 शिल्पकारों को आर्थिक मूल्य श्रृंखला में शामिल होने का मौका मिलेगा। इसके अलावा इस योजना के तहत कृषि ग्रामीण उद्योग क्षेत्र में 75000 कुशल उद्यमी के विकास हेतु 80 आजीविका बिजनेस इंक्यूबेटर और 20 टेक्नालॉजी बिजनेस इंक्यूबेटर स्थापित करने का प्रस्ताव है।
बजट में मत्स्य पालन और मछुआरों को कृषि क्षेत्र का हिस्सा मानते हुए इसके तीव्र विकास के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरूआत होगी। इसके तहत मत्स्यिकी ढांचे की स्थापना होगी ताकि मत्स्य क्षेत्र में मौजूद संभावनाओं का दोहन हो और डेढ़ करोड़ मछुआरों की जिंदगी में सुधार आए।
गांवों की सबसे बड़ी कमजोरी कनेक्टिविटी का अभाव है। इसीलिए बजट में सड़क संपर्क के साथ-साथ डिजिटल कनेक्टिविटी पर जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान के तहत दो करोड़ ग्रामीणों को डिजिटल साक्षर किया जाएगा। पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ने की योजना के इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगी।
अब तक 5.6 लाख गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। दो अक्टूबर, 2019 तक सभी गांवों को खुले में शौच से मुक्त कर लिया जाएगा। किसानों में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों की सहायक गतिविधियों पर जोर दिया जाएगा। जैसे बांस, लकड़ी और नवीकरणीय ऊर्जा पैदा करने के मौके उपलब्ध कराएं जाएंगे।
किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए अगले पांच साल में दस हजार नए किसान उत्पादक संगठन बनाए जाएंगे। कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्द्धन को बढ़ावा देने के लिए निजी उद्यमियों को सहायता दी जाएगी। पशुओं के लिए चारा, दूध की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करके सहकारी संस्थाओं के माध्यम से दूध उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। पायलट आधार पर चल रही जीरो बजट खेती को देश के अन्य भागों में लागू करने का भी प्रस्ताव है।
मोदी सरकार के प्रयासों से पिछले डेढ़ साल में देश ने दलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली। अब इसी उपलब्धि को सरकार तिलहनी क्षेत्र में दुहराने जा रही है। इसके लिए 10,000 करोड़ रूपये की लागत से तिलहन पर तकनीकी मिशन शुरू किया गया है।
गौरतलब है कि भारत हर साल 75,000 करोड़ रूपये मूल्य का खाद्य तेल आयात करता है। तिलहन क्रांति होते ही न केवल इतनी बड़ी विदेशी मुद्रा की बचत होगी बल्कि खली निर्यात से देश को भारी आमदनी भी होगी। इन सबका लाभ अंतत: देश के किसानों को मिलेगा।
प्रधानमत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 2019-20 2021-22 तक पात्रता रखने वाले लाभार्थियों को 1.95 करोड़ मकान मुहैया कराए जाएंगे। इन मकानों में रसोई गैस, बिजली, शौचालय जैसी बनुयादी सुविधाएं होंगी। प्रधानमंत्री के निर्देश पर सभी को आवास के लक्ष्य को तेजी आई है। इसी का नतीजा है कि पहले जहां आवासों को बनाने में 314 दिन लगते थे वहीं अब 114 दिन लगते हैं। गौरतलब है कि इस योजना के तहत अब 1.5 करोड़ मकानों का निर्माण हो चुका है।
बजट में 2024 तक जल जीवन मिशन के तहत हर घर तक पाइपलाइन से साफ पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। 2019-20 के अंतरिम बजट में छोटे व सीमांत किसानों के लिए न्यूनतम आय का प्रावधान किया गया था। अब प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का दायरा बढ़ाते हुए इसमें सभी किसानों को शामिल कर लिया गया है। समग्रत: यह बजट बुनियादी सुविधाओं को मजबूत बनाकर गांवों की तस्वीर बदलने वाला है।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)